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गुरुवार, 29 जून 2023

ईद मुबारक /बच्चों के सामने बकरे की बलि देने से परेहज करे

ईद मुबारक /बच्चों के सामने बकरे की बलि देने से परेहज करे 

ईद मुबारक

 ईद पर बकरे को प्यार से पालना और फिर उसकी बलि देना एक प्राचीन परंपरा है जो मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है। यह प्रक्रिया धार्मिक और सामाजिक महत्व की रखवाली के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है। हालांकि, इस प्रक्रिया के साथ जुड़ी कुछ विवादित चिंताएं भी हो सकती हैं।

      यह विषय विवादास्पद है और इसे विभिन्न दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। एक दृष्टिकोण से देखें तो, बकरे को प्यार से पालना और उसे बलि देना एक धार्मिक रीति है और यह मानवता के भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, मानव धार्मिकता, उदारता, और अल्लाह के प्रति भक्ति की भावना को व्यक्त करता है। 

       इसके साथ ही बकरे को प्यार से पालना और उसके रक्षण में दिलचस्पी रखना मानवीयता की प्रतीक्षा करता है। यह हमें प्राकृतिक संतुलन और दया के महत्व को समझाता है। बकरे की देखभाल और प्यार से उसकी जरूरतों की पूर्ति करना हमें सामरिक और उद्धारवादी भावनाओं को विकसित करता है।

बकरे को प्यार से पालना एक मानवीय और दयालु पृष्ठभूमि तैयार करता है। जब हम उन्हें देखते हैं, उनके साथ संवाद करते हैं, उनका ख्याल रखते हैं और उन्हें सही खाने की देखभाल करते हैं, तो हम उनके प्रति प्यार और सम्मान का अभिव्यक्ति करते हैं। यह हमें स्वयं को और दूसरों को मानवीय और दयालुता की भावना से संबंधित करता है। इसके अलावा, बकरे को अच्छी देखभाल करना उनकी अच्छी स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

 

विपरीत दृष्टिकोण से देखें तो, इस प्रक्रिया में बकरे को निर्ममता के साथ मारा जाता है और उसके नन्हे बच्चों के सामने इसकी बलि दी जाती है। इससे क्रूरता की भावना को प्रोत्साहित किया जा सकता है और बच्चों में दया और संवेदनशीलता का आभाव पैदा करता हैं। 

अंततः हर धार्मिक प्रथा को उचित संदर्भ और समय पर अपनाना चाहिए। बलि देने की प्रक्रिया को सही तरीके से निर्वहन करना और धर्मिक आदर्शों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन हिंसा के प्रति संवेदनशीलता और भावनाओं का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है। यह हमारे अहिंसा, दया, और समरसता के मूल्यों को प्रकट करता है और हमें एक मानवीय समाज की ओर अग्रसर बनाता है।

 


गुरुवार, 8 जून 2023

गैंगस्टर संजीव जीवा की कोर्ट में हत्या

Sanjeev Jiwa with Police force 

७ जून २०२३ को लखनऊ के कोर्ट परिसर में एक गोलीकांड हुआ। जिसमे यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी के गैंगस्टर संजीव जीवा का गोली मार कर हत्या कर दी गई। वकील की ड्रेस में दो लोगो ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया।इस घटना में एक पुलिस वाले को भी पैर में गोली लगी हैं और बदमाशो ने पांच राउंड फायरिंग की जिसमे संजीव जीवा की हत्या हो गई। इस घटना को लेकर अधिवक्ता में बहुत नाराजगी और रोष हैं।
       पुलिस और सिक्योरिटी ने बताया की अधिवक्ता का एक बड़ा तपका आई कार्ड नहीं दिखाता है। इसी का फायदा उठाकर बदमाशो ने इस घटना को अंजाम दिया। इस घटना के बाद योगी सरकार फिर से कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल होने का आरोप झेलना होगा।
अखिलेश यादव ने सवाल किया हैं की मसला ये नही हैं की हत्या किसकी हुई हैं। मामला ये हैं की हत्या को अंजाम कोर्ट परिसर में दिया गया हैं। जो कानून व्यवस्था की पोल खोलती हैं। क्योंकि इसी प्रकार से गैंगस्टर अतीक की उसके भाई के साथ हॉस्पिटल में।मेडिकल करने के बाद पुलिस से सिक्योरिटी में हत्या कर दी गई थी।
       संजीव जीवा को कोर्ट में पेशी के दौरान बुलेटप्रूफ जैकिट पहनाकर लाने के कोर्ट के आदेश का भी यूपी पुलिस ने पालना नहीं की और उसका खामियाजा एक मुजरिम को गलत तरीके से हत्या का सामना करना पड़ा जो एक आदर्श समाज के लिए अच्छा उद्धारण नही होगा।
संजीव जीवा को  मुख्तार अंसारी का गुर्गा बताया जा रहा हैं।
      अतीक अहमद के बाद संजीव जीवा हत्याकांड यूपी में  कानून व्यवस्था के साथ साथ ऐसे जघन्य अपराधो में कोर्ट द्वारा  सुनवाई में देरी भी एक कारण हो सकता हैं।

वर्ष 1991 में किया था पहला अपराध

      मुजफ्फरनगर निवासी संजीव उर्फ जीवा ने वर्ष 1991 में मुजफ्फनगर में पहला अपराध किया था। तब उसके खिलाफ कोतवाली नगर में मारपीट का केस दर्ज किया गया था। उसके केस में वह दोषमुक्त भी हो चुका था। पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि संजीव के खिलाफ मुजफ्फरनगर में 17, उत्तराखंड में 5, गाजीपुर जनपद में एक, फर्रुखाबाद जनपद में एक और लखनऊ में एक कुल 25 मामले दर्ज हैं।

हाई सिक्योरिटी बैरक में था

संजीव पिछले दो दशक से सलाखों के पीछे है। उसको भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड व हरिद्वार के एक हत्या के केस में सजा हा चुकी थी। 2019 में वह मैनपुरी से लखनऊ जेल शिफ्ट किया गया था। तब से वह लखनऊ जेल में बंद था। उसको हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।

संजीव जीवा का एक परिचय

नाम- संजीव माहेश्वरी उर्फ जीव
पिता का नाम- ओमप्रकाश माहेश्वरी
मूल पता- मुजफ्फरनगर प्रेमपुरी
अस्थाई पता- सोनिया विहार दिल्ली
मां- कुंति
पत्नी- पायल माहेश्वरी
भाई- राजीव माहेश्वरी
बहन- पूनम, सुमन
पुत्र- तुषार, हरिओम, वीरभद्र
पुत्री- आर्य

- संजीव उर्फ जीवा का गैंग संख्या- आईएस -01 जो 9 सितंबर 2019 में पंजीकृत किया गया था।
- संजीव के गैंग में कुल सक्रिय सदस्य 10 हैं और 26 सहयोगी हैं।
- संजीव उर्फ जीवा पर दर्ज मुकदमों की संख्या-25।
- अपराधिक मुकदमों की प्रकृति- हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, जालसाली।
- राजनैतिक संबंध- मुख्तार अंसारी का सहयोगी।
- संजीव के पास मौजूद असलहे- दोनाली बंदूक और पिस्टल।
- गैंगस्टर एक्ट के तहत पुलिस संजीव उर्फ जीवा की चार करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है।

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बुधवार, 19 अप्रैल 2023

अतीक अहमद- जैसी करनी वैसी भरणी।

अतीक के माफिया राज का अंत 

       अतीक अहमद- जैसी करनी वैसी भरणी कहावत का चरितार्थ का चित्रण प्रयागराज में जिस प्रकार से अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस के सामने जो हत्या हुई वो एक शर्मशार करने वाला कृत्य है।यह सही हैं की जिन लोगो का अतिक और उसके भाई से कोई दूर दूर तक कोई दुश्मनी नहीं।सभी अलग अलग जगह से तालुक रखने वाले। उनका स्वयं का क्रिमिनल इतिहास रहा हैं। फायर करने के बाद जय श्रीराम के नारे लगाते हुए हत्या को अंजाम देना। निश्चित ही किसी की बड़ी साजिश हैं। जिन लडको ने विदेश और महंगी पिस्टन से इस वारदात को अंजाम दिया। उनको प्लानिंग करके पिस्टन उपलब्ध कराना और उसकी ट्रेनिंग देना यह सब एक लंबी तैयारी का परिणाम था।

अतीक का अंत कन्ही राजनीतिक तो नही

      भारत के विपक्षी नेताओं और पार्टियों की सत्ता प्राप्ति की भूख और माफियाओं के संरक्षण का इतना भयंकर नंगा नृत्य शायद ही कभी भारतवासियों ने देखा हो जैसा अतीक को  अदालत द्वारा उम्र क़ैद की सज़ा सुनाने के बाद और अब उसकी हत्या के बाद जैसा सहगान चारों और से सुना जा रहा है।  ऐसा प्रतीत हो रहा जैसे मूढ़ विमूढ़ विपक्षी नेताओं की मति भ्रष्ट हो गई है।

      ऐसी ऐसी बातें टीवी पर आकर बोल रहें हैं जैसे इन्हें पता ही नहीं की अतीक उसका भाई अशरफ़ और पूरा परिवार कितना दुर्दांत अपराधी, , मवाली, गुंडा और माफिया था।
कितनी महिलाओं को विधवा बनाया, कितने बच्चों को अनाथ बनाया, कितने माँ बाप को निराश्रय कर दिया, कितनों का व्यापार ख़त्म कर दिया, कितनों की ज़मीन जायदाद हड़प ली। राजूपाल की हत्या कर उसकी तो नो दिन की ब्याही युवती को विधवा कर दिया था।  और राजुपाल का दोष सिर्फ़ इतना था की विधानसभा चुनाव में अतीक के भाई अशरफ़ को उसने हरा दिया था।  अतीक के आतंक से भयभीत राजू पाल ने अतीक से सिर्फ़ जीत के बाद आशीर्वाद पाने के लिए  फ़ोन किया था और अतीक ने कहा था चुनाव जीत गए अब ज़िंदगी जीत कर दिखाओ। यह सही हैं की ताकत अंधा बना देती हैं।
          इसलिए अतीक अहमद माफिया और राजनीति का घिनौना संगम बन गया था । इसे सपा ने कई बार विधायक बनाया और एक बार सांसद भी बनाया।  यह सब सिर्फ़ मुस्लिम वोट के ध्रुवीकरण के लिए किया , बंदूक़ के आतंक से वोट लेने के लिए किया और आज सबसे ज़्यादा दर्द भी अखिलेश और उसकी पार्टी को हो रहा है।
     

 अखिलेश कह रहें हैं की यूपी में क़ानून ख़त्म हो गया है, ममता, तेजस्वी, प्रियंका, ओवेसी, और सभी एक एक कर अपने अन्दाज़ में योगी और उत्तर प्रदेश शासन को कोस रहें हैं, विलाप कर रहें हैं, स्यापा कर रहें हैं जैसे अतीक की हत्या में उन्हें चुनाव जीतने का कोई राम बाण मिल गया हो।
कैसी विडंबना है , कैसी दुर्बुद्धि है, कितने नासमझ हो गये हैं सब विपक्षी नेता। जनता की नब्ज समझने में ऐसी भयंकर भूल कैसे कर सकते है। हतोत्साहित जनता दुर्दांत माफिया की हत्या पर ख़ुशियाँ मना रही है और कह रही है की माफियाओं का समापन सिर्फ़ योगी जी ने किया है सपा ,बसपा  कांग्रेस ने तो इन्हें पुष्पित पल्लवित किया था।
योगी जी को वही पुलिस मिली जो इनके पास भी थी लेकिन सिर्फ़ आज के विपक्ष के पास आज की राजनैतिक ईमानदारी नहीं थी, माफियाओं को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय नहीं था। माफियाओं के मार्फ़त सत्ता प्राप्त करना ही उस समय के विपक्ष का एकमात्र उद्देश्य था।
दशकों का माफिया साम्राज्य समाप्त करना इतना आसान नहीं था लेकिन योगी जी ने अपने दृढ़ निश्चय से उत्तरप्रदेश को भयमुक्त, माफिया मुक्त राज्य बनाने , माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का जो संकल्प लिया है वह प्रशंसनीय है।
हैरान हूँ की विपक्ष इतना परेशान क्यूँ है। क्या उन्हें डर था की अतीक किसी नेता, विदेशी शक्ति, पार्टी का नाम लेने वाला था, विदेशों से हथियार प्राप्त करने की बात तो वो मान ही चुका था।
उसकी हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए जाँच समिति नियुक्त हो चुकी है जिससे इस हत्या के पीछे के षड्यंत्र का खुलासा हो जाएगा, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। तब तक विपक्ष धैर्य क्यूँ नहीं रख पा रहा। शोरगुल मचाने से ऐसा महसूस करा रहे हैं जैसे माफियाओं के सचमुच संरक्षक यही थे और हैं।
क़ानून क़ानून के शासन से प्रदेश और राष्ट्र मज़बूत होता है, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है, लोगों की बेहतरी होती है। यह विपक्ष को समझना होगा और राष्ट्रीयहित के विषयों पर एक हो जाना चाहिए।
क्या यह सत्य नहीं है उत्तर प्रदेश में दंगे अब लगभग समाप्त हो गए है, यूपी जैसे संवेदनशील राज्य में अब त्योहारों पर सांप्रदायिक दंगे नहीं होते बल्कि सद्भाव नज़र आता है, गुंडों को पाताल से निकाल कर उनके स्थान पहुँचाया जा रहा है। गुंडे या तो प्रदेश छोड़ गये हैं, जेल में है या गुंडई छोड़ बैठे हैं।  
योगी जी को अनवरत करते रहना क्योंकि प्रदेश और देश उनके साथ है।
अतीक की पुलिस रिमांड से सफेदपोशों के बेनकाब होने का डर था।

अतीक अहमद की मौत के साथ सबसे बड़ा राज अनसुलझा ही रह गया कि अतीक अहमद के पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से किस तरह के रिश्ते थे। वे कहते हैं कि जिस तरह अतीक अहमद और उसके गैंग के पास विदेशी हथियारों का जखीरा था, उससे इसमें कोई शक नहीं नजर आता कि उसके पास अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की कोई कमी होगी।

अतीक अहमद की दौलत के वारिस होंगे उसकी बीवी और बेटे ।

         अतीक की बहुत बेनामी संपत्ति को यूपी सरकार पहले ही ध्वस्त कर चुकी हैं। लेकिन उसके पास अपार संपत्ति अलग अलग शहरो में हैं जिसकी जानकारी बीवी और बेटो को भी नही होगी। ऐसी संपति का क्या होगा।इस सवाल का जबाब समय के गर्भ में छिपा हुआ हैं।

 गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद की दिल्ली में कई महंगी संपत्तियां हैं

       इन संपत्तियों में शाहीन बाग, ओखला और जामिया नगर में स्थित अपार्टमेंट और ऑफिस स्पेस सहित आवासीय और वाणिज्यिक रियल एस्टेट दोनों शामिल हैं। ऐसा अनुमान है कि दिल्ली में अतीक का रियल एस्टेट पोर्टफोलियो कई करोड़ रुपये का हो सकता हैं।

जय श्रीराम के नारे लगाने का महत्व

         गोलियां बरसाने के बाद इन लोगों द्वारा लगाए गए धार्मिक नारे की भी तहकीकात हो रही है। हत्या करने के ठीक बाद तीन में से दो हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाए थे। उसी वक्त दोनों को पुलिस ने पकड़ लिया था। हालांकि भारतीय लोग ये सब समझते हैं इतनी जल्दी भावनाओं में बहेंगे नही। क्योंकि इन अपराधियों का इतिहास भी क्राइम का रहा हैं।और क्राइम का को धर्म नही होता हैं। इसलिए कानून अपने हिसाब से इनके गुनाहों की सजा इनको देगा।

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और साथी गुलाम का एनकाउंटर झांसी में।

 

 उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी असद अहमद और गुलाम का एनकाउंटर झांसी में

      उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद एक अन्य साथी गुलाम के साथ यूपी एसटीएफ(STF)के एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। दोनों को आज झांसी से 10 किलोमीटर की दूरी पर  मार गिराया गया। दोनों पर ही पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। यूपी STF   इससे पहले विकास दुबे का एनकाउंटर भी ज्यादा चर्चा में रहा था

उत्तरप्रदेश में  STF चीफ अमिताभ यश

      अमिताभ यश जिन्हें एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट भी कहा जाता है। वर्तमान में यूपी के  एडीजी अमिताभ यश ने अपने करियर में अब तक 150 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं और एक से बढ़कर एक दुर्गांत अपराधियों को ढेर कर दिया है। चंबल के बीहड़ों में दशकों तक दहशत फैलाने वाले डाकू ददुआ और ठोकिया को मार गिराने का क्रेडिट भी अमिताभ यश को ही जाता है।


Questions...एनकाउंटर क्या होता हैं?

     एनकाउंटर का हिंदी शाब्दिक अर्थ होता हैं मुठभेड़ जिसको हम आसान भाषा में कह सकते हैं। आपराधिक गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों और सुरक्षा के जवानों के बीच में खूनी संघर्ष।।


जब कोई व्यक्ति कोई अपराध करके भाग जाता हैं।तब पुलिस की जिम्मेदारी बनती हैं उससे पकड़ कर न्यायपालिका में उपस्थित करना और आगे उसके अपराधो की सजा न्यायपालिका के दिशा निर्देशों के अनुसार पालन करना।।इसलिए अपराधी सीधे न्यायपालिका के समक्ष भी पेश हो सकता हैं।
      परंतु कई बार अपराधियों में खौफ बिलकुल भी नहीं होता ऐसी स्थिति में वो पुलिस फोर्स से भी हथियारों से आमना सामना करने के दौरान पुलिस की गोली का शिकार होते हैं।इसी को एनकाउंटर कहा जाता हैं।पुलिस कानून के तहद इस दौरान भी उन्हें हथियार डाल कर आत्मसमर्पण करने को कहती हैं और कोशिश करती हैं लेकिन जब ये अपराधी सामने से हमला करते हैं तो कानून पुलिस कर्मियो को भी आत्मरक्षा के लिए जबाबी कारवाई करने की इजाजत देता हैं।

अतीक ने माना की असद की मौत का जिम्मेदार में हूं।

     परिवार जीवन की प्रथम पाठशाला होती हैं यह फिर साबित हो गया। मात्र 19 वर्ष की उम्र में अपने बेटे असद की मौत का जिम्मेदार एक पिता साबित हुआ। अतीक अहमद ने कबूला की बेटे को मौत का कारण में हूं। क्योंकि असद को हाथ में गन बाप ने दी थी। वही बाप उसके साथ में पेन दे सकता था,खेल की सामग्री दे सकता था वही गन उसको देश की सुरक्षा में भी चला सकता था। लेकिन अमूमन इंसान अपनी धन दौलत और पावर में इतना अंधा हो जाता हैं की उसकी हालत अतीक के जैसे हो जाती हैं। अतीक अपने बेटे के गुनाह और अपनी पॉवर के नशे में असद को शेर कहता था और चाचा का चहेता था असद।।


गुलाम के परिवार ने शव लेने से मना किया।

        उमेश हत्याकांड का शूटर मोहम्मद गुलाम पा भी इस एनकाउंटर में असद के साथ मौत के घाट उतार दिया गया। उसके कर्मों की सजा के साथ उसके भाई ने उसका शव लेने तक भी इंकार कर दिया और साफ कहा की जैसी करनी वैसी भरणी। गुलाम ने जो कर्म अतीक के कहने से किए उसकी सजा उसको मिली हैं।

असद का शव उसके मामा और  नाना ने स्वीकार करने के लिए कहा।


रविवार, 19 फ़रवरी 2023

श्रद्धा हत्याकांड और निक्की यादव लव इन रिलेशनशिप

 

श्रद्धा मर्डर के बाद समाज में एक नई बहस शुरू हो गई हैं ।

 श्रद्धा  हत्याकांड और अब निक्की यादव की हत्या , ये लव इन रिलेशनशिप का ट्रेंड बढ़ने के पीछे नई पीढी की सोच क्या है ? जब इस विषय के गर्भ में जानकारी की गई तो एक बात सामने आई की ये कोई नई परिपाटी नही पहले के समय भी ऐसा होता था केवल इसका नाम अलग था उस समय ऐसी संबंधो को रखेल रखना कहा जाता था। जिसको समाजिक व कानुन की कोई मान्यता नही होती थी । जितने दिन मन किया मौज मस्तियाँ की और फिर नया दरवाजा देखो जिसको समाज बड़ी घर्णिय नजरों से देखता था । आज के समय माता पिता द्वारा संचालित आधुनिकता का दोर जँहा इस तरह के रिश्तो को बढ़ावा दिया जाता हैं और आज की पीढ़ी इनका पुर फ़ायदा उठाने की कोशिश करती हैं ।और वो समाज के पतन का एक बड़ा कारण बनता जा रहा हैं ।। इसमे एक पहलू हैं मकान मालिक जो बिना सही पहचान के किराए के लालच मे इनको पनाह देते है । वेलेंटाइन डे जो की आज के समय प्यार का इजहार करने का एक अच्छा ट्रेंड बन गया हैं। समाज में महिलाओं को एक ऊंचा मुकाम हासिल हैं। उन्हें सदियों से मां,बहन,बेटी v देवी के रूप में देखा जाता हैं लेकिन आज के समय क्या ये बदलाव सही हैं या अनुचित लाभ उठाकर श्रद्धा जैसा अंजाम दिया जाता हैं। ये पुरुष प्रधान देश की सोच हैं या वर्ग विशेष की सोच होगई हैं ये सोचने का विषय हो सकता हैं पर ।शादी से पहले किसी अनजान व्यक्ति से कुछ मुलाकातों के बाद अपना बिस्तर शेयर करने को कोई भी उच्चित नहीं ठहरायेगा। और आज शहरो में इस तरह का ट्रेंड बढ़ते जा रहा हैं। 

जॉब व  पढाई  करने वाली लड़कियां 

जॉब व  पढाई करने  वाली लड़कियां हो इस तरह के ट्रेंड को अपनाने में बिलकुल भी नहीं झिझकती और अपनी सोच को मॉडर्न कह के इसका अनुसरण करती हैं और अधिकाश केस में कुछ समय के बाद ठगी महसूस करती हैं। हमने कभी नहीं सुना की लिव इन रिलेशनशिप में किसी लड़के/पुरुष को कोई दिकत का सामना करना पड़ा हो। क्योंकि उनको एक समय की लिए केयर टेकर के रूप में साथी मिल जाता हैं और जब लड़की मैरिज की बात करती हैं तो वो बहाने बनाते रहते हैं और क्या आपको मेरे pe विश्वास नहीं हैं कह कर उस लूटी हुई जिंदगी को कुछ और समय के लिए धकाते रहते हैं और जब लड़की जिद करती हैं तो या तो उसे अलग कर दिया जाता हैं या संपर्क कट कर दिया जाता हैं या श्रद्धा जैसा हस्र कर दिया जाता हैं। इसके लिए आज के चकाचौंद भी जिमेवार हैं


TV सीरियल हो या आज की फिल्म भी कम जिमेदार नहीं हैं

 जिन्होंने अपनी पुर जोर कोशिश से हमारे समाज को गंदा करने का काम किया हैं। इससे पार पाने का एक ही तरीका हैं की इस तरह की परिपाटी पर कानूनन बैन लगाया जाना चाहिए। और हर माता पिता को इस तरह के संबंधों को बिलकुल भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए। प्यार करना कोई गुनाह नहीं हैं पर इस तरह से शारीरिक संबंध स्थापित करना । सामाजिक v पारिवारिक जीवन को नष्ट करने का कारण साबित होते हैं जिसके बिना जीवन के रंग अधूरे होते है। इसलिए एक और हमारा देश आर्थिक विकास की और बढ़ रहा हैं उसके लिए सामाजिक ताने बाने को बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक हैं ताकि और कोई श्रद्धा कांड ना हो। इसे मनन करने की बड़ी आवश्यकता हैं।

जॉब व पड़ने वाली लड़किया आसान टारगेट

पुरुष प्रधान मानसिकता वाले देश में अमूमन लड़किया और महिला जो जॉब के लिए या पढाई के लिए घर दूर रहती हैं और ये ऐसी मानसिकता वाले लोगो की आसान शिकार होती हैं , निक्की यादव हत्याकांड में कैसे परिवार और रिश्तेदारो ने साजिस करके हत्या को अंजाम दिया ,लेकिन इन सब को ये मौका किसने दिया यह भी सोचने की आवश्यकता हैं , निक्की की बहन जो साथ में रहती थी उसने भी परिवार से उनके विवाह की बात छुपाई और पढाई की ओढ़ में जीवन के एक नए पहलु को चोरी छुपे कर रही थी और घर में माँ  बाप जिनको २ साल से खबर  तक नहीं होने दिया इसलिए इस तरह की वारदात को रोका नहीं जा सकता इसमें विक्टिम को भी सामाजिक ताने बाने को समझना होगा अन्यथा कितने भी कड़े कानून बन जाये इस तरह के अपराधों को विराम देना बहुत मुश्किल 

सोमवार, 5 दिसंबर 2022

मनीष जाट का अल्प जीवन/हिस्ट्रीशीटर राजू ठेहठ हत्याकांड

शिक्षा ही समाज का आइना होती हैं। 

         

Crime-Raju Theta Murder in Rajasthan

 


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गैंगस्टर राजू ठेठ हत्याकांड के मुख्य अभुयुक्त मनीष जाट जिसको रोहित गोदारा ने इस हत्याकांड के लिये चुना था और अनुराधा जिसको लेडी डोन के नाम से जाना जाता हैं उसके माध्यम से ये सारा प्लान को अम्लेजामा पहनाया गया था ।

      इस ब्लॉग मे मनीष जाट के जीवन पर रौशनी डालने की कोशिश करते है । मनीष जाट एक गरीब किसान  परिवार से तालुक रखता हैं । इसके दादा दादी दोनो ही बहुत नेक दिल व मेहनती इन्सान थे। बहुत कम जमीन व उस पर भी सिंचाई की व्यवस्था ना होने के कारण इसके दादा जी स्वर्गीय मुलाराम  जाट लोगो के यंहा खेती का काम करते थे। और इसकी दादी जिनका कुछ समय पहले ही अंतकाल हुया हैं  का नाम शिमली देवी था। जिसने अपने जीवन काल मे हमेशा अपने area मे दाई मां  का काम किया वो भी निशुल्क जो एक नेक दिल महिला थी।। मनीष के पिता पप्पू जो की कम उमर मे ही मर्त्यु हो गई थी और 2 ताऊ थे जिनमे एक विकलांग था उसकी भी पहुत पहले मर्त्यु हो चुकी हैं और एक लापता हो गये थे जिनका आज तक कोई सुराख नही मिला।। इसकी माता एक सीधी साधी घरेलू महिला है ।। परिस्थिति के कारण मनीष 5th  क्लास तक ही स्कूल का मुह देख पाया और अभिभावको की कमी के कारण कम उमर मे ही रोजी रोटी के लिये हाथ पांव मारना शुरू किया। और ड्राईवर का काम करने लगा।। और एक कुशल ड्राईवर होने के कारण ही यह आनन्दपाल की गेंग के सम्पर्क मे आया और मात्र 25 साल की आयु मे ही ऐसी वारदातों  को अंजाम देने मे माहिर होगया।। इसके लिये मनीष को कसूर वार ठहराना बिल्कुल सही नहीं होगा।। सरकारो को व समाज को इस और ध्यान देना होगा आज हम 21 वी सदी मे जी रहे है और एक परिवार जो 50-60   साल से अभावों मे अपना जीवन जीने के लिये विवश हो उसमे से मनीष जैसे लडके अपराध की दुनिया का दामन थाम लेने को मजबूर हो जाते है ।।अशिक्षा के कारण अभावग्रस्त  जीवन मे परिवार को चलाना उसका पालन पोषण करने के लिये यह रास्ता चुनते है । इस लेख में हम कन्ही भी मनीष के किये कर्त्य को प्रोत्सान नही दे रहा हूँ । इसकी जितनी निंदा की जाये वो कम हैं लेकिन कल कोई और मनीष समाज मे पैदा नही हो इसके लिये सरकारो व समाज सुधारको को काम  करना होगा। अन्यथा रोहित गोदारा जैसे लोग सामाजिक-आर्थिक स्थिती का फ़ायदा उठा कर और कई मनीष जैसे नवयुवको को अपराध की दुनिया में शामिल होने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

शिक्षा ही समाज का आइना होती हैं।

यह सही हैं की शिक्षा ही सभ्य समाज का वास्तविक प्रतिबिम्ब होता हैं। समाज में आज भी अपराध की दुनिया में दो प्रकार के लोग  शामिल होते हैं। शिक्षित और अशिक्षित। 

शिक्षित लोग लालच,अधिक पाने की लालसा, द्वेष,बदले की भावना से अपराध को अंजाम देते हैं। तभी आज आंनदपाल ,राजू ठेड जैसलोगो के पीछे अपार  सम्पति छोड़गए हैं।  और मनीष जैसे बच्चो के परिवार आज भी उसी दयनीय िस्थती में जीवन व्यापन कर रहे हैं।

अशिक्षित लोग जीवन को बहुत अधिक दूरी तक नहीं देख पाते। और वो वर्तमान परिस्थति के दबाब को दूर कर लेने में अपनी विजय समझते हैं।

मनीष जाट का घर परिवार देख कर कोई भी जज आसानी से इस नतीजे पे पहुँच सकता हैं।  की आजादी के 78 वर्ष बाद भी यदि हम शिक्षा के अंधकार को नहीं मिटा पा रहे हैं।  तो गलती मनीष की नहीं इस सिस्टम की और सरकारों की हैं।  जो आज भी भारत देश में शिक्षा का अनिवार्य कानून होने के बावजूद हजारो मनीष पढाई से वंचित रह जाते है।  और थोड़े लालच में आपराधिक मानसिकता के लोगों का आसानी से  शिकार  बन जाते हैं


 

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

श्रद्धा हत्याकांड एक दुर्घटना - अशोक गहलोत

        Crime-श्रद्धा हत्याकांड एक दुर्घटना

श्रद्धा हत्याकांड एक दुर्घटना

      राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने इस जघन्य ह्त्या को एक दुर्घटना कहा है और कहा हैं की इसके द्वारा एक जाती विशेष मतलब की मुसलमानओ को टारगेट किया जा रहा हैं । अंतरधार्मिक विवाह सदियो से चलते आ रहे हैं ।ये वक्त्वय गहलोत व कांग्रेस की सोच है व उसी सोच का नतिजा है ।। क्या ये घटना गहलोत जी के परिवार के साथ घटती तो भी क्या उनका यही कहना होता असंभव । 

      प्रेम करना कोई गुनहा नही होता। लेकिन जब कोई व्यक्ति उसकी बॉडी के 36 टुकडे कर देता हैं । उसकी मरत बॉडी के साथ अन्य लड्की के साथ सहर्ष एन्जॉय करता है । उसके जबडे को हथोड़े से टुकडे करना और 5-6 महिनों तक उस बॉडी के साथ किया अमानवीय व्य्हवार जो आफताब की मानसिक विकास को दर्शाता है । 

      ऐसा नही की ऐसी हरकत अन्य धर्म का व्यक्ति नही कर सकता लेकिन अधिकांश केस मे मुस्लिम समाज के युवको द्वारा इस तरह के अपराधों को अंजाम दिया जाता है और इसके पीछे हैं उनकी परवरिश व तुस्टीकरण की राजनीती करने वाले गहलोत जैसे नेता जो इस बदलाव की बजाय इसको सह देते हैं अपने व्यक्तव्य के द्वारा । पर इनकी कोई गलती नही क्योंकि इनको लगता हैं की इससे हमारे वोट बैंक मे मुस्लिम मतदाताओं को विश्वास बना रहेगा। 

      लेकिन ऐसा है नही क्योंकि मुस्लिम भी इस प्रकार के आपराध को सह नही देंगे। लव जिहाद हैं क्या। प्यारके जाल मे फसा कर या तो धर्म परिवर्तन करना या अपनी हवस को मिटाना । जबकी ऐसे कर्त्य को सभ्य समाज के द्वारा हर हाल मे भ्र्त्स्णा करनी चाहिय। निस्चीत कानुन अपना काम कर रहा है और करता रहेगा। लेकिन समाज के हरेक तपके को व हर धर्म को परिवार को एक अच्छे संस्कारो का करूणा का जीव की पर्ति दया का भाव के बीज बचपन से बोन पड़ेंगे । 

        अन्यथा ये सोच किसी भी परिवार,समाज देश व धर्म के लिये सही नही है क्योंकि बुराई का अंत निस्चीत हैं । हमे जागने की आवश्यकता है ताकी कल किसी और श्रद्धा को हमे ऐसी श्रद्धांजलि ना देनी पड़े ।

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