शनिवार, 5 अगस्त 2023

राहुल गांधी को मोदी सरनेम पर राहत

राहुल गांधी को मोदी सरनेम पर राहत

      सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी.सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी का सभी मोदी सरनेम वाले लोग चोर होते हैं को इतना बड़ा अपराध नहीं माना और एक चुने हुए सांसद जो की जनता का प्रतिनिधत्व करता हैं उसको सबसे बड़ी सज़ा नहीं देनी चाहिए।  राहुल गांधी को उनकी 'मोदी सरनेम' टिप्पण पर सुप्रीम कोर्ट ने केवल रोक लगाई हैं। और केस को सैशन कोर्ट में लड़ने का आदेश दिया हैं। और राहुल को कहा की उसे किसी को आहात करने वाले शब्दों से परेहज करना चाहिए।  सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की सभी लोग लोकत्रंत की जीत बता रहे हैं।  कांग्रेस तो इसे किसी बड़े फेस्टिवल के तौर  पर जश्न मना रही हैं।  

       में व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के इस निर्णय से सहमत नहीं हु। कोर्ट एक तरफ कहा रहा हैं की राहुल गाँधी को किसी व्यक्ति विशेष के विरोद्ध में किसी समाज विशेष की भावनाओ को आहात करने से बचना चाहिए मतलब की ऐसा नहीं कहना चाहिए।  मुझे ऐसा लगा की सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान में बने कानून की बजाय एक शिक्षक की भूमिका निभाई हैं। और गाँधी परिवार का वारिश होने के नाते किसी को भी आहात करने का अप्रत्यक्ष अधिकार दे दिया हैं। 

      नहीं भूलना चाहिए की राहुल गाँधी और उसका परिवार कितने भ्रस्टाचारी  के केस में जमानत पर चल रहा हैं।  मेरा यह मत हैं की सुप्रीम कोर्ट को ऐसे निर्णय देने से बचना चाहिए अन्यथा अन्य राजनैतिक  लोग भी अलग अलग समाजो को चोर/भ्रस्टाचारी /रेपिस्ट/हत्यारे कहेंगे और उनकी भावनाओ को आहात करने का काम करेंगे।  बोलने की स्वत्रंता का यह कतई  मतलब नहीं हैं की मेरे को जो मन आया वो कह दिया।  भारत जैसे विशाल देश में यदि हम एक दूसरे की भावनाओ को समान नहीं करेंगे तो इसका नुकसान अनेकता में एकता पर पड़ेगा।  और कल राहुल जैसा और कोई सरफिरा / बददिमाग /बेबुद्धि लोग अपनी भाषा की मर्यादा को लांघेंगे।और यह भारतीय समाज की दृष्टि से एक गलत  उधारण होगा।  और देश के लिए शर्म की बात यह हैं की राहुल एंड टीम ने एक अज्ञानी व्यक्ति जो सार्वजानिक जीवन में भाषा का सयंम नहीं रख सकता देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहता हैं ने देश का और कोर्ट का कितना समय बर्बाद कर दिया उसको देखने की जरुरत हैं। और बेशर्म कांग्रेस इस अज्ञानी व्यक्ति को दूल्हा बनाकर पेश करने की कोशिश कर रही हैं। 

      हमें नहीं भूलना चाहिए की भाषा आपके संस्कार और व्यक्तित्व का आयना होता हैं।  और जब आप एक सम्मानीय पद पर हो तो आपकी जिम्मेदारिया अधिक हो जाती हैं। यही राहुल गाँधी हैं जिसने कुछ दिन पहले तक देश के बाहर कहा था की भारत में लोकतंत्र जैसी कोई चीज नहीं हैं तब कितने भारतीय लोगो की भावनाये आहात हुई थी और देश के समान को ठेश पहुंची होगी।  इससे साफ़ होता हैं की यदि परिस्थियाँ मेरे पक्ष में हों तो लोकत्रंत जिन्दा हैं और विपरीत हैं हो लोकतंत्र जैसा कुछ भी नहीं। हमें याद रखना होगा की एक प्रधानमंत्री और सांसद रहते हुए गाँधी परिवार ने खरबो रुपयों की सम्पति इकट्ठा कर ली।  कोण सी फैक्ट्री /कलकारख़ाने थे इस परिवार के पास। केवल दलाली/कमिशनखोरी से देश की जनता के टैक्स का पैसा डकार कर खा गए। और मेरे देश को इस परिवार के पूर्व प्रधानमंत्री ने जंहा गरीब को रहत पहुंचाने का कार्य किया वंही इन्होने लूटने के अलावा कुछ नहीं किया। इसलिए जनता की अदालत में पप्पू को पास होना आसान नहीं होगा।   

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