सोमवार, 3 अप्रैल 2023

बाज़ का पुनर्जन्म /जीवन का कायाकल्प

 

बाज़ का पुनर्जन्म /जीवन का कायाकल्प

    बाज़ का जीवनचक्र मनुष्य के लिए हमेशा से प्रेरणादायक रहा हैं। बचपन से मादा बाज़ के द्वारा कठिन ट्रैंनिंग से उसके जीवन की शुरुवात होती हैं। और वो आसमान पर राज करता हैं।  अपने से 10  गुना वजनदार पशु पक्षियों का शिकार पलभर में  करना।  मिनटों में बादलों को चिर के ऊपर जाना।  कई  घंटो तक बिना पंख हिलाये आसमान की ऊंचाइयों पे उड़ते रहना  आमतौर पर यह सब मनुष्य के सपने होते हैं। 

        बाज़ जब अपने जीवन की व्रद्धावस्था में आता हैं तब उसके जीवन में मुश्किलें आना शुरू होती हैं।  यह मुश्किलें उसकी पंजो की पकड़ का कमजोर होना, उसकी शिकार के जो चोंच काम में लेता हैं। उसका अधिक मुड़ जाने के कारण शिकार करने में असाहय होना। और जिन मजबूत पतले और लम्बे पंखो से वो आसमान पर राज करता हैं उनका उसकी छाती से चिपकना और भारी हो जाना।  

       ये कठिन परिस्ठितिओ में उसको आगे का जीवन जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता हैं। ऐसे में उसके पास अधिक विकल्प बचते नहीं हैं।       

यह सही हैं की  भोजन जुटाने के लिए उसे पंख,चोंच और पंजों की मुख्य आवश्यकता होती हैं।  इनके कार्य नहीं करने के कारण बाज़ निश्च्चित  ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा. दूसरा यह भी हो सकता हैं की वो अन्य पशु पक्षियों के द्वारा शिकार किये हुए व उनके द्वारा छोड़ा हुआ भोजन से वो अपनी शेष जीवन को जिये और या वो अपनी इन तीनो अंगो को कायाकल्प कर पुनर्स्थापना करें।  ऐसे में बाज़ ने जैसा जीवन जिया होता हैं उसी को जीने का साहस भरता  हैं। और बाज़ अपने आस पास की ऊँची पहाड़ी की चोटी पर चला जाता हैं। तब उसके जीवन की सुधार (reforming) की प्रक्रिया शुरू होती हैं। 

       बाज़ पहाड़ी पर अपनी चोँच को पथरो पे मार मार के तोड़ देता हैं और इस दौरान वह  लहू लुहान हो जाता हैं। इसी प्रकार वह अपने पंजों को पथरो पर रगड़ रगड़  के घिस देता  हैं। जब उसके चोंच और पँजे  नए आजाते हैं तब वह अपने भारी और कमजोर हो चुके पंखो को नोंच नोंच के अलग कर देता हैं। इस दौरान वह घायल भी हो जाता हैं। अन्तत 6  महीने के बाद वही बाज़ एकबार फिर से नए पंखो,चोँच और पंजों के साथ आसमान में उसी गति से अपने जीवन का सफर शुरू करता हैं।  मनुष्य क के लिए बाज़ बहुत बड़ा प्रेरणादायक पक्षी हैं।  

मानव जीवन को भी समय समय पर परिवार,समाज,व्यवसाय,कार्य, दिनचर्या,व्यवहार और सोच को पुर्नस्थापित करने की आवश्यकता होती हैं। .....Read More

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