छछूंदर के सिर में चमेली का तेल मुहावरे का शब्दारार्थ और बोलचाल के वाक्यों मे प्रयोग
मुहावरा: "छछूंदर के सिर में चमेली का तेल"
शब्दार्थ:
यह मुहावरा एक उपमा है जिसका शब्दार्थ होता है कि किसी के मन में अप्रायासित खुशी या आनंद होना। इसे बहुत ही सरलतापूर्वक दिखाने के लिए छछूंदर एक चूहे प्रजाति का छोटा जीव होता हैं। जिसके शरीर से दुर्गंध निकलती हैं जिससे उसे अच्छी खुशबू की पहचान नहीं होती हैं।
जिसके कारण जंगल के अन्य जानवर उसके पास नहीं आते। चमेली नामक पुष्प के तेल की योग्यता के बावजूद छछूंदर अच्छी और प्रिय बातों की पहचान नहीं होती। इसलिए, यह मुहावरा एक ऐसे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो खुशी या आनंद की बातों को समझने में असमर्थ होता है।
मतलब की अयोग्य व्यक्ति को मूल्यवान वस्तु प्राप्त होना हैं। कहावत “छछूंदर के सर में चमेली का तेल” मैं चमेली का तेल एक उत्कृष्ट वस्तु है और छछूंदर निकृष्ट जीव
उदाहरण वाक्य:
1. वह एक ऐसा व्यक्ति है जिसे छछूंदर के सिर में चमेली का तेल होने की जरूरत है, ताकि वह खुशी की सामग्री को समझ सके।
2. अच्छे और बुरे में अंतर के भाव को समझने की आवश्यकता होती हैं। अर्थार्थ अपने आप से बाहर झांक कर देखने की अति आवश्यकता होती हैं।
3. जब तक उसे अपनी दिमागी समझ में सुधार नहीं होगा, वह हमेशा छछूंदर के सिर में चमेली का तेल बना रहेगा। आवश्यक विद्या या वस्तु पास होने पर भी वो समझने में सक्षम नहीं होता हैं।
4. उसकी खुशी और आनंद छछूंदर के सिर में चमेली का तेल होने के कारण, वह खुद को अकेला महसूस करता है।
5 उसे छछूंदर के सिर में चमेली का तेल होने की आदत दूर करनी होगी, ताकि वह अपने दोस्तों के साथ खुशी और आनंद को साझा कर सके।
इसलिए व्यक्ति को छछूंदर के सिर में चमेली का तेल होने से बचना चाहिए।