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शनिवार, 31 अगस्त 2024

NEET Admission- शिक्षा और चिकित्सा में प्रवेश में आरक्षण

 विकसित भारत का सपना नहीं होगा पूरा

NEET and Reservation

यह सर्व विधित हैं की जब नींव ही कमजोर होगी तो वंहा पर बड़ी और सुन्दर ईमारत खड़ी नहीं हो सकती हैं। किसी भी देश दुनिया में विकास का बुनियादी आधार होता हैं वंहा की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था।  

         यह भारत का दुर्भाग्य ही हैं की यंहा की निति निर्धारकों ने समयनुसार  सविंधान का निर्माण किया और वो भारत की विकास में सहायक भी रहा।  लेकिन जब वर्तमान में हम शिक्षा और चिकित्सा में प्रतिभाओं को आरक्षण की आड़ में दम तोड़ते हुए देखते हैं तो समझ में आता हैं की यह व्यवस्था किसी भी सभ्य और समझदार समाज की नहीं हो सकती हैं।  हम सभी देख रहे हैं की नीट जैसी परीक्षा जिसमे 25  लाख युवाओं ने डॉक्टर बनने के सपने के लिए दिन रात मेहनत की और आरक्षण और वर्गीकरण के कारण जो प्रतिभाएं 25 लाख छात्र और छात्रों में 20 हजार रैंक प्राप्त करने के बावजूद भी प्रवेश से वंचित हैं और दूसरी तरफ 12 लाख की रैंक लाने वाले स्टूडेंट भी मैनेजमेंट सीट /आरक्षित सीट के नाम से डॉक्टर की डिग्री लेकर कल इस समाज में कैसी सेवाएं देंगे इसे हम  भली भांति समझ सकते हैं। क्या आपने सोचा हैं की युवराज सिंह से लेकर ऋषभ पंत तक क्यों विदेश में इलाज करने गए यही हाल अमीर लोगो का हैं क्यों ? क्योंकि उनको पता हैं की यंहा का सिस्टम एक सटीक समाधान देने में लाचार हैं। 720 में 300 अंक लाकर हम कैसा डॉक्टर तैयार करेंगे यह हम सब जानते हैं।

आरक्षण से बढ़ती हुई सामाजिक बीमारियां 

       आज हम भारत में आये दिन चिकित्सा  के फील्ड में महंगी होती चिकित्सा, ओर्गेंस स्मगलिंग , हॉस्पिटल्स में चिकित्सा के नाम पर लूट ,  नकली दवाइयों का कारोबार ,ड्रग्स माफिया , नशीली दवाइयों का कारोबार , मिलावट का बोलबाला यह सब की आशा ही रख सकते हैं क्योंकि हम अपनी नींव में ही कमजोर और लचीली ईंट रख रहे हैं।  यही हाल शिक्षा के फील्ड में हैं।  जो परिवार पैसा खर्च करके डिग्री लेंगे उन बच्चों से देश सेवा की आशा करना बेमानी होगी।  फिर शिवाजी की मूर्ति इंजीनियरिंग के नाम पर गिरेगी तो 15 -15  पूल बिहार में बारिश के नाम पर चढ़ जायेंगे। और भारत में बात बात पर सियासत करना आम बात हैं।  जबकि वास्तविकता यह हैं की ईमानदारी का अभाव हैं। संस्कारो का अकाल हैं। और इन सब का जिम्मेदार खुली आँखों से देखते हुए देश के हुकुमरान और यंहा की लचीली न्यायपालिका हैं के साथ यंहा की जनता हैं । 

        वास्तविकता को स्वीकार करना यंहा की जनता और राजनैतिक पार्टीयो में कोशो दूर  हैं।  इसलिए हम कह सकते हैं की 2047 तक विकसित भारत का सपना देखना गुनाह नहीं हैं लेकिन जब तक हम अपनी मूल शक्ति शिक्षा और चिकित्सा को दुरस्त करने के लिए प्रतिभा को प्रथम लाइन से पीछे की लाइन में धकेलने का काम करेंगे तब तक यंहा की प्रतिभा ऐसे ही दम तोड़ती रहेगी। फिर हम जब अच्छी शिक्षा और चिकित्सा की आशा करते हैं तो आम आदमी अपने आप को ठगा सा महसूस करता हैं।   हाल ही में 140 करोड़ के देश को ओलिंपिक में एक गोल्ड पदक के लिए तरसते हुए हम सब ने देखा हैं क्योंकि हम प्रतिभा का समान समारोह अपनी संस्था और राजनीती को चमकाने के लिए करते हैं।  ना की देश के मान समान के लिए यह छल हम अपने आप से कर रहे हैं।  और 2047 में हम विकसित देश बनेंगे यह सब झूंठा ख्वाब हैं।  बूलेट ट्रैन चलाने से देश विकसित नहीं होगा हमें आज भी जनरल डिब्बे में पशुओ की भांति जिन्दा जिन्दगीयो को देखते हैं।  

अराजकता की और बढ़ते कदम 

       वर्तमान हालत में यह कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले समय यदि इन समस्याओ को दुरस्त नहीं किया गया तो देश में लोग इसके खिलाफ सड़को पे निकलेंगे और सरकार और सिस्टम को समझ नहीं आएगा की क्या करे।  इसलिए इस तरह के छात्र और छात्राओं को को निश्चित आर्थिक सहयोग देना चाहिए।  ओलिंपिक गेम्स में लोग आपकी प्रतिभा को देखते है ना की तुम्हारी योग्यता और जातपात को।  इसलिए भारतीय न्यायपालिका को इसमें सह्नज्ञान लेना चाहिए और प्रतिभाओ के साथ इन्साफ हो ऐसा सिस्टम पैदा करने के लिए सरकार  और समाज पर दबाब बनाना चाहिए। बांग्लादेश के हालत हम सब ने देखे हैं जंहा पर लोगो की मांग पूरी होने के बाद भी क्या हालत हुए हैं और देश को एकझटके में 20  साल पीछे धकेल दिया हैं।

 

गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

चुंबकयुक्त उत्पादों के प्रयोग मात्र से गहन बीमारीयां छुमंतर


केवल सोने पानी पीने और हाथ की कलाई पर मैग्नेटिक ब्रासलेट पहनने से रोगों से चमत्कारी मुक्ति की सचाई 
Magnetic Products

         चुम्बकीय चिकित्सा हर आयु के नर-नारियों के लिए गुणकारी है। आज के समय में चुम्बकों के माध्यम से इलाज इतना सीधा-सादा है कि यह किसी भी समय, किसी भी स्थान पर और शरीर के किसी भी अंग पर आजमाया जा सकता है। पुरुष हो या स्त्री, जवान हो या बूढ़ा, सभी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। 

             क्योंकि आधुनिकता के समय में चुम्बक से बने हुए मेट्रेस ,ब्लड प्रेशर का सही बनाये रखने के लिए रिस्ट बैंड ,नैक बैंड ,वाटर बॉटल कवर ,कार सीट कवर इत्यादि उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं।  इनमें उपस्थित चुम्बक के प्रभाव से  रक्तसंचार सुधरता है कुछ समय तक चुम्बक लगातार शरीर के संपर्क में रहे तो शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है, उसकी सारी क्रियाएँ सुधर जाती हैं और रक्तसंचार बढ़ जाता है। इस कारण सारे शरीर को शक्ति मिलती है, रोग दूर होने में सहायता मिलती है, थकावट और दुर्बलता दूर होती है, जिससे रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है और शरीर के प्रत्येक अंग की पीड़ा और सूजन भी दूर हो जाती है। कुछ मामलों में लाभ बड़ी तेजी से यह पद्धति इतनी शक्तिशाली है और इसका प्रभाव इतनी तेजी से पड़ता है कि कई बार एक ही बार में चुम्बकयुक्त उत्पाद काम में लेने से रोग को सदा के लिए समाप्त करने के लिए काफी होता है। कई मामलों में इसके नियमित काम में लेने की आवश्यकता ही नहीं  पड़ती । जैसे कि दाँत की पीड़ा और मोच आदि में। पहले से तैयारी जरूरी नहीं एक ही चुम्बक का अनेक व्यक्ति उपयोग कर सकते हैं।  इसकी लत नहीं पड़ती चुम्बक के उपचार की आदत नहीं पड़ती और उसका उपयोग अचानक बंद कर दिया जाए तो भी कोई मुश्किल खड़ी नहीं होती। 

             चुम्बक शरीर से पीड़ा को खींच लेता है प्रत्येक रोग में कोई न कोई पीड़ा अवश्य होती है। पीड़ा चाहे किसी कारण से हो, चुम्बक में उसे घटाने, बल्कि समाप्त तक करने का गुण है। उसकी सहायता से शरीर की सारी क्रियाएं सामान्य हो जाती हैं। इसी कारण सभी रोगों पर चुम्बकों का प्रभाव पड़ता है, पीड़ा दूर हो जाती है और शरीर की क्रियाओं के विकार ठीक हो जाते हैं।


2014 में किए गए एक अन्य अध्ययन से पता चला कि चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आने वाले शुक्राणु अधिक टिकाऊ होते हैं। 

FAQs - नियोडिमियम मैग्नेट का मानव जीवन में चिकित्सा में कैसे काम आता हैं ? 

        इस समीक्षा में दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के इतिहास, परिभाषा और गुणों को संक्षेप में समझाया गया। इसके अतिरिक्त, अब तक किए गए अध्ययनों से मोटे तौर पर जांचे गए परिणामों के आधार पर, हमने निष्कर्ष निकाला कि शरीर प्रणालियों, ऊतकों, अंगों, रोगों और उपचारों पर चुंबक, विशेष रूप से नियोडिमियम चुंबक का प्रभाव पड़ता है।

पुरुष हो या स्त्री, जवान हो या बूढ़ा, सभी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। चुम्बकत्व से रक्तसंचार सुधरता है कुछ समय तक चुम्बक लगातार शरीर के संपर्क में रहे तो शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है, उसकी सारी क्रियाएँ सुधर जाती हैं और रक्तसंचार बढ़ जाता है।


नियोडिमियम मैग्नेट हर 100 वर्षों में केवल अपना लगभग 5% चुंबकत्व शक्ति  खो देते हैं 


FAQs -मैग्नेट दर्द को दूर करने के लिए कैसे काम करते हैं?

       एक अन्य सिद्धांत से पता चलता है कि चुंबकीय क्षेत्र त्वचा और चमड़े के नीचे और मांसपेशियों के ऊतकों के माध्यम से रक्त के प्रवाह में वृद्धि को बढ़ावा देता है , जिससे दर्द कम हो जाता है।


FAQs -क्या मैग्नेट दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है?

          अधिकांश समय नहीं. सावधानी से संभालने पर एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र मानव शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है । ब्रिटिश प्री-स्टैंडर्ड संख्या 50166-1 के अनुसार, यदि चुंबकीय क्षेत्र का स्तर 3000 गॉस से नीचे है [1] तो दैनिक सफाई और रखरखाव में मानव शरीर के लिए कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं है।


Important -निओडिमियम चुम्बक बाजार में उपलब्ध चुम्बकों में सबसे शक्तिशाली चुम्बक हैं।

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

रोगों का दुश्मन है आक का पौधा, दर्द से तुरंत दिलाता है राहत, पाइल्स समेत कई रोगों में भी रामबाण हैं इसकी जड़े ।

बवासीर/पाइल्स का रामबाण हैं आँकड़ा /आक/मदार

औषधीय गुणों से भरा पौधा है आक

  आयुर्वेदिक में आक के पौधे को मदार भी बोला जाता है बहुत से क्षेत्र में इसे आँकड़ा के नाम से भी पुकारा जाता हैं।

        यह एक ऐसा पौधा है, जो बंजर भूमि पर अपने आप से उग आता है. इस पर सफेद और बैंगनी कलर के फूल आते हैं और यह अनेक औषधीय गुणों से भरा पौधा है.वैसे तो धरती पर सभी पेड़ पौधे गुणों का खजाना होते हैं.ऐसा ही एक है आक के पौधे हल्के फूल के साथ बीज हवा से बंजर भूमि पर अपने एक स्थान से अन्य स्थानों पर हवा के साथ चले जाते हैं और अपने आप उग आता है. 

         यह पौधा औषधि गुणों से भरा होता है. इसका दूध, पत्ती, जड़ प्रत्येक भाग औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके इस्तेमाल से शरीर की अनेको बीमारियों में फायदा होता है. इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दर्द में राहत मिलती है. सिर दर्द, कान दर्द और बवासीर में यह तेजी से राहत पहुंचाता है. 

        अगर इसका प्रयोग नियमित रूप से किया जाए तो यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करताहै.और यह एक ऐसा औषधीय गुणों से भरा पौधा है, जिसके फूल, पत्ती, जड़ अलग- अलग बीमारियों में काम आते हैं. यह सिर दर्द और कान दर्द को तेजी से ठीक करने मे है. इसके इस्तेमाल से व्यक्ति अपने आप को स्वस्थ रख सकता है. बस इसका इस्तेमाल करते वक्त डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानियां बरतनी होती हैं.   

         आयुर्वेद में आक जिसमे एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक, एंटी फंगल, एंटी डाइसेंट्रिक, एंटी सिफिलिटिक और एंटी रूमेटिक तत्व पाए जाते हैं. इसके पत्ते का इस्तेमाल तेल के साथ करने से सूजन को कम किया जा सकता है. इसके फूलों के इस्तेमाल से दर्जनों बीमारियों में तुरंत राहत मिलती है और इसकी जड़ का इस्तेमाल बवासीर जैसी गंभीर बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है. 

        इसके इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी होती है.   

      आक की शाखाओं में दूध निकलता है । वह दूध विष का काम देता है । आक गर्मी के दिनों में रेतिली बंजर भूमि पर होता है । आक के पौधे शुष्क प्रकृति के होते हैं । इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है । इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है । यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है । इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा लाभ होता है ।   

      चिकित्सा में उपयोग चिकत्सक की देख रेख में करें। 

ASK -आक के पौधे के नकारात्मक प्रभाव क्या होते हैं? 

ANS -आक का दूध यदि आंख में चला जाए तो आंख की रोशनी भी जा सकती है । अतः प्रयोग करते समय अपनी आंखों को बचा के रखे । ।  आक का पौधा बहुत ही विषैला होता है. इसको सूंघने मात्र से आप बेहोश हो सकते हैं. इसका सबसे ज़हरीला हिस्सा होता है जड़. हालांकि इसके पत्तों में भी जहर पाया जाताहै.नाज़ुक हिस्सो को बचा के रखे.   इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन ना करें ।    

Disclaimer- इस खबर में दी गई दवा/ औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. यह ब्लॉग का लेख किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

मंगलवार, 30 जनवरी 2024

रोगों से मुक्ति बिना दवा दारू के

रोगों से बचाव हैं चुम्बकीय मैट्रेस

चुंबकीय मैट्रेस क्या होती हैं ?

 मैग्नेटिक मैट्रेसेस के बारे में  कहा जाता है कि इसमें चुंबकीय क्षेत्र होता है जो शरीर के साथ संवेग करता है। और यह क्षेत्र  विशिष्ट चुंबक का उपयोग करके मैट्रेस बनाया जाता हैं। इसमें न्योडीमियम मैग्नेट कहा जाता है।

 इसका दावा है कि यह रोगों में सुधार कर सकता है और शारीरिक तंतुरुचियों को संतुलित कर सकता है। इससे हमारे शरीर में रुधिर का संचार बड़ता हैं और ऑक्सीजन का स्तर में बढ़ोतरी होती हैं जिससे शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन की आपूर्ति पूर्ण होती हैं और व्यक्ति को इससे लाभ मिलता हैं। हालिया समय में इसका उपयोग बहुत अधिकता में बढ़ रहा हैं। और जो लोग इससे प्रभावित होकर लाभ के रहे हैं वो सोशल मीडिया में स्वयं इनसे प्राप्त रोगों से मुक्ति के बारे में रिपोर्ट के साथ साक्ष्य दे रहे हैं।

मंगलवार, 11 जुलाई 2023

अरोमाथेरेपी और यज्ञ पद्धति से चिकित्सा

 अरोमाथेरेपी और यज्ञ पद्धति पर लेख 

अरोमोथेरपी और आयुर्वेदिक यज्ञ पद्धति से चिकित्सा से लाभ  

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      आरोमाथेरेपी एक प्रकार की चिकित्सा है जिसमें विभिन्न पौधों से प्राप्त किए जाने वाले तेलों का उपयोग किया जाता है, जबकि यज्ञ पद्धति में धूप, दाना और औषधियों के धुएं का उपयोग किया जाता है। आप दोनों तरीकों के विशेषताओं, उपयोगों और उनके प्रभावों की चर्चा करेंगे ।

       इस लेख में, आप यज्ञ पद्धति और अरोमाथेरेपी के प्रमुख उपयोगों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जैसे कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, आंतरिक शांति और सक्रियता को बढ़ाने में मदद करना। आप दोनों पद्धतियों के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों की चर्चा कर सकते हैं और उनके साथ-साथ चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में उनके उपयोग के उदाहरण प्रदान कर सकते हैं।

       हम अरोमाथेरेपी और यज्ञ पद्धति के बीच तुलनात्मक विश्लेषण करके पाठकों को इन दोनों चिकित्सा पद्धतियों के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा। इसके अलावा, आप चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में यज्ञ पद्धति और अरोमाथेरेपी के प्रभावों पर प्रमाणित अनुसंधान और अध्ययनों के बारे में भी जान सकते है.

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अरोमाथेरेपी मुख्यत 4  प्रकार  की होती हैं होते हैं।

  1. वापर या इनहेलेशन आरोमाथेरेपी: इस प्रकार के आरोमाथेरेपी में, आप खुद को तेलों के उपयोग से सुगंधित वायु के संपर्क में रखते हैं। यहां तक कि आप तेलों को वापराया विशेष आरोमाथेरेपी डिफ्यूज़र में डालकर कमरे की वायु को ताजगी और शांति से भर सकते हैं।

  2. बाथ आरोमाथेरेपी: इस प्रकार के आरोमाथेरेपी में, आप तेलों को गर्म पानी में मिलाते हैं और फिर इस मिश्रण को स्नान के दौरान उपयोग करते हैं। यह ताजगी और स्थायित्व प्रदान करने के लिए मदद करता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

  3. मालिश आरोमाथेरेपी: इस प्रकार के आरोमाथेरेपी में, आप तेलों को संघटक तेलों के साथ मिश्रित करके शरीर पर मालिश करते हैं। यह शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने, मांसपेशियों को शांत करने और मन को ताजगी देने में मदद कर सकता है।

  4. स्थानिक आरोमाथेरेपी: इस प्रकार की आरोमाथेरेपी में, तेलों को विशेष स्थानों पर लगाया जाता है, जैसे कि आंखों के आसपास, चेहरे के आसपास या सबसे अधिक तनाव वाले भागों पर। इसका उपयोग दर्द को कम करने, तनाव को शांत करने और ध्यान को स्थिर करने में किया जाता है।

ये कुछ मुख्य आरोमाथेरेपी के प्रकार हैं, हालांकि, अन्य भी प्रकार हो सकते हैं जो विशेष उपयोग, विधि या एकाग्रता की आवश्यकताओं के अनुसार बदल सकते हैं। और अधिक जानकारी के लिए आरोमाथेरेपिस्ट से विचार विमर्श करके परामर्श ले सकते हैं।

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यज्ञ द्वारा सुगन्धित चिकत्सा पद्धति क्या होती हैं ?

       यज्ञ द्वारा सुगंधित चिकित्सा पद्धति, जिसे आरोमा यज्ञ या धूप यज्ञ भी कहा जाता है, एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जिसमें वनस्पति के सुगंधित तत्वों का उपयोग उनकी सुगंध के माध्यम से होता है। यह पद्धति धूप यज्ञ या वनस्पति-यज्ञ के रूप में अन्य धार्मिक और आयुर्वेदिक परंपराओं में प्रचलित है।

इस पद्धति में, वनस्पति के विभिन्न भागों जैसे कि जड़, पत्तियाँ, फूल, लकड़ी, दारू, गुग्गुल, घास, लोबान आदि को सुगंधित धूप के रूप में जलाया जाता है। यह धूप यज्ञ धीमी आग में जलती है जिससे सुगंधित धुआं उत्पन्न होती है और वायु में फैलती है।

इस पद्धति को सुगंधित चिकित्सा के रूप में उपयोग करने के कई लाभ मान्यता प्राप्त हैं। इसका कहा जाता है कि सुगंधित धुआं के माध्यम से वनस्पति के तत्व वायुमंडल में प्रविष्ट होते हैं और शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यह माना जाता है कि इसके उपयोग से श्वसन प्रणाली, श्वासनली, नसों, मस्तिष्क, और मन को सक्रिय किया जा सकता है।

हालांकि, इस पद्धति का वैज्ञानिक आधार और आयुर्वेदिक प्रमाण प्राप्त करने के लिए अधिक शोध और अध्ययन की आवश्यकता है। सुगंधित चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने से पहले सलाह और सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए, विशेष रूप से यदि किसी व्यक्ति को किसी वनस्पति से एलर्जी हो सकती है या उनकी स्वास्थ्य स्थिति विशेष हो।

 

अरोमोथेरपी और सुगन्धित चिकत्सा पद्धति में क्या अंतर हैं ?

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अरोमाथेरेपी और सुगंधित चिकित्सा पद्धति दोनों ही चिकित्सा तकनीकें हैं जो तत्वों के सुगंधित प्रयोग के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण को प्रोत्साहित करती हैं। यहां इन दोनों पद्धतियों के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं:

  1. उपयोग का तरीका: अरोमाथेरेपी में, आरोमातिक तेलों का उपयोग किया जाता है जो वनस्पति से प्राप्त किए जाते हैं, जबकि सुगंधित चिकित्सा पद्धति में वनस्पति के अन्य तत्वों, जैसे कि जड़, पत्तियाँ, फूल, विटामिन, खाद्य पदार्थ आदि का उपयोग किया जाता है।

  2. उपयोग की विधियाँ: अरोमाथेरेपी में, आरोमातिक तेलों को वापर के द्वारा, मालिश के द्वारा, इनहेलेशन के द्वारा या स्नान में मिलाकर उपयोग किया जाता है। सुगंधित चिकित्सा पद्धति में, वनस्पति के तत्वों का उपयोग चयनित पदार्थों, जैसे पाउडर, पेस्ट, दवा, अभिषेक, प्रक्षालन आदि के रूप में किया जाता है।

  3. चिकित्सात्मक गुणों का प्रयोग: अरोमाथेरेपी में, आरोमातिक तेलों की विशेषताएं और चिकित्सात्मक गुणों का उपयोग किया जाता है। सुगंधित चिकित्सा पद्धति में, वनस्पति के तत्वों की सुगंधित गुणों और उनके चिकित्सात्मक लाभों का प्रयोग किया जाता है।

  4. चिकित्सात्मक पदार्थों का चयन: अरोमाथेरेपी में, चयनित तेलों का उपयोग किया जाता है, जो विशेषता के आधार पर चुने जाते हैं और विशिष्ट उपयोग के लिए योग्य माने जाते हैं। सुगंधित चिकित्सा पद्धति में, चयनित वनस्पति के तत्वों का उपयोग किया जाता है, जो उपचार के लिए समर्पित वनस्पतियों के रूप में चुने जाते हैं।

ये कुछ मुख्य अंतर हैं अरोमाथेरेपी और सुगंधित चिकित्सा पद्धति के बीच। हालांकि, ये दोनों पद्धतियाँ सुगंधित चिकित्सा में तत्वों के उपयोग पर आधारित हैं और शरीर, मन और आत्मा को स्वास्थ्य और सुख की ओर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करती हैं

प्रमुख आरोमाथेरेपी तेल

प्रमुख आरोमाथेरेपी तेलों के नाम हैं जो हिंदी में उपलब्ध होते हैं:

  1. लैवेंडर तेल (Lavender oil)

  2. टी ट्री तेल (Tea Tree oil)

  3. चमेली तेल (Jasmine oil)

  4. संडलवुड तेल (Sandalwood oil)

  5. रोजमेरी तेल (Rosemary oil)

  6. लेमनग्रास तेल (Lemongrass oil)

  7. य्लांग-य्लांग तेल (Ylang-Ylang oil)

  8. पचरी तेल (Patchouli oil)

  9. पीपरमिंट तेल (Peppermint oil)

  10. इवनिंग प्राइमरोज़ तेल (Evening Primrose oil)

ये कुछ आरोमाथेरेपी तेल हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य और सुंदरता समस्याओं में उपयोग होते हैं। याद रखें, आरोमाथेरेपी तेलों का उपयोग करने से पहले उनके उपयोग, गुण, और सुरक्षा के संबंध में विशेषज्ञ या वैध व्यक्ति से सलाह लेना उचित होगा।

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