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शनिवार, 8 जुलाई 2023

चीन की आर्थिक तरक्की के महत्वपूर्ण बिंदु पर लेख 2023

चीन की आर्थिक तरक्की के महत्वपूर्ण बिंदु    

चीन की आर्थिक तरक्की के महत्वपूर्ण बिंदु पर लेख

आउटवार्ड इन्वेस्टमेंट (बाहरी निवेश)

      चीन ने विदेशी निवेश को अपनी आर्थिक तरक्की का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है । वे उच्च निवेश और बाहरी मार्केटों में व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से विदेशी मुद्रा प्राप्त कर रहे हैं । इसके परिणामस्वरूप उनकी आर्थिक सक्रियता बढ़ी है और विश्व अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं

चीन आउटवार्ड इन्वेस्टमेंट (बाहरी निवेश) एक प्रक्रिया है जिसमें चीनी कंपनियाँ या व्यक्तियों द्वारा चीन के बाहर निवेश किया जाता है। यह विदेशी वित्तीय और व्यापारिक गतिविधियों में निवेश के माध्यम से होता है। यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है जो चीनी उद्यमिता और कंपनियों को विश्व अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका देती है।

चीनी आउटवार्ड इन्वेस्टमेंट के पीछे कई कारण हैं, जैसे:

  1. बाजार उपयोगिता: चीनी कंपनियों को विदेशी बाजारों के उपयोगिता और पोटेंशियल से लाभ हो सकता है। विदेशी निवेश के माध्यम से, वे नए ग्राहक वापसी और विपणन मौके ढूंढ सकते हैं जो अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए संभावित हैं।

  2. सामरिक और भूमिगत सुविधाएं: विदेशी निवेश चीनी कंपनियों को सामरिक और भूमिगत सुविधाओं का लाभ उठाने की संभावना प्रदान करता है। वे अपने उत्पादों के निर्माण और प्रदान करने के लिए नए बाजारों और संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।

  3. टेक्नोलॉजी और ज्ञान संसाधनों का उपयोग: चीनी कंपनियों को विदेशी निवेश के माध्यम से विदेशी टेक्नोलॉजी और ज्ञान संसाधनों का उपयोग करने का अवसर मिलता है। वे विदेशी संबंधों और विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग करके नए और उन्नत तकनीकी ज्ञान का लाभ उठा सकते हैं।

  4. भारी बाजारों का एकीकरण: विदेशी निवेश चीनी कंपनियों को भारी बाजारों में प्रवेश करने का एकीकरण करने की संभावना प्रदान करता है। वे विदेशी निवेश के माध्यम से ग्राहकों का आकर्षण कर सकते हैं और विपणन नेटवर्क का विस्तार कर सकते हैं।

चीनी आउटवार्ड इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह चीनी कंपनियों को विश्व अर्थव्यवस्था में प्रमुख खिलाड़ी बनाता है और उन्हें विदेशी मार्केटों में विपणन और वित्तीय मौद्रिक क्षेत्र में मजबूती प्रदान करता है।

निजीकरण और उद्यमिता 

        चीन ने व्यापारिक क्षेत्र में निजीकरण को प्रोत्साहित किया है और व्यापारिक उद्यमिता को बढ़ावा दिया है । इससे नये उद्योगों की स्थापना, रोजगार के संभावनाएं, नवाचार और नई प्रौद्योगिकियाँ विकसित हुई हैं, जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं ।   

निजीकरण और उद्यमिता दो महत्वपूर्ण आर्थिक प्रक्रियाएं हैं जो आर्थिक विकास और उद्योग को प्रोत्साहित करती हैं। ये दोनों प्रक्रियाएं कंपनियों और उद्यमियों को स्वतंत्रता, स्वाधीनता, और सक्रियता के साथ व्यापारिक क्षेत्र में बदलाव और विकास का माध्यम प्रदान करती हैं।

निजीकरण (प्राइवेटाइज़ेशन) एक प्रक्रिया है जिसमें सरकारी संस्थानों, उद्योगों, और सेवा प्रदायकों को निजी स्वामित्व में लिया जाता है। इसमें सरकार संसाधनों को निजी कंपनियों को सौंपती है जो इनके प्रबंधन और प्रदान किए जाने वाले सेवाओं का जिम्मा लेती हैं। निजीकरण का मुख्य उद्देश्य सरकारी संस्थानों को दक्षता, कुशलता, और आर्थिक प्रगति के लिए बेहतर व्यवस्था प्रदान करना होता है। इसके अलावा, निजीकरण के माध्यम से सरकारी संस्थानों को अधिक नवीनीकरण, तकनीकी प्रगति, और कारगरता का मौका मिलता है।

उद्यमिता (एंट्रेप्रेनरशिप) एक प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति (उद्यमी) नए व्यवसाय की स्थापना करने और व्यवसायी उपक्रमों में नई गतिविधियों को प्रारंभ करने के लिए आगे आता है। उद्यमिता का महत्वपूर्ण पहलु यह है कि इससे नए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं, आयोग्यता का स्तर बढ़ता है, वित्तीय और व्यापारिक स्वाधीनता मिलती है, और आर्थिक विकास होता है। उद्यमिता का महत्वपूर्ण कारक है क्यिउद्यमियों के द्वारा नवीन और नवाचारी विचारों का आविष्कार और प्रगति होती है। उद्यमिता व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और समाज के आर्थिक विकास को सुदृढ़ करती है। उद्यमिता आर्थिक स्वाधीनता, सामरिक न्याय, और सामाजिक उत्थान की संकल्पना को प्रोत्साहित करती है।

निजीकरण और उद्यमिता दोनों प्रक्रियाएं आर्थिक विकास और उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। निजीकरण द्वारा सरकारी संस्थानों को निजी स्वामित्व में लेकर उन्हें प्रभावी और दक्ष प्रबंधन का मौका मिलता है। उद्यमिता द्वारा व्यक्ति को स्वतंत्र व्यवसायी बनाकर नए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं और समाज को नवीन और उन्नत उत्पादों और सेवाओं का लाभ मिलता है।

इन दोनों प्रक्रियाओं का सही मिश्रण एक आर्थिक परिदृश्य को सुदृढ़ करता है और उद्योग, रोजगार, और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में मदद करता है। इसलिए, निजीकरण और उद्यमिता को आर्थिक विकास के प्रमुख तत्वों के रूप में माना जाता है जो व्यापारिक संदर्भों में सक्रिय होते हैं।

निर्यात और विदेशी व्यापार 

          चीन विश्व बाजारों में उनके निर्यात को बढ़ाने के लिए कई उपाय अपना रहे हैं । वे विदेशी व्यापार के लिए उत्पादों की उच्च गुणवत्ता, कम लागत, और मजबूत विपणन प्रणाली प्रदान कर रहे हैं । इससे उनकी निर्यात बढ़ी है और विदेशी मुद्रा के प्रवाह को बढ़ावा मिला है । 

चीन एक प्रमुख निर्यात और विदेशी व्यापार राष्ट्र है, जो विश्व अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीन का निर्यात और विदेशी व्यापार उद्योग, औद्योगिक उत्पादों, सेवाओं, और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में व्यापारिक गतिविधियों को सम्मिलित करता है।

चीन के निर्यात और विदेशी व्यापार के अहम् बिंदुगत ये हैं:

  1. विदेशी बाजार प्रवेश: चीन के निर्यातकों को विदेशी बाजारों में प्रवेश करने के लिए अवसर मिलता है। चीनी उत्पादों की गुणवत्ता, कीमत, और मान्यता के कारण, वे विदेशी बाजारों में महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। चीनी कंपनियाँ अब तक विभिन्न विपणन संबंधी मुद्दों का सामना करती हैं, जैसे मानकों और विनिर्माण अनुबंधों की अनुकूलता, विदेशी बाजारों की नैतिकता और कानूनी तत्वों का पालन।

  2. विदेशी निवेश: चीन ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया है और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है। विदेशी निवेश के माध्यम से चीनी कंपनियों ने विदेशी बाजारों में स्थानांतरण किया है और विदेशी मुद्रा प्राप्त की है। विदेशी निवेश की वजह से चीनी कंपनियों का विश्वस्तरीय उपस्थान बढ़ा है और उन्हें विश्वस्तरीय मानकों, तकनीकी ज्ञान का लाभ, और नवीनीकरण की संभावनाएं मिली हैं।

  3. निर्यात समर्थन नीति: चीन सरकार ने विभिन्न निर्यात समर्थन नीतियाँ अपनाई हैं जो निर्यात सेक्टर को प्रोत्साहित करती हैं। वे निर्यात उद्योगों को वित्तीय समर्थन, कर्मियों कआर्थिक संकल्पना और प्रगति में वृद्धि, विपणन और विपणन रसोई, विदेशी मुद्रा आय, प्रदायक और उद्योग की विकास दक्षता, वैदेशिक निवेश के लिए निवेश नीतियों और सुविधाओं का प्रबंधन करने में मदद करती हैं। चीन अपनी उद्योगिकता, विनिर्माण ऊर्जा संरचना, प्रौद्योगिकी और नवीनीकरण में प्रगति कर रहा है जो उद्यमियों और कंपनियों को निर्माण के लिए अवसर प्रदान करता है।

चीन के निर्यात और विदेशी व्यापार के माध्यम से उन्नति हो रही है और यह उद्यमियों को ग्राहकों के बाजारों और स्रोतों के लिए अधिक विकासशील और ग्लोबलीकृत बनाता है। चीनी निर्यातकों का विश्व बाजारों में बढ़ता हुआ हिस्सा निर्माण, उद्योग, टेक्नोलॉजी, और सेवा संबंधी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हो रहा है। चीन के विदेशी व्यापार में गतिविधियों का विस्तार भारत, अफ्रीका, अमेरिका, और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में हो रहा है।

चीन के निर्यात और विदेशी व्यापार का सफलतापूर्वक मानव संसाधनों, टेक्नोलॉजी और नवीनता के साथ उपयोग करना, विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाना, और नैतिकता और कानूनीता का पालन करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए चीन सरकार कई नीतियाँ और उपाय अपनाती है जो निर्यात और विदेशी व्यापार को समर्थन करती हैं और उद्यमियों को अधिक बढ़त और प्रगति का मार्ग प्रदान करती हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश 

         चीन ने विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिससे उनकी आर्थिक विकास और व्यापारिक गतिविधियों को सुदृढ़ किया गया है । यह उनकी सड़क, रेलवे, बंदरगाह, उड़ानभरण, ऊर्जा और डिजिटल संचार इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के माध्यम से हुआ है ।   

         चीन ने अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बनाया है और इसे अपनी आर्थिक और सामाजिक विकास की प्रमुख चुनौतियों का सामना करने का एक माध्यम माना है। इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के माध्यम से चीन सड़क, रेल, हवाई मार्ग, बंदरगाह, ऊर्जा, टेलीकम्यूनिकेशन, नलकूप, औद्योगिक क्षेत्र आदि में उद्यमों को प्रशस्त करने और विकास को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।

चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के महत्वपूर्ण बिंदुगत ये हैं:

  1. शहरी विकास: चीन ने शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। यहां शामिल हैं शहरी सड़कों, पुलों, टनलों, सड़कों, इलेक्ट्रिकल ग्रिड, पानी सप्लाई, नलकूप, औद्योगिक क्षेत्रों की सुविधाएं और शहरी वातावरण परियोजनाएं। इसका मुख्य उद्देश्य शहरों की आवास और परिवहन क्षमता में सुधार कर जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करना है।

  2. परिस्थितिकी और ऊर्जा: चीन ने ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दिया है। यहां शामिल हैं ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा संगठन, ऊर्जा संचार, ऊर्जा परिवहन, और ऊर्जा संभालने के प्रोजेक्ट्स। चीन ने अत्यधिक प्रदूषण और ऊर्जा आपूर्ति की चुनौतियों का सामना करते हुए विकास के लिए पर्यावरणीय और जीवाश्मी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया है।

  3. बाहरी व्यापार और यातायात: चीन ने बाहरी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अपनी यातायात इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है। शामिल हैं बंदरगाह, हवाईअड्डे, रेलवे लाइनें, और जलमार्ग परियोजनाएं। यहां का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, वाणिज्यिक संचार को सुविधाजनक और कार्यकारी बनाना, और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।

  4. राष्ट्रीय उद्यान, जलप्रपात, और पर्यटन: चीन ने अपने पर्यटन और आकर्षण स्थलों के विकास के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश किया है। यहां शामिल हैं राष्ट्रीय उद्यान, जलप्रपात, पर्यटनीय परियोजनाएं और पर्यटन सुविधाएं। चीन ने पर्यटन को महत्व दिया है और अपने प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहरों, और ऐतिहासिक स्थलों के प्रशासन और विकास को मजबूत किया है।

    5.  परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर: चीन ने पारिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में विशेष ध्यान दिया है। यहां शामिल हैं बेहतर रेलवे संचार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे, महासागरीय पोत, और उच्च गति रेल मार्गों का निर्माण। इससे चीन लोगों और सामग्री को सुरक्षित और आसानी से यात्रा करने की सुविधा प्रदान करता है और व्यापार और व्यापार को सहज बनाने में मदद करता है।

    6. ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर: चीन ने ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। यहां शामिल हैं बांधकाम परियोजनाएं, विद्युत उत्पादन संयंत्र, ऊर्जा संगठन, और विद्युत बिजली ग्रिड का निर्माण। चीन विद्युत उत्पादन क्षमता में अग्रणी है और ऊर्जा स्वरूपों, जैसे कि सौर, वायु, जल और आधुनिक ऊर्जा स्रोतों के लिए विशेष महत्व देता है।


            इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के माध्यम से चीन ने अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, जिसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्यमों, व्यापार, और आर्थिक सुविधाओं को प्रोत्साहित किया है। यह निर्माण क्षमता, लोगों के पहुंच को सुधारने, विकास के लिए अवसर प्रदान करने, और आर्थिक सामरिकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश एक महत्वपूर्ण कारक है जो उन्नति और सुविधा को संभालने में मदद करता है और देश को ग्लोबल विकास के मार्ग पर अग्रसर करता है।

       चीन ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान को महत्व दिया है और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति की है । उनके विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी ज्ञान की मान्यता बढ़ी है, जिससे उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फायदा मिला ।   

        चीन उच्च शिक्षा और अनुसंधान में बड़ी प्रगति कर रहा है और यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो देश के आर्थिक और तकनीकी विकास को समर्थन करता है। चीन ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान को महत्वपूर्ण रखा है और बड़े स्तर पर निवेश किया है ताकि उद्यमियों, वैज्ञानिकों, और अनुसंधानकर्ताओं को उनकी ऊर्जा और नवीनता को संवारने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए अवसर मिलें।

चीन के उच्च शिक्षा और अनुसंधान के महत्वपूर्ण बिंदुगत ये हैं:

  1. शिक्षा प्रणाली: चीन ने अपनी शिक्षा प्रणाली को सुधार करने पर विशेष ध्यान दिया है। यहां शामिल हैं उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास, पाठ्यक्रमों की समीक्षा, गुणवत्ता मानकों का पालन और नवीनता के अनुसार कौशल विकास को प्रोत्साहन। चीन ने विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार किए हैं और नवीनता, तकनीक, और विज्ञान के क्षेत्र में मान्यताओं को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए हैं।

  2. अनुसंधान और नवीनता: चीन ने अनुसंधान और नवीनता को अपनी प्राथमिकता बनाया है। यहां शामिल हैं वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियाँ, और औद्योगिक एकीकरण और प्रगति। चीन अनुसंधान क्षेत्र में अग्रणी हो रहा है और वैज्ञानिकों को सामरिक और उद्योगिक आधारित अनुसंधान करने के लिए अवसर प्रदान करता है। चीनी वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अविष्कार किए हैं, जैसे कंप्यूटर विज्ञान, जैव विज्ञान, ऊर्जा प्रबंधन, औरनवाचारी प्रौद्योगिकी।

  3. विदेशी विद्यार्थी और उपस्थिति: चीन ने अपने उच्च शिक्षा क्षेत्र में विदेशी विद्यार्थियों के लिए आकर्षक मौके प्रदान किए हैं। चीन में कई विश्वविद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है और विदेशी छात्रों को नवीनता, बांधकाम क्षमता, और वैश्विक संवाद की स्थापना करने का मौका मिलता है। इससे चीन को वैश्विक शिक्षा नेतृत्व में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने का मौका मिला है।

  4. उद्योग-शिक्षा संबंध: चीन में उद्योग-शिक्षा संबंध महत्वपूर्ण है। यहां शामिल हैं उद्योग संस्थानों के साथ औद्योगिक संबंध, तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और गतिविधियाँ। चीनी उद्योगों ने उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ साझा कार्य किया है और उन्हें अनुसंधान और विकास के लिए उच्च गुणवत्ता विज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान प्रदान करते हैं।

चीन का उच्च शिक्षा और अनुसंधान उच्च गुणवत्ता, नवीनता, और अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह उद्यमियों, वैज्ञानिकों, और अनुसंधानकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है और विभिन्न क्षेत्रों में नवीनता और प्रगति की संभावनाओं को संवारने में मदद करता है। चीन इंफ्रास्ट्रक्चर, बाहरी निवेश, विदेशी व्यापार, और उच्च शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से अपने आरथिक विकास को प्रमोट करता है और देश को ग्लोबल मंच पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में मदद करता है।

विनिर्माण उद्योग 

           चीन ने विनिर्माण क्षेत्र में विश्वस्तरीय महत्वपूर्ण योगदान दिया है । वे दुनिया के सबसे बड़े निर्माण कारख़ानों को होस्ट करते हैं और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण करते हैं । चीन के विनिर्माण सेक्टर ने उन्नति के लिए विश्वस्तरीय मानक स्थापित किए हैं ।   बाहरी निवेश चीन ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया है और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है । उन्होंने विदेशी सीमाओं को समाप्त करके विदेशी निवेशकों को आसानी से अपने व्यवसायों में प्रवेश करने की सुविधा प्रदान की है । चीनी कंपनियों का विदेशी निवेश अब तक कई विभाजनों को प्राप्त हुआ है और उन्हें विश्वस्तरीय उपस्थिति देने में मदद मिली है ।   

चीन विनिर्माण उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और विश्व भर में अपनी मजबूती और प्रगति के लिए प्रसिद्ध है। चीन विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी है और विविधता, वैश्विक मंच पर प्रभाव, और ऊर्जा क्षमता की उच्च स्तर पर उपलब्धता के कारण मशहूर है।

चीन के विनिर्माण उद्योग के महत्वपूर्ण बिंदुगत ये हैं:

  1. उद्यमिता और व्यापारिक माहौल: चीन का विनिर्माण उद्योग व्यापारिक माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीन में उद्यमियों को सुविधाजनक माहौल, उच्च स्तर की प्रौद्योगिकी और सामरिक मूल्य के साथ ऊर्जावान बाजार प्रदान किया जाता है। यह उद्योगियों को नवीनता और प्रगति के लिए अवसर प्रदान करता है और उन्हें विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार करता है।

  2. विनिर्माण क्षमता: चीन विनिर्माण क्षमता में मजबूती रखता है और अपने उद्योगों के विकास के लिए प्रमुख धाराओं को पूरा करता है। चीन में उच्च स्तर की तकनीकी क्षमता, संसाधनों की प्रभावी उपयोगिता, और कार्यक्रमों के माध्यम से उद्योगों को विनिर्माण करने और उत्पादन करने में मदद की जाती है।

  3. उच्च गुणवत्ता उत्पादन: चीन अपनी उच्च गुणवत्ता उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। चीनी कंपनियाँ विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप उत्पादन करती हैं और उत्पादों की गुणवत्ता और मानकों की पालना करने के लिए प्रयास करती हैं। इससे चीनी उद्योगियों को विश्वव्यापी बाजारों में मजबूती से स्थान बनाने में मदद मिलती है।

  4. उद्योग संरचना और एकीकरण: चीन ने अपनी उद्योग संरचना को और एकीकरण को महत्व दिया है। यह शामिल है उद्योग क्षेत्रों के संगठन, प्रबंधन को अपग्रेड, और उद्योगों के बीच तंत्रिका सुविधाओं का निर्माण। इससे चीन अपनी उद्योग संरचना को प्रभावी और सुविधाजनक बनाने में सक्षम हुआ है और विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण की संभावनाओं को बढ़ावदेता है। चीनी उद्योगों का एकीकरण और संरचना उन्नति को प्रोत्साहित करता है और उन्हें बड़े स्तर पर मजबूती और प्रभाव देता है।

चीन का विनिर्माण उद्योग विश्वस्तरीय दर्जे का है और उच्चतम मानकों की पालना करता है। यह देश एक वैश्विक उद्योगिकरण केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है और विनिर्माण क्षेत्र में नए और नवीनतम प्रौद्योगिकी, विकसित संरचना, और ऊर्जावानता के अवसरों को प्रोत्साहित करता है। चीन के विनिर्माण उद्योग ने देश को उद्यमिता, नवीनता, और विकास के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ाहैं।


बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं 

        चीन की आर्थिक तरक्की के लिए वित्तीय सेवाओं और बैंकिंग का महत्वपूर्ण योगदान है । वे बड़ी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को स्थापित करने के माध्यम से वित्तीय सेवाओं के लिए एक स्थायी और सुरक्षित मार्ग प्रदान कर रहे हैं । चीनी बैंकिंग सेक्टर की सुरक्षा, स्थायित्व और प्रगति उनकी आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ।  

चीन बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं दुनिया भर में महत्वपूर्ण हैं और देश की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चीन के बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में कई महत्वपूर्ण कारक शामिल हैं:

  1. चीनी बैंक: चीन में कई प्रमुख बैंक हैं जो वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं। चीनी बैंकों में सबसे प्रमुख हैंगकांग और चीन बैंक (Hong Kong and Shanghai Banking Corporation - HSBC), चीन बैंकिंग निगम (Bank of China), चीन जीवन बीमा (China Life Insurance) और चीन कन्ट्रोल (China Construction Bank) शामिल हैं। ये बैंक विभिन्न वित्तीय सेवाएं, जैसे वित्तीय संरचना, ऋण और ऋण निगम, वित्तीय निवेश और बीमा प्रदान करते हैं।

  2. विदेशी निवेश: चीन ने अपने बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी खुला है। चीनी बैंकों ने विदेशी निवेश और संपत्ति के प्रबंधन में मजबूती प्रदान की है और विदेशी कंपनियों को वित्तीय सहायता और सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हुए हैं।

  3. शेयर बाजार: चीन के पास अपना शेयर बाजार है, जिसमें आम जनता के लिए शेयरों की खरीदारी और बेचने का मौका होता है। शेयर बाजार चीनी बैंकों और कंपनियों को पूंजीपति जुटाने, नवीनता को प्रोत्साहित करने, और आर्थिक विकास को संभालने में मदद करता है।

  4. डिजिटल वित्तीय सेवाएं: चीन में डिजिटल वित्तीय सेवाएं भी महत्वपूर्ण हैं। चीन के बैंकों ने डिजिटल पेमेंट सेवाएं, ई-वालेट, और इंटरनेट बैंकिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके आसान और सुरक्षित वित्तीय सेवाएं प्रदान की हैं। यह व्यापारियों और उपभोक्ताओं को आसानी से लेन-देन करने की सुविधा प्रदान करता है।

चीन की बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं देश की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उद्यमियों, व्यापारियों, और व्यक्तियों को आर्थिक सहायता और सेवाएं प्रदान करने में मदद करती हैं। इसके अलावा, चीन की वित्तीय सेवाएं बैंकिंग सुविधाओं, निवेश अवसरऔर ऋण प्रणालियों को सम्पूर्णता देती हैं।

शनिवार, 3 जून 2023

भारत और चीन के बीच सीमा पर विवादित स्थानों की जानकारी हिंदी में

 भारत और चीन के बीच सीमा पर विवादित स्थानों की जानकारी हिंदी में

Border Meeting India and china Officers
     भारत और चीन के बीच कई सीमाओं पर लम्बे समय से सीमा विवाद हैं, जिनमें निम्न स्थान शामिल हैं:
      1.आक्साईचिन: आक्साईचिन एक विवादित क्षेत्र है जो भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। चीन इस क्षेत्र को अपना दावा करता है और इसे अपनी आधिकारिक भूमि मानता है।

    2.पांगोंग झील: पांगोंग झील जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख विभाग में स्थित है और यह भी विवादित है। चीन और भारत दोनों इस क्षेत्र का मालिकाना दावा करते हैं और यहां आक्रमणों की सूचनाएं रिपोर्ट की गई हैं।

      3.डोकलाम: डोकलाम त्रिकोणमण्डल में भारत, चीन, और भूटान के बीच एक विवादित स्थान है। इस सीमा पर विवाद 2017 में हुआ था, जब भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच तनाव उभरा था।

      मोदी सरकार लम्बे समय से इन स्थानों को लेकर अलग अलग स्तर की वार्तालाप जारी हैं। दोनों ही देश जनसंख्या और आर्थिक दृष्टि से दुनिया सबसे बड़े देशो में हैं। दोनों परमाणु सम्पन देश हैं। दोनों देश अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए आने वाले समय में किसी स्थाई समाधान की और बढ़ेंगे। यही दोनों देशो और दुनिया के लिए सुखद होगा।


गुरुवार, 30 मार्च 2023

कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर सुखद समाचार

 मानारोवर की यात्रा अब मात्र 7 दिन में

  भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत के दर्शन कोन श्रद्धालु नही करना चाहेगा। भारतीय लोगो के लिए हमेशा से ही मानसरोवर यात्रा चुनौतीपूर्ण रहीं हैं। चीन नेपाल रास्ते से कैलाश दर्शन जटिलताओं और डर से भरा होता हैं।भारत सरकार के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार 2023 में सड़क निर्माण पूर्ण हो जायेगा अभी तक निर्माण कार्य 85%तक पूरा हो चुका हैं।

मानसरोवर का भारतीय मार्ग

 भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा मानसरोवर यात्रा के लिए 3 रास्ते निर्धारित हैं।लिपुलेख दर्रा जो उत्तराखंड से गुजरता है। द्वितीय मार्ग हैं नाथुला दर्रा जो सिक्किम से निकलता हैं और तीसरा रास्ता हैं जो काठमांडू से होकर जाता है ।और ये तीनो रास्ते ही जोखिम से भरे हुए हैं जिसमे 25 से 30 दिन का वक्त लगता हैं।


नया मार्ग अब मात्र 7 दिन में पूर्ण होगा।

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर 2023 में भारत के श्रद्धालु उतराखंड के पिथौरगढ़ से 25 दिन की यात्रा मात्र 7 दिन में सुगमता से पूर्ण कर पाएंगे।


मानसरोवर के नए रूट की सम्पूर्ण जानकारी 


 

जहां लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर पहुंचने में यात्रियों को बर्फीले मौसम का सामना करते हुए 19500 फीट की ऊंचाई पर करीब 90 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती हैं। अब इन यात्रियों को उत्तराखंड के पिथौरगढ़ से मनारोवर के लिए पिथौरगढ़ से तवाघाट तक 107.6 किलोमीटर तथा तवाघाट से घटियाबाढ़ तक 19.5 किलोमीटर सिंगल लेने हैं जिसे BRO द्वारा डबल रोड में बदला जा रहा हैं। और तीसरा घटियाबगढ से लिपुलेख दर्रे यानी चीन सीमा तक हैं जो करीब 80 किलोमीटर तक पैदल यात्रा द्वारा ही तय किया जा सकता हैं। Read More...

गुरुवार, 16 मार्च 2023

चीन के सस्ते सामान की पड़ताल-हिंदी में

 

 चीन के उत्पादों की घटिया गुणवता सचाई  

  पिछले कुछ वर्षों से चीन ने अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा सकती हैं। इसका निर्माण के क्षेत्र में अच्छी बढ़ोतरी। साथ में चीन की जनसंख्या अपने देश के लिए वरदान साबित हुई हैं।वर्ष 1987 में भारत और चीन की  अर्थव्यवस्था लगभग बराबर की थी।और दोनो देशों की नेक टू नेक GDP per capita इनकम 1990 तक भारत चीन से अमीर देश था। और आज चीन की अर्थव्यवस्था भारत से 6 गुणा बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी हैं। जहा चीन विश्व में दो नंबर की आर्थिक शक्ति बन चुका हैं और भारत पिछले एक दशक से वापस पटरी पे आते हुए दुनिया की 5th नंबर की आर्थिकी शक्ति बनने में कामयाब हुआ हैं।आज भी भारत की आर्थिक विकास दर में सेवा क्षेत्र की भागीदारी 61.5% हैं और चीन अभी भी 52.2% ही सेवा क्षेत्र का योगदान करने में कामयाब हुआ हैं। कृषि के क्षेत्र में भारत की GDP में 15.4% का हिसा हैं और चीन का मात्र 8.3% भागीदारी कृषि क्षेत्र से आती हैं। मुख्य अंतर हैं वो हैं निर्माण के क्षेत्र में जहां भारत की भागीदारी मात्र 23% हैं और चीन की भागीदारी 39.5% हैं। और इसी क्षेत्र के कारण चीन ने 33 वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में तेजी से काम किया। लेकिन अब उस तेजी पर ब्रेक लगते दिखाई दे रहे हैं उसका मुख्य कारण हैं उत्पादों की घटिया गुणवत्ता। चीन ने तेजी के चक्कर में विश्व बाजार में सस्ता और घटिया गुणवत्ता का समान उपलब्ध कराया।  लेकिन पूरे विश्व में निर्माण के क्षेत्र में संसाधनों के अभाव के कारण उत्पादन में भारी कमी थी जिसके कारण पूरे विश्व के देश चीन के माला को वरीयता देते थे। लेकिन अब समय बदल गया हैं और मुख्य कॉविड -19 के बाद ऐसी बहुत से उदहारण सामने आए जिससे चीन के उत्पादों की घटिया गुणवत्ता की पोल खोल दी। और भारत जैसे देश ने तो अपना पूरा ध्यान मेड इन इंडिया पे फोकस कर दिया हैं। और विश्व में अपनी विश्वसनीयता का बढ़ा रहा हैं।

 

म्यांमार को दिया खराब एयरक्राफ्ट

पाकिस्तान और चीन ने मिलकर JF -17 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बेचे गए थे। यह एयरक्राफ्ट पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर तैयार किए थे। जिसमे तकनीकी खराबी आने के कारण आपात लैंडिंग करनी पड़ी। और अब पाकिस्तान से तकनीकी टीम म्यांमार पहुंची हैं। इससे चीन के एयरक्राफ्ट एक्सपोर्ट के क्षेत्र को बड़ा झटका माना जा रहा हैं। म्यांमार सरकार ने आंतरिक विद्रोहियों से निपटने के लिए ये क्राफ्ट खरीदे थे क्योंकि म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सूं की को जेल भेजे और रोहिंग्या संकट के चलते पश्चिमी देशों ने म्यांमार को हथियारों की सप्लाई करने से इन्कार कर दिया था। और इसी कारण चीन और म्यांमार के आपसी सम्बन्धों में निकटता आई थी। लेकिन इस पहली डील में इस खराब क्राफ्ट के कारण झटका लगा हैं। चीन भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश ,श्रीलंका,नेपाल पाकिस्तान ओर म्यांमार को हथियारों की सप्लाई कर भारत पर दवाब बनाने की कोशिश करता रहता हैं।


भारत जल्द लागू करेगा भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

मोदी सरकार अस्तित्व में आने के साथ ही मेड इन इंडिया को आगे बढ़ाने को लेकर गंभीर हैं इसलिए अब चीन से आने वाले उत्पादों को भारतीय मानक ब्यूरो के मापदंडों पर खरा उतना होगा। इससे भारतीय व्यवसाय को फायदा होगा।और भारत में आने वाले घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों पर नकेल कसी जायेगी। भारत ने 371 उत्पादों को चिन्हित किया हैं क्योंकि भारत खिलोने और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स का बड़ा आयातक देश हैं।


आईफोन ने किया भारत का रुख


आईफोन निर्माता Apple कंपनी सहित दुनिया की बहुत सी कंपनी अपना कारोबार चीन से समेत कर जा रही हैं एप्पल ने अपना चीन वाला  प्लांट भारत में  विस्तापित करने की घोषणा कर दी हैं। अब विश्व में प्रत्येक 3rd आईफोन मेड इन इंडिया होगा।साथ ही कंपनी 2025 तक मैक, आईपैड,एप्पल वॉच समेत 25% उत्पादन चीन से बाहर निर्माण कार्य शुरू करने का प्लान बना रही है।चीन दुनिया की फैक्ट्री क्यों कहलाता हैं चीनी अर्थव्यवस्था में 40% हिस्सा निर्माण क्षेत्र का होता हैं। चीन वो देश हैं जिसमे दुनिया में काम  आनेवाले अधिकांश वस्तुओ का निर्माण करता हैं। यह बात आश्चर्य करने वाली हैं की चीन में ऐसा क्या हैं की उसे दुनियां को वो प्रतेक उत्पाद बना कर देने की क्षमता रखता हैं।

 

मुख्यत ये पांच कारण हैं


1.चीन में सस्ता और अधिक संख्या में श्रम की उपलब्धता

2.चीन में बाल श्रम पर भी कम प्रतिबंध माने जाते हैं।

3 चीन में व्यापार करने के लिए अनुकूल माहौल हैं। सरल कागजी कारवाई, कम टैक्स,अलग अलग इकोनॉमी जोन जो निर्माण क्षेत्र के लिए बनाए गए हैं।अच्छा ढांचागत भी निर्माण को बढ़ाने में सहायक हुआ हैं। साथ में सप्लाई चेन भी बहुत मजबूत हुई हैं।

4.सरकार के नियमो का सरलीकरण

जहां पूरी दुनिया में निर्माण क्षेत्र में बाल श्रम,अन्नेच्छिक श्रम, स्वास्थ और सुरक्षा के मापदंडों के साथ पर्यावरण के साथ सामाजिक जिम्मेदारियों की पालना के लिए अधिक जोर दिया जाता हैं। पर चीन में इन दिशा निर्देशों की पालना नहीं करने के लिए जाना जाता हैं।

5.सरकारी टैक्स

सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष रियायती दरों पर सुविधाओ के साथ साथ सब्सिडी भी देती हैं ताकि निर्माता विश्व बाजार में अपने प्रोडक्ट को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सके। साथ में चीन हमेशा से सभी सेगमेंट की मैनपावर को टारगेट करता हैं जिसके कारण निम्न टपके से लेकर प्रीमियम लोगो के लिए उत्पादों का निर्माण किया जाता है।मुद्रा पर नियंत्रण करके भी चीन हमेशा युआन के मुकाबले डॉलर को कमजोर करने के लिए समय समय पर कदम उठाता रहता हैं

    चीन आज भी अमीरिका जैसी आर्थिक शक्ति का लेनदार हैं वो अमरीका पे वर्तमान में भी करीब 1.2 ट्रिलियन डॉलर अमरीका से लेनदार हैं। तथा जहां अमरीका को इकोनॉमी size $25.35 ट्रिलियन की हैं। जबकि चीन की लगभग $19.91 ट्रिलियन की इकोनॉमी हैं।

      चीन के उत्पाद गुणवता और सस्ते होते हैं।यह केवल भ्रांति हैं की चीन सस्ते उत्पाद तैयार करता हैं। बल्कि चीन के 30% उत्पाद ही सस्ते हों सकते हैं बाकी बाजार के अनुसार ही कीमत होती हैं। और चीन हर वर्ग को ध्यान में रखकर निर्माण करता हैं। उद्धारण के तौर पे एक पेन  रुपया 5/- यूनिट का भी बनाता हैं तो रुपया 50/-यूनिट की भी बनाता हैं तो ये कहना  गलत होगा की चीन सभी वस्तुएं सस्ती और कम गुणवता की बनाता हैं। वर्ल्ड क्वालिटी इंडेक्स भी इस बात की पुष्टि करता हैं

गुरुवार, 9 मार्च 2023

चीन के प्रधानमंत्री बने ली कियांग -China Congress conference 2023

 

शी जिनपिंग का तीसरे कार्यकाल का रास्ता प्रशस्त

 
      चीन में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक में चीन के दूसरे सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति ली कियांग के नाम का एलान हो गया हैं।  ली कियांग चीन में नौकरशाह रहे हैं।और शी जिनपिंग के वफादार लोगो में शुमार माने जातें हैं। ली कियांग एक विद्वान और व्यवहारिक दिमाग वाले व्यक्ति माने जाते हैं। और निजी   क्षेत्र और नौकरशाही में अच्छी पकड़ रखते हैं।और वो चीन के सबसे अधिक आर्थिक रूप से बढ़नेवाले क्षेत्र के प्रभारी रहे हैं। जो चीन की धीमी पड़ती आर्थिक गतिविधियों के लिए सही साबित हो सकते हैं। ली कियांग इससे पूर्व शंघाई में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख रह चुके हैं। वो सेवानिवृत होने जा रहे प्रधानमंत्री ली केकियांग का स्थान लेंगे।रविवार को शी चिनपिंग तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी के मुखिया बने। पार्टी के 20 वे अधिवेशन यह निर्णय लिया गया। इसके साथ ही उन्होंने चीन का राष्ट्रपति बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया अब वो तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे।

शंघाई  का एक और नेता शीर्ष नेतृत्व में शुमार।

शंघाई चीन के मुख्य शहरो में से एक हैं जिस जगह से ली कियांग का संबंध हैं।इससे पहले भी चाउ एनलाई और हुआ गुओफेंग को सीधे प्रधानमंत्री की सीधे जिम्मेदारी दी गई थी।और ये दोनों भी चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग के वफादार थे।शी जिनपिंग के भाषण में भारत को मैसेज।चीन में एक सप्ताह तक चली राष्ट्रीय कांग्रेस के 20 वे अधिवेशन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही देश के तीसरे कार्यकाल के लिए पुख्ता हो गए हैं। अब उनकी गिनती चीन के संस्थापक से भी ताकतवर नेता के रूप में होने लगी हैं। अपने भाषण में शी ने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन 2027 तक पीपल लिब्रेशन आर्मी (PLA) को वर्ल्ड क्लास सेना बनाने पर बल देके यह भी बता दिया की चीन परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा हैं।शी ने खुलासा किया की एक मजबूत रणनीति सिस्टम तैयार होगा जो किसी भी प्रकार के हमले का जवाब देने में सक्षम होगा।साफ तौर पर शी जिनपिंग का इशारा रॉकेट फोर्स और स्ट्रेटेजिक फोर्स का बढ़ाने को लेकर था।

स्थानीय युद्ध और शी जिनपिंग

शी जिंगपिंग का स्थानीय युद्ध की बात कहने का मतलब साफ समझा जा सकता हैं। वर्तमान में ताइवान के साथ सीमा विवाद की टेंशन और पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव बढ़ सकता हैं क्योंकि चीन तिब्बत में पहले से ही अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में लगा हुए हैं।यह सही हैं की शी जिनपिंग जून 2020 के अधिवेशन में गलवान हिंसा की क्लिप दिखाकर अपनी आक्रमकता का इशारा कर चुके थे।की चीन लंबे समय तक भारत के साथ खराब रिश्ते झेलने के लिए तैयार हैं। क्योंकि उनको पता हैं। भारत की सैनिक शक्ति अब विश्व स्तर में तब्दील हो चुकी हैं। और विश्व में भारत का समर्थन भी उसको चिंता में डालता हैं। इसलिए वो हिमाकत नही कर सकता लेकिन भारतीय सीमाओं पे अपना दबाव बनाए रखने की पूरी कोशिश करेगा जो उसकी रणनीति का हिस्सा हैं।

चीन और अमेरिका

चीन हमेशा आक्रमकता दिखाता हैं। और वो जनता हैं की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके खिलाफ कैसा माहोल हैं।इसलिए शी ने ताइवान और PLA तक का जिक्र किया शी ने साफ किया की इस सदी के माध्यम तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनेगा। और चीन मानवता,वैज्ञानिक समाजवाद,और चीनी बुद्धिमता पर आधारित एक नई पेशकश करेगा।

चीन की चिंता

शी चिनपिंग के भाषण से एक बात साफ़ हैं की अंतराष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि से उसको अब डर लगने लगा हैं इसलिए शी ने अपने भाषण में तकरीबन 100 टाइम्स सुरक्षा शब्द का प्रयोग किया इससे पहले वो 2017 में भी तकरीबन 50 बार सुरक्षा शब्द का प्रयोग कर चुके हैं। शी ने साफ किया की  भ्रष्टाचार को समाप्त करना उनकी प्राधमिकता रहेगी। शी का भाषण में विज्ञान और तकनीकी ,आविष्कार,सुरक्षा के साथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में निवेश की बात करके साफ किया की देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन अपना इन्वेस्टमेंट जारी रखेगा।


शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

चीन का दुश्मन देशों से व्यापार

          चीन का निर्यात दुश्मन देशों को

हम जानते हैं की अमरीका दुनिया में नंबर वन की आर्थिक महाशक्ति हैं और चीन नंबर टू की आर्थिक शक्ति हैं। चीन अमरीकी संबंध वियतनाम एंड कोरिया युद्ध के समय से हमें जटिलताओं से भरे रहे हैं।और आज भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में आधिपत्य की लड़ाई जारी है। अमेरिका हमेशा से चीन को मानवाधिकारों का उलंघन करने का दोषी मानता हैं और कोरोना का वायरस का जनक भी वो चीन को ठहराता है।  ताइवान की स्वायता को लेकर भी लंबे समय से दोनो देशों के बीच आपसी खींचातान देखी जाती है। इन सब के बावजूद अमरीका व चीन के आर्थिक संबंध 21 वी सदी के सबसे अधिक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के तौर पे देखे जा सकते हैं। साल 2014 के बाद अमरीका का व्यापारिक संबंधों का झुकाव चीन से भारत की तरफ बढ़ रहा हैं और दोनो देश ट्रेड के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी एक दूसरे के सहयोगी के रूप में उभरे है।  जन्हा चीन के दुश्मन देशों में अमरीका टॉप पे हैं व साथ में ताइवान,ऑस्ट्रेलिया,दक्षिणी कोरिया और जापान सहित मलेशिया,वियतनाम, हॉन्ग कॉन्ग सभी देशों के साथ रिश्ते हमेशा कड़वाहट भरे ही रहे हैं और आज भी इनके बीच विवाद का कोई न कोई विषय बना रहता है। एक रूस जो की मित्र देशों में चीन की टॉप लिस्ट में हैं। इन सब के बावजूद चीन का सबसे अधिक निर्यात भी इन्ही देशों के साथ होता है। यह सब चीन की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत जड़ों का नतीजा हैं की वो अपनी आर्थिक गति को बनाए रखा हैं। आज हम आपको बताते हैं की चीन दुनिया में अपने दुश्मन देशों से कितना निर्यात करता हैं ।

चीन - अमरीका व्यापार -

      चीन की जापान के बाद अमरीका से सबसे बड़ी लेनदारी हैं। इसके बावजूद साल 2022 में चीन ने अमरीका को 759.4 अरब डॉलर का निर्यात किया हैं जो चीन के द्वारा किया हुआ किसी भी देश के साथ सबसे अधिक एक्सपोर्ट हैं और अमरीका चीन के साथ दुश्मन नंबर एक साथ व्यापारिक रिश्ते भी नंबर वन पर कायम हैं।

दक्षिणी कोरिया चीन व्यापार -

       चीन का 2nd सबसे बड़ा एक्सपोर्ट दक्षिणी कोरिया को करता है। ये निर्यात बढ़कर 362.3 अरब डॉलर का हो चुका हैं। इसमें कोरिया चीन से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिकल वी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आयत करता हैं साथ ही मशीनरी,न्यूक्लियर रिएक्टर,बॉयलर,आयरन,स्टील, केमिकल इंजीनियरिंग,फर्नीचर सहित बहुत सी जरूरतों की पूर्ति चीन से करता हैं।

जापान चीन व्यापार -

        चीन 357.4 अरब डॉलर के साथ 3रा बढ़ा एक्सपोर्ट करने वाला देश जापान हैं जो चीन से टेलीफोन,मोबाइल,कंप्यूटर , इंटीग्रेटेड सर्किट्स वी मोटर विहकल्स के साथ वीडियो और कार्ड्स गेम्स खरीदता है।  जबकि दोनो देशों में डीयाओयू  द्वीप सहित आठ निर्जन द्वीप हैं जिनका कुल क्षेत्रफल  7 वर्ग किलोमीटर हैं। इन्ही से संबंधित क्षेत्र को चीन अपनी सीमा मानता हैं और चीन इसके आस पास के द्वीपों पर जगहों के बेड़े रखता हैं।

ताइवान चीन व्यापार -

         वर्तमान समय में ताइवान वी चीन में तनाव बना हुआ है। इन सब के बावजूद ताइवान 319.7 अरब डॉलर का आयत चीन से करता हैं। और चीन का 4th सबसे बड़ा आयात करने वाला देश है। जबकि दोनो देशों में 73 साल से आपसी खींचातान  बनी हुई हैं। मात्र 100 मिल की दूरी पर स्थित दोनो देश हमेशा एक दूसरे को आंख दिखाते रहते हैं जहां चीन ताइवान को अपना एक हिस्सा मानता हैं और ताइवान एक संप्रभु देश मानता है।

हॉन्गकॉन्ग व चीन व्यापार -

         साल 2022 में चीन ने हॉन्गकॉन्ग  को 305.4अरब डॉलर के उत्पाद एंड सेवाए निर्यात की हैं यह देश दुनिया में एक उच्च विकसित पूंजीवादी देश हैं।इसकी आबादी दुनिया के सबसे अधिक धनी लोगो में से एक है। इस देश के लोग भी अपने आप को चाइनीज कहलाना पसंद नही करते इसलिए आए दिन आजादी के नारे बुलंद हो रहे होते हैं और प्रदर्शनकारी लोगो ने चीन समर्थित प्रशासन के साथ टकराव होता रहता है। 

वियतनाम चीन व्यापार -

    साल 1979 के चीन वियतनाम युद्ध सारी दुनिया को याद है जब चीन की 6 लाख सैनिकों को सेना वियतनाम के 70 हजार वीर सैनिकों से एक महीने में हार का मुख देखना पड़ा था और दुनिया में अपनी किरकरी कराई थी। और वियतनाम ने दुनिया को बताया था की युद्ध बड़ी सेना से ही नही जीते जाते जिसका आज ताजा उदाहरण रूस और यूक्रेन का युद्ध भी हैं जो पिछले 1साल से अधिक समय से जारी हैं।चीन वियतनाम को 234 अरब डॉलर का निर्यात करता हैं जो की चीन के द्वारा निर्यातक देशों में 6वा स्थान पे आता हैं।

ऑस्ट्रेलिया चीन व्यापार -

       चीन ऑस्ट्रेलिया को साल 2022 में 220.9 अरब डॉलर का निर्यात किया हैं।जबकि दोनो देशों में कोविड -19 से ही आपसी मतभेद जारी हैं। जन्हा ऑस्ट्रेलिया भी चाइना को कोरॉना के लिए दोषी मानता है और चीन के खिलाओ जांच की मांग की थी  और हिंद प्रशांत महासागर में चीन की आक्रमकता से भी ऑस्ट्रेलिया चिंतित रहता है। दोनो के बीच इस समय कारोबारी युद्ध चल रहा है जंग में ऑस्ट्रेलिया ने चीन की हवाई कंपनी के 5 G नेटवर्क बनाने पर प्रतिबंधित किया हुआ हैं उधर चीन ने भी ऑस्ट्रेलिया से कोयला,चीनी,तांबे,लकड़ी और बीफ से लेकर वाइन के आयत पर रोक लगा रखी हैं 

इसी कर्म  में चीन मलेशिया को भी 203 अरब डॉलर का निर्यात करता हैं और रूस को तकरीबन 190 अरब डॉलर के उत्पाद व सेवाओं देता है

भारत चीन व्यापार - 

      भारत का आयत जो की 94.160 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। उधर निर्यात का आंकड़ा अभी भी मात्र 25 अरब डॉलर पर ही हैं। हाल की के समय में भारत ने मोबाइल के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और खिलौना सेक्टर को बूस्ट करनेबकी कोशिश की हैं और उसका असर आने वाले समय में भारतके एक्सपोर्ट पे दिखने लगेगा।। 

इसलिए चीन की एक तरफ विस्तारवादी नीति और साथ साथ आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की योजना कारगर साबित हो रही हैं और वो अपने दुश्मन देशों को ही सबसे अधिक निर्यात करता है जो की उन सभी देशों को निर्भरता बनाएं रखना भी एक जीत का अच्छा फैक्टर साबित होगा। Read more on China Quality issue

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

तवांग की झड़प

                                                 India & Chinda-Its New India

 


 

वैसे तो सीमा पे कभी कभार आपसी झड़प होना कोई नई बात नही है लेकिन इस बार जौ जबाब भरतीय सेना ने दिया हैं और पहले जुबानी जंग और उसके बाद जौ हाथापाई मे भारत ने चीनी सेनिको पे लाठी भांजी उसको पूरी दुनिया ने देखा है की कैसे चीनी सेना दुम हिलाकर पीछे भागी ।। हालांकी आपकी बार विरोधी कंटीली लाठी और डन्डो के साथ तैयारी करके आये थे।।इस घटना से एक बात मोदी की साफ हो चुकी है की मेरा भारत बदल गया हैं ।। अब हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे । वाली नीति धरातल पर दिख रही हैं वैसे तो भारत के जवानो के सामने चीनी सैनिकों का ना हौंसला हैं और ना ही साहस हैं । कद काठी से भी कमजोर है ।और पिछले एक दशक से तकनिकी रुप से भी सूदृड हुये है ।। इस घटना ने चीनी सीमा से लगे अन्य देशो के होंसले भी बुलंद होंगे।और अब या तो चाइना अपनी विस्तारवादी निति को तैयाग दे या इस प्रकार से लाठिया खाने को त्यार रहे।।अब चीनी विदेश मंत्रालय का व्य्कतव्य आया हैं की बौर्डर पर हालात समान्य हैं ।।इस झड़प मे कुछ भारतीय जवानो को भी मामूली चोटे आई हैं जैसा भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने व्यक्तव्य मे बताया।। चाइना को अब ये समझना होगा की भारत अब 24+7 युध्द के लिये तैयार रहता है भारत की एयरफोर्स इसके लिये हर समय तैयार होती है । भारत गलवान घाटी की घटना के बाद ही चौकन्ना था । अब भारत ने शान्ति के लिये फ्लगे मार्च निकला उसमे ये साफ कर दिया की कोई भी उक्षाने वाली कारवाई का जबाब कठोरता से दिया जायेगा।। 

3rd ग्रेड शिक्षक ट्रांसफर संभव यदि आपके पास प्रभाव या पैसा हैं।

3rd ग्रेड के मजबूर शिक्षकों से प्रधानमंत्री ने किया छल।       3rd ग्रेड शिक्षक ट्रांसफर संभव यदि आपके पास प्रभाव या पैसा हैं। यह बात में क्...