आलसी बार्बर का खजाना
एक बार की बात हैं की गांव में एक बार्बर रहता था । वह निहायती आलसी किस्म का इंसान था। सारे दिन वह आईने के सामने बैठा टूटे कंघे से बाल संवारते हुए गंवा देता था । उसकी मां उसकी इस आदत से बहुत दुखी थी और उसे डाटती रहती थी पर उस आलसी के कानो पे जूं भी नही रेंगती थी । आखिरकार एक दिन मां ने गुस्से में उसकी ठुकाई कर दी। जवान बेटे ने मां के हाथो से पीटकर अपने आप को बहुत अपमानित महसूस किया और घर छोड़ कर चल दिया । और कसम खाई कि जब तक कुछ कमा नहीं कर लेगा, वह घर नहीं लौटेगा। यह सोचते सोचते वह अब जंगल पहुंच चुका था । उसे और कोई काम तो आता नहीं था इसलिए अब वो भगवान के चरणों में कुछ अच्छा होने की कामना से बैठ गया। अभी वह प्रार्थना के लिए बैठा ही था की उसी समय एक राक्षस से सामना हो गया। राक्षस उसे देखकर खुश हुआ और खुशी मनाने के लिए लिए नाचने लगा। यह देख बार्बर के होश उड़ गए,पर अपने डर को काबू में रखते हुए। उसने साहस बटोरा और राक्षस के साथ वह भी नाचने लगा।
कुछ देर बाद उसने राक्षस से पूछा- तुम क्यों नाच रहे हो? तुम्हें किस बात की खुशी है? राक्षस हंसते हुए बोला, मैं तुम्हारे सवाल का इंताज़ार कर रहा था। तुम तो निरे उल्लू हो। तुम समझ नहीं पाओगे। मैं इसलिए नाच रहा हूं कि मुझे तुम्हारा नरम-नरम मांस खाने को मिलेगा। तभी राक्षस ने बार्बर से पूछा की वैसे तुम क्यों नाच रहे हो ? तभी नाई ने विजयी हंसी के साथ कहा, मेरे पास नाचने का बढ़िया कारण है। हमारे राज्य के राजकुमार एक खास बीमार से पीड़ित है और वैद्यराज ने उसे 101 राक्षसों के दिल का खून पीने का उपचार बताया है। महाराज ने पूरे राज्य में यह घोषणा करवाई है जो कोई यह दवा लाकर देगा, उसे वे अपना आधा राज्य देंगे और उनकी सुंदर राजकुमारी से विवाह भी कर देंगे। मैंने सौ राक्षस तो पकड़ लिए थे। अब तुम भी मेरी पकड़ में आगाये हो। यह कहते हुए उसने जेब से छोटा आईना उसकी आंखों के सामने किया। आतंकित राक्षस ने आईने में अपनी शक्ल देखी। चांदनी रात में उसे अपना प्रतिबिम्ब साफ नज़र आया। उसे लगा कि वह वाकई उसकी मुट्ठी में है। थर-थर कांपते हुए उसने बार्बर से आग्रह किया कि उसे छोड़ दे, पर बार्बर कान्हा से मानने वाला था । तब राक्षस ने उसे महाराज से भी अधिक धन देने की बात कही पर इसके ऑफर में बार्बर ने दिलचस्पी ना होने का नाटक करते हुए कहा- पर जिस धन का तुम वादा कर रहे हो, वह है कहां और इतनी रात में उस धन को और मुझे घर कौन पहुंचाएगा?
राक्षस ने कहा, खज़ाना तुम्हारे पीछे वाले पेड़ के नीचे गड़ा है। पहले तुम इसे अपनी आंखों से देख लो, फिर मैं तुम्हें और इस खज़ाने को पलक झपकाते ही तुम्हारे घर पहुंचा दूंगा। राक्षसों की शक्तियां तुमसे क्या छुपी है, कहने के साथ ही उसने पेड़ को जड़ समेत उखाड़ दिया और हीरे-मोतियों से भरे सोने के सात कलश बाहर निकाले । खज़ाने की चमक से नाई की आंखें चौंधिया गईं, पर अपनी भावनाओं को छुपाते हुए उसने रौब से उसे आदेश कि वह उसे और खज़ाने को उसके घर पहुंचा दे। राक्षस ने आदेश का पालन किया। राक्षस ने अपनी मुक्ति की याचना की, पर नाई उसकी सेवाओं से हाथ नहीं धोना चाहता था। इसलिए अगला काम फसल काटने का दे दिया। बेचारे राक्षस को यकीन था कि वह बार्बर के शिकंजे में है। सो उसे फसल तो काटनी ही पड़ेगी।
वह फसल काट ही रहा था कि वहां से दूसरा राक्षस गुजर रहा था । अपने दोस्त को इस हालत में देख वह पूछ बैठा। राक्षस ने उसे आपबीती बताई और कहा कि, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। दूसरे ने हंसते हुए कहा, पागल हो गए हो? राक्षस आदमी से कहीं शक्तिशाली और श्रेष्ठ होते हैं। तुम उस आदमी का घर मुझे दिखा सकते हो? हाँ, दिखा दूंगा, पर दूर से। धान की कटाई पूरी किए बिना उसके पास जाने की मेरी हिम्मत नहीं है। यह कहकर उसने उसे बार्बर का घर दूर से दिखा दिया।
वहीं अपनी कामयाबी के लिए बार्बर ने भोज का आयोजन किया हुआ था । और एक बड़ी मछली भी लेकर आया। लेकिन एक बिल्ली टूटी खिड़की से रसोई में आकर ज्यादा मछली खा गई। गुस्से में बार्बर की पत्नी बिल्ली को मारने के लिए झपटी पर बिल्ली भाग गई। उसने सोचा की बिल्ली इसी रास्ते से वापस आएगी। इसलिए वह मछली काटने की छुरी थामे खिड़की के पास खड़ी हो गई। उधर दूसरा राक्षस दबे पांव बार्बर के घर की ओर बढ़ा। उसी टूटी हुई खिड़की से वह घुसा। बिल्ली की ताक में खड़ी बार्बर की पत्नी ने तेज़ी से चाकू का वार किया । निशाना सही नहीं बैठा, पर राक्षस की लम्बी नाक आगे से कट गई। दर्द से कराहते हुए वह भाग खड़ा हुआ। और शर्म के मारे अपने दोस्त के पास वो गया भी नहीं ।
पहले राक्षस ने धीरज के साथ पूरी फसल काटी और अपनी मुक्ति के लिए बार्बर के पास गया। धूर्त बार्बर ने इस बार उल्टा शीशा दिखाया। राक्षस ने बड़े गौर से देखा । उसमें अपनी छवि न पाकर उसने राहत की सांस ली और नाचता-गुनगुनाता चला गया। More Stories...