कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृृजभूषण पर हैं यौन-उत्पीड़न के आरोप
दिग्गज रेसलर बजरंग पूनिया और फोगट बहिनो समेत कई अन्य पहलवान एक बार फिर से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ हुए हैं। उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की की मांग की है. पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण, मानसिक उत्पीड़न, जान से मारने की धमकी और वित्तीय गबन के आरोप हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया हैं और दिल्ली पुलिस को आदेश की पालना करते हुए FIR दर्ज कर ली हैं।
और छानबीन शुरू कर दि हैं। लेकिन अब इस मोके को भुनाने के लिए राजनैतिक पार्टियों ने भी अपना सपोर्ट शुरू कर दिया हैं। इस कर्म में प्रियंका गांधी ,नवजोत सिंह सिंधु , अरविन्द केजरीवाल, रॉबर्ट बाड्रा ,जयंत सिंह सहित अनेक राजनिक पार्टियों ने इनके समर्थन में धरना स्थल पर उपस्थिथि दर्ज कराइ हैं। उधर बृजभूषण ने अपना स्टैंड साफ़ कर दिया हैं की ये सब उनको मोहरा बनाकर पार्टी के खिलाफ एक चाल हैं। जिसके दबाब में वो नहीं आएंगे. और वो हर तरह की जाँच के लिए तैयार हैं। कुछेक लोगो के दबाब में आकर वो अपने पद से त्यागपत्र नहीं देंग। साथ ही उन्होंने कहा की जब FIR दर्ज हो चुकी हैं। जाँच होने दे और पहलवानो को अपना प्रक्षिशण जारी रखने दें।
तब तक पहलवानो को अपना धरना ख़त्म कर देना चाहिए। वो जब तक पार्टी काआदेश नहीं होगा अपनापद नहीं छोड़ेंगे। जंतर मंतर पर अन्य पार्टीयो के समर्थन के कारन अब पहलवानों को जनता का समर्थन कुछ कमजोर होते नज़र आरहा हैं। क्योंकि अब जनता को यह लगने लगा हैं की यह धरना प्रदर्शन वास्तव में खेल प्रधिकरण के द्वारा कुश्ती के नियमो में बदलाव के खिलाफ किया जा रहा हैं।
जो इन हरियाणवी खिलाड़िओ के एकाधिकार के खिलाफ अन्य खिलाड़िओ को बराबर का मौका देने के पक्ष में हैं। आरोपों में क्या सचाई हैं ये तो आने वाले समय में जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा। जब तक कुश्ती के ये पहलवान इसे राजनीतिक रंग देकर अपना दबाब बनाये रखने की कोशिश बनाये रखेंगे या अपना धरना ख़त्म कर अपनी प्रक्टिस पेध्यान केंद्रित करेंगे ये तो आने वला समय ही बता पायेगा.
Meri kom को कुश्ती की सुलह की जिमेदारी
। भारतीय कुश्ती संघ (WFI) का दंगल एक बार के लिये खेल मंत्रि अनुराग ठाकुर के हस्तक्षेक से विराम लग गया हैं । मैरिकोम के नेतृत्व मे पाँच सदस्यो की एक कमेटी का घटन किया गया हैं जो की एक महिने मे अपनी रिपोर्ट देगी।।। इसी के साथ कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण एक महिने तक किसी भी तरह का कार्य नही देखेंगे ।। इससे सरकार ने आन्दोलन करने वालो को सीधा सन्देश दे दिया हैं की सरकार आँख मुंद के उनके आरोपो को स्वीकार नही करेगी।।
देश के 30 से अधिक पहलवान जिनको देश ने दौलत और शोहरत दोनो खुले हाथो से दी और एकदम से खिलाडियो को जन्तर मंत्र पर धारणा देने की आवश्यकता क्या आन पड़ी । इसे थोड़ा बदलते भारत के परिपेक्ष मे समझना होगा।। जो खिलाड़ी देश के समान के लिये लड़ती हैं । यदि उनके आबरू पे कोई आंच आई हैं तो वो शांत क्यौ थी। क्यौ नही उसने अपना विरोद्ध संघ मे ना सही घर परिवार सरकार या मीडिया मे नही उठाई।। इतना हंगामा होने के बाद भी वो चेहरे सामने क्यौ नही आये जिनके साथ ब्लात्कार जैसी घटना घटित ही गई और उन्होने किसी से शिकायत तक नही की।। क्योंकि जगह जगह CCTV केमरा लगे होते हैं । नाम आने पर तहकीकात होती है और दुध का दुध व पानी का पानी अलग अलग हो जाता ।। दूसरा बड़ा आरोप उनको सुविधायें नही मिलती ।। गांव मे भी लाईट नही आती तो सोशल मीडिया पे कोहराम मच जाता हैं तो ये सब चुप क्यौ बैठे हुये थे।। जँहा तक भारतीय कुश्ती संघ के संचालन व खर्चे को बात की जाये तो भारत के सभी राज्यो से अधिक बजट का पैसा हरियाणा,पंजाब व दिल्ली पे खर्च होता हैं । और सबसे अधिक मुलभुत सुविधाये भी यन्ही पे दी हुई है ।। अब हम बात करते है मुल कारण की।। कुश्ती संघ ने अंतरर्राष्ट्रीय स्पर्धाओ मे अधिक पदक जितने के लिये कुछ बदलाव किये ।। जैसे पहले कोई भी खिलाड़ी ओलम्पिक या एसियाई खेलो मे या विश्व स्तर के खेलो मे यदि पदक जीत के आता है तो उसको अगली स्पर्धा होने तक उसे रास्ट्रीय स्तर के खेलो मे भाग लेने की कोई बाध्यता नही होती और वो बिना रास्ट्रीय स्तर की स्पर्धा जीते उनके लिये कामयाब हो जाते थे।। अब कुश्ती संघ के इनके रास्ट्रीय स्तर खेलो के परदर्शक के आधार पर ही योग्यता मानी जायेगी।। इस बदलाव से इन खिलाडियों को रोक टोक होने लगी तो जँहा इनको अनुशासन दिखाना चाहिये था वँहा इन्होने राजनितिक लोगो के बहकावे मे आकर वर्चस्व की लड़ाई का रास्ता चुना क्योंकि ।। इनको जो शोहरत व दौलत मिलनी थी वो मिल चुकी अब इनको फिते काटने का समय चाहिये।। हरियाणा मे चुनाव सामने हैं बहुत से खिलाडियो को या इनके चाहने वालो को टिकट चाहिये इसलिय इनको पता हैं की भारत मे आरोप लगाना सबसे सस्ता तरीका हैं मुफ्त के पोस्टर बनने की।। और इसमे किसी का मत अलग हो तो आने वाले चुनाव मे यह सब के सामने होगा।। दूसरा स्पर्धओ के अन्तिम वर्षो मे इनको भारती संघ के अनुसार नही अपनी मनपसंद देश मे ट्रंनिँग की सुविधा चाहिये।। इनको कोई रोक टोक नही चाहिये क्योंकि ये पदक जितने के बाद अपने आप को देश का रॉल मॉडल मानने की बजाय अभिमान से पुर्ण हो जाते हैं ।। और जो पहलवान पिछले 4-5 सालो से तैयारी करते है उनको मौका मिल नही सकता ।। तभी बृजभूषण शरण ने कहा की यदि आरोप साबित होने पर वो फांसी पर लटक जाने को तैयार हैं ।। कुश्ती संघ का अध्यक्ष यदि गर्ल हॉस्टल जाके यदि कोई जायजा ले तो गलत है ।। क्या वो अकेले गये या किसी टीम के साथ गये।। CCTV केमरे ये सब बयाँ कर देंगे ये सभी सवालो का जबाब अब मैरिकोम व टीम को खोजने हैं । हाँ ये सही हैं की जो रास्ता इन खिलाडियो ने अपनाया वो कन्ही से भी सराहनीय नही कहा जा सकता ।।।