गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

एक किसान व चार चोरों की कहानी।

"दुबारा पंगा नहीं लेने की सौगंध"



यह कहानी हैं एक किसान परिवार एवं चार चोरों की। 

एकबार की बात हैं की एक गांव के एक छोर पे एक गरीब किसान परिवार रहता था। ताजा ताजा बारिश हुई थीं और बाकी लोग अपने खेतो में काम करने की तैयारी में लगे हुए थे।यही किसान चारपाई पे बैठा बैठा सोच रहा था। तभी किसान की पत्नी ने देखा की वो चिंता की मुद्रा में हैं। उसने किसान से पूछा की क्या बात हैं,तब किसान ने बताया की फिर हमे किसी से बैल उधार में लेने होंगे खेती के लिए और जिससे भी लेंगे वो पहले अपनी खेती पूरी करेगा और उसके बाद ही कोई सहायता करेगा और हमारी फसल की जुताई में देरी के कारण फिर से पिछले वर्ष की भांति अनाज की पैदावार कम होगी। काश अपने पास अपने बैल होते ।यही सब सोच के परेशान था। किसान पत्नी ने बताया की उसके पास उसके मायके वालों ने जो गहने दिए थे उनको बेच के आप अपने 2 बैल खरीद लो। और जब हमारी फैसले अच्छी होंगी उससे हमे आमदनी होगी और हम फिर से गहने बनवा लेंगे। इस प्रकार से किसान ने 2 हस्टपुष्ट बैल खरीदे। और परिवार में बड़ी खुशी का माहौल होगया। 


    किसान अपनी पत्नी के साथ खेत में जुट गया और खेत को साफ करके हल जोतना शुरू कर दिया।उसकी पत्नी उसे खेत में ही भोजन लेके जाति और खुशी के साथ वो अपने काम में लग गए। एक रोज क्या हुआ की किसान खेत में हल जोत रहा था तभी उसके पड़ोस के खेत से दूसरे किसान ने उसको आवाज दी और कहा की उसकी पत्नी चाय लेके आई हैं इसलिए वो भी थोड़ी चाय पी ले और इस बहाने थोड़ा आराम भी मिल जायेगा और बैल भी थोड़ा आराम कर लेंगे । किसान ने बैलों से हल को अलग करके और चाय पीने चला गया। दोनो पड़ोसी आराम से चाय पीते हुए अपनी बाते करते हुए कब 2 घंटे बीत गए पता ही नही चला। तभी किसान ने कहा की अब उसे जाना चाहिए और अपने काम पे लग जाना चाहिए। जैसे ही किसान अपने खेत में पहुंचा तो देखता हैं की उसके दोनो बैल खेत में नही हैं। किसान ने बैलों को इधर उधर खोजा पर बैल नही मिले। सांय का समय होने को था और भोला भाला किसान बड़े दुखी मन से उदास होकर अपना हल कंधे पर उठाए घर पहुंचा। 


   उसको बिना बैल के देख के उसकी पत्नी ने बैलों के बारे में पूछा तो किसान ने सारी घटना विस्तार से बताई। उसकी पत्नी तुरंत खाना बनाकर किसान व बच्चो को खिलाके उन्हें आराम करने को कहा और खुद ही बैलों को खोजने के लिए चल दी। और खेत से बैलों के पैरो के निशान (खोज) देखते हुऐ बढ़ती रही। बहुत अधिक मील पैदल चलते चलते उसको बहुत रात हो गई। तभी उसने रुकने के लिए एक सराय (पुराने समय की होटल) में पहुंची तो देखती हैं की उसके बैल खूंटे से बंधे हुए हैं और चार चोर रुके हुऐ हैं। चोरों ने उससे पूंछा तो उसने बताया की वो राहगीर हैं इसलिए रात्रि विश्राम के लिए रुकी हैं। आपस में बात करते हुए सबने भोजन की चर्चा की तो किसान की पत्नी के कहा की उसके पास कंगन हैं वो बनिए की दुकान से सामान ले आती हैं और भोजन मिलजुल के बना लेते हैं यह आइडिया चारो चोरों को अच्छा लगा । किसान की पत्नी ने बनिए के पास गई और बताया की उसको राशन चाहिए उसके बदले वो बैल दे देगी। तभी मोल भाव किया तो बनिए ने कहा की दोनो ही बैल उसे दे दे तो अच्छी कीमत देगा। किसान की पत्नी ने तेज आवाज लगाई और चोरों से पूछा की एक बेच दू की दोनो ही बेच दू तभी उन्होंने कहा की दोनो ही बेच दो। उसने दोनो बैलों के पैसे बनिए से लिए और उसमे से कुछ राशन खरीद कर ले आई। और भोजन बनाया और बातचीत करके सभी लोग सो गए। बातचीत में चोरों ने उसे बताया की वो सभी रेलवे लाइन पे बहारामाशी का काम करते हैं और वो अपने गांव से दूर एक बूढ़ी महिला के घर में रहते हैं और उनके पास बहुत धन हैं।। जब सभी गहरी नींद में सो गए तो किसान की पत्नी उठी और दबे पांव अपने घर वापस आ गई।


 जब सुबह चोर जगे तो देखते हैं 

की वो औरत नही हैं तभी वो अपने नित्यकर्म से फ्री होके अपने बैलों को लेकर चलने लगें तभी बनिए ने उन्हें रोका और कहा की वो बैल तो उसने खरीद लिए हैं। रात्रि में उस औरत ने आपसे पूंछा भी था की एक बेचना हैं या दोनो तभी आपने दोनों के लिए कहां था। तभी चोरों को कंगन का माजरा समझ में आ गया । अब चोर अपने आपको एक महिला के हाथों ठगा महसूस कर रहे थे। तभी उन्होंने उससे बदला लेने की ठानी और वो सभी उस गांव की तरफ चल दिए। पर उन्हें किसान के घर का पता नहीं था। इसलिए उन्होंने प्लान किया की उसकी पत्नी पानी लेने को जोहड़ में आएगी तो वो लोग उससे पहचान लेंगे और उसका पीछा करके उसके घर के बारे में पता कर लेंगे और उन्होंने ऐसा ही किया। पर ये करते हुए किसान की पत्नी ने उनको पहचान लिया और समझ गई की ये चोर बदला लेने के लिए आए हैं। चोरों ने रेकी करके रात्रि होने का इंतजार किया और वापस जोहड़ के पास झाड़ियों में आके बैठ गए। इसी बीच किसान की पत्नी अपने गांव के नाई (बार्बर) के पास गई और उससे उस्तरा (सेविंग करने का धारदार औजार) लेके आगाई और खाना खिलाके किसान व बच्चो को सुला दिया और खुद अपने घर की एक खिड़की जिसमे इंसान की मुंडी (सर) अंदर जा सके उसके पास रोशनी करके छिप के बैठ गई। जैसे ही अंधेरा हुआ वो चारों चोर उसके घर के चारों ओर घर में परवेश करने की जगह तलासने लगें तभी उन्हें उस खिड़की के पास रोशनी दिखाई दि और वो उसके पास पहुंच गए। एक चोर जो अधिक सक्रिय था ने अपनी गर्दन उस खिड़की के अंदर की और शेरनी की भांति किसान की पत्नी घात लगाकर कर बैठी थी उसने तुरंत उस्तरे से उसकी नाक को काट दिया। चोर को समझ नही आया। और वो चिलाने लगा की उससे मधुमक्खी ने काट लिया हैं चूंकि वन्हा पे अंधेरा था इसलिए दूसरे चोर ने उसे कमजोर कहा और खुद अपनी गर्दन अंदर झांकने के लिए घुसा दी और उसकी भी नाक को काट दिया और वो भी चिलाया की यन्हा पे तो सच में खतरनाक मधुमक्खियां हैं। तभी तीसरे चोर ने अंदर गर्दन दी और उसकी नाक कटी तो उसनें कहा की ये पीले वाले ततये हैं सब को कमजोर देखते हुए चौथे चोर ने अपनी गर्दन अंदर दी और जैसे ही उसकी नाक कटी वो जोर से चिल्लाया की उसकी नाक कट गई तभी सबने बारी बारी से कहा की उनकी भी नाक कट गई है। सभी दुखी होकर व हार मानके वापस अपने घर चले गए। 

कुछ दिन के अंतराल के बाद


एकदिन किसान की पत्नी ने चूरमा के बड़े बड़े पिण्ड बनाए और उनके अंदर उन चोरों की नाक को डाल दिया। वो उनको ढूंढते हुऐ उनके घर पहुंच गई। और बूढ़ी मां को बताया की वो उनकी बहिन हैं और उनसे मिलने के लिए आई हैं। बूढ़ी मां ने बताया की वो सभी काम पे गए हुऐ हैं। उसने बूढ़ी मां से उनकी रग (to know the detail about that ) ली तो बूढ़ी मां ने सब कुछ बता दिया की वो कितना कमाते है और घर में किधर किधर छुपा रखा हैं। तभी उसने कहा की वो आराम करे और में उनको बुला के ले आती हुं। जाते वक्त किसान की पत्नी ने बूढ़ी मां को वो चूरमे के चार पिण्ड भी दे दिए ताकि उसके भाई वापस आते समय खाते हुए आयेंगे तो उसको बहुत खुशी होगी। और बूढ़ी मां चली गई पीछे से किसान की पत्नी ने सारा धन इकट्ठा किया,और वहां से तुरंत रवाना हो गई। जब बूढ़ी मां ने जाके उनको बहन के आने की जानकारी दी तो आश्चर्य में पड़ गए,क्योंकि उनकी कोई बहन थी ही नहीं। वो अपनी बूढ़ी मां के साथ अपने घर की और बढ़ने लगे तभी मां ने उनको लड्डू (चूरमे के पिण्ड) खाने को दिए और वो उसका स्वाद लेते हुए चल रहे थे तभी एक के पिण्ड में वो कटी हुई नाक मिली और सबने देखा की वो सबके पिण्ड में थी वो समझ चुके थे। वो तुरंत घर पहुंचकर देखते हैं,की उनका छुपाया गया सारा धन गायब था। वो सभी दौड़ते हुऐ उसके पीछे चले दिए। चलते चलते रात्रि हो गई और जंगल भी आगया था। 


   इसलिए उन्होंने सोचा की उन्हे यन्ही पे रुक के आराम करना चाहिए। और एक बड़े बरगद के नीचे एक महात्मा का धुना था उसी जगह आराम करने लगे। क्योंकि जंगल में जानवर थे इसलिए 3 लोग सोएंगे और एक चोर जानवरों का ध्यान रखने के लिए जागता रहेगा ,ऐसा सभी बारी बारी से करेंगे। मध्यवरात्री में एक चोर जो जगा हुआ था उसने देखा की बरगद के पेड़ पर कोई महिला दिख रही हैं तो उसने उससे पूछा की आप कोन हो तो महिला ने बताया की आसमान से पटकी और पेड़ पे अटकी एक दुखियारी हैं और इस संसार में उसका कोई भी नही हैं। यह बात सुन कर चोर के मन में दया का भाव जगा और उसने उसे विवाह का प्रस्ताव दिया जिसे उसने स्वीकार कर लिया तभी चोर ने कहा की आप नीचे आजाओ लेकिन महिला ने उसे ऊपर आने के लिए आग्रह किया । और वो चोर अपने साथियों को सोए हुए छोड़ के बरगद के पेड़ पर चढ़ गया। और कहा की हम यान्हा पर शादी कैसे करेंगे तभी किसान की पत्नी ने कहा की हम एक दूसरे की जीभ से होठों को किश करेगें और प्रेम के पवित्र बंधन में बंध जाएंगे। तभी किसान की पत्नी ने पहले जीभ निकाली और उसके होठों को किश किया। फिर चोर को भी ऐसा करनें को कहा तो चोर ने जीभ बाहर निकाली की उसने उस्तरे से उसकी जीभ को काट दिया अब क्या था ।चोर अपना संतुलन खो कर नीचे महात्मा के धुने (राख) में आके गिरा। अंधेरे के कारण सभी चोर डर के मारे भागने लगे उनके पीछे जीभ कटने के कारण तुतलाता हुए चोर दौड़ रहा था रु -रु -रु -को -को-रुको रुको पर वो डर के मारे दौडे जा रहे थे। पूरी रात वो एक उन तीनो के पीछे दौड़ता रहा । जब सुबह हुई तो उनमें से एक ने पीछे मुड़ के देखा तो उनका साथी ही पीछे दौड़ रहा था । महात्मा के धुने में गिरने के कारण वो राख से पहचान में भी नही आ रहा था। इस प्रकार से चोरों ने अपनी जिंदगी का कमाया हुआ धन व नाक खोने के बाद जिंदगी में दुबारा कभी चोरी नही करने की सौगंध ली । और अपने अपने रास्ते चलते बने। इस प्रकार से किसान की पत्नी ने चोरों को सबक सिखाया और फिर खुशी खुशी रहने लगे। ।। Read More......

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