गुरुवार, 12 जनवरी 2023

मकर-संक्रांति 2023

                      कहानी-मकर-संक्रांति का तिल व गूड़ का संबंद्ध की पौराणिक कहानी



 

 

किसी भी साल की भांति 2023 का पहला पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) का पड़ रहा है. देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति का ज्योतिषी रूप से भी बहुत महत्व है. कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य 30 दिन में राशि बदलते हैं और 6 माह में उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति 14 जनवरी, शुक्रवार के। 

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व देशभर के अलग-अलग भागों में अलग तरीके और अलग नाम से मनाया जाता है. लेकिन सब जगह एक बार कॉमन यह है कि इस दिन तिल-गुड़ खाना और इसका दान करना शुभ माना जाता है. सदियों से इस दिन काले तिल के लड्डू खाने की परंपरा चली आ रही है. लेकिन क्या आप इसके पूछी की वजह जानते हैं? आइए जानते हैं इस दिन काले लड्डू क्यों बनाए और खाए जाते। काले तिल जो हैं वो शनि का रुप होते हैं व गूड़ सुर्य का प्रतिनिधित्व करता है ।इसलिए इस दिन तिल व गुड के लडू खाना व दान करना पसंद करते है । जिससे शनि की दशा को ठिक रखा जा सके।।

तिल व गुड की कहानी 

पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव ने अपने बेटे शनि देव का घर कुंभ क्रोध में जला दिया था. कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं और इस राशि को ही उनका घर माना जाता है. घर को जलाने के बाद जब सूर्य देव घर देखने पहुंचे, तो काले तिल के अलावा सब कुछ जलकर राख हो गया था. तब शनि देव ने सूर्य देव का स्वागत उसी काले तिल से किया. 

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