मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

बकरी व चील की कहानी

 "सहायता करना गलत नहीं पर चुनाव सही होना जरूरी हैं अन्यथा अपने ही पर कुतरावा दोगे"

एक बार एक जंगल में एक शेर अपने परिवार के साथ  रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी के साथ 2 बच्चे भी थे। एक बार क्या हुआ की शेर व परिवार को भोजन किए 2 से 3 डिंबका समय बीत गया इसलिए शेर ने शेरनी से कहा की आज तो शिकार करने के लिए चलना होगा। और वो अपनी गुफा में दोनो बच्चो को छोड़ के शिकार के लिए दूर निकल गए। क्योंकि बच्चे को बहुत भूख लगीं हुई थी इसलिए वो गुफा के बाहर शेर व शेरनी का इंतजार कर रहे थे तभी उधर से एक बकरी गुजर रही थी। बकरी ने देखा की शेर के बच्चे भूख के मारे तड़प रहे थे इसलिए उसे दया आई और उसने दोनो बच्चो को अपना दूध पिलाया। कुछ देर बाद दोनो बच्चे शांत होगए और आपस में खेलने लगे। बकरी ने भी देखा की अब इनकी भूख शांत होगई हैं इसलिए उसे अपने मार्ग पे आगे बढ़ना चाहिए उसी समय शेर और शेरनी दोनो वापस लोट रहे थे । और आज भी उन्हें कोई शिकार नहीं मिला था। इसलिए शेर बकरी को देख के खुश होगया और उसकी और तेजी से दौड़ा। तभी दोनो बच्चे शेर और बकरी के बीच में आगए और उन्होंने शेर को बताया की कैसे बकरी ने उनकी भूख मिटाकर सहायता की हैं। इससे शेर और शेरनी बहुत खुश हुए और शेर ने बकरी को धन्यवाद दिया और उसकी सहायता के लिए उसे जंगल में कभी भी विचरण करने की आजादी दे दी। अब क्या था बकरी बहुत खुश हो गई और अब उसे जंगलबके शेर से डरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और अब बकरी कभी बच साथ और कभी सोए हुए शेर के बदन पर चढ़ती और उतरती। ये सब जंगल के बाकी जानवर भी देख रहे थे और अचंभित थे। और ये बात जंगल में आग की तरह फैल गई। सभी जानवरों को पता लगा की सहायता करने का फल कितना अच्छा व मीठा होता है उसी जंगल में एक चील भी रहती थी उसने भी ये बात सुनी और निश्चित किया की जब कभी भी उसको मौका मिलेगा तो वो भी सहायता करेगी। और एक दिन ऐसा समय आया की चील भोजन के लिए इधर उधर उड़ रही थी। उसने देखा की एक चूहा अपने परिवार के साथ एक दलदल में फंसा हुए हैं और बचने के लिए कोशिश कर रहा था लेकिन वो निकल नही पा रहें थे तभी चील ने सोचा की मौका भुनाने का यहीं सही समय हैं। और उनकी सहायता के लिए पहुंच गई। और उनको बारी बारी से सभी चूहों को दलदल से निकाल कर एक सुखी जगह पर रखा। तभी उसने देखा की चूहे ठंड के मारे तड़प रहे हैं। इसलिए उसने अपने पंख उनके ऊपर फैला कर बैठ गई। ताकि उनको गर्म करके आराम दे सके। और घंटे भर के बाद चील ने सोचा की अब चूहे आराम की स्थिति में आगए हैं इसलिए उसे अब चलना  चाहिए। जैसे ही चील ने उड़ने के लिए कोशिश की तो देखा की वो उड़ नहीं पा रहीं रही है। तभी उसने देखा की चूहों उसके पर कतर दिए हैं। इससे चील बहुत दुखी हुई और वो बकरी के पास गई और आपबीती सुनाई। तभी बकरी ने उसे बताया की सहायता करना गलत नही हैं पर आप जिसकी सहायता कर रहे हो वो उसकी वैल्यू करने में सक्षम हैं या नहीं यह जरूर आंकना चाहिए।।


"इसलिए सहायता करना गलत नहीं हैं पर जिसकी आप सहायता  कर रहे हो कभी वो चूहा तो नही हैं ये जरूर जांच ले अन्यथा कब आपके पंख कुतर देगा आपको पता भी नही चलेगा " Read More....

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