गुजरात तूफान/Gujarat Cyclone/बिपरजॉय
समुद्री उफ़ान भुज में |
कहावत हैं की दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक के पिता हैं। यह कहावत भारत और गुजरात सरकार की बिपरजॉय को लेकर की जा रही तैयारिओं पर सौ फीसदी चरीतार्थ हो रही हैं। 6 जून से पता लगते ही सरकार ने इसको गभींरता से लिया और युद्ध स्तर की तैयारी शुरू कर दी। जैसे जैसे ये शक्तिशाली चक्रवात 'बिपरजॉय' गुजरात की और बढ़ रहा हैं। सरकार का सारा तंत्र पुरे एक्टिव मोड में आचुका हैं। गुजरात समुद्र तट से लगे इलाको से 10 किलोमीटर के दायरे से लोगो को सुरक्षित जगहों पर विस्तापित कर दिया गया हैं। करीब 1 लाख 20 हजार से अधिक लोगों को सेलटर होम /सार्वजनिक जगहों पर सुरक्षित पहुँचाया जा चूका हैं। समुद्र के इलाके को पूर्ण रूप से सील कर दिया गया हैं। शक्तिशाली चक्रवात 'बिपरजॉय' के गुजरात के कच्छ में जखौ बंदरगाह के पास संभावित रूप से गुरुवार को टकराने के मद्देनजर श्रद्धालु के दर्शन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया हैं। और सोमनाथ मंदिर की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी लगा दी गई हैं।
यह तूफान इतिहास में सबसे लम्बे समय तक चलने वाला तूफान मन गया हैं। जिसकी आज सांय तक गुजरात पहुँचने की संभावना हैं। इस वक्त गुजरात के तटीय इलाको में तेज हवाओ के साथ वर्षा का दौर शुरू हो गया हैं।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह युद्ध स्तर पर िस्थति पे पैनी नजर लगाए हुए हैं। ताकि काम से काम जान धन की हानि होने से बचाया जा सके।
क्योंकि गुजरात के तटीय इलाकों पर एक बार फिर से समुद्री चक्रवात कहर बनाकर टूट रहा है। चक्रवात अभी काफी दूर हैं लेकिन कच्छ,मोरबी,देवभूमि द्वारका और जामनगर जिलों में डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही है। समुद्री चक्रवात बिपरजॉय की तुलना 25 साल पहले आए तूफान से की जा रही है जिसमे बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया था।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और नागरिक सुरक्षा ( NDRF ) ने संभाल रखा हैं मोर्चा
NDRF की 33 टीमें और सेना हाई अलर्ट पर मदद के लिए तैयार हैं। और ये तटीय इलाको में लोगों की सुरक्षा में दिन रात एक कर रहे हैं।
तूफान से सबसे अधिक क्या नुकसान होता हैं ?
मोबाइल टावर-दूरसंचार तंत्र ध्वस्त हो जाता हैं :
वर्तमान दौर में कम्युनिकेशन को बनाये रखना ऐसी िस्तथी में बहुत चुनौतीपूर्ण होता हैं। जिससे आवश्यक लोगो तक तुरंत सूचना पहुँच सके और मदद हो सके।
बिजली के खम्भे टूट जाते हैं :
ऊर्जा जीवन का आधार हैं। सरकार ने तूफान के बाद के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। और विधुत विभाग की टीम तैयार हैं। ताकि तूफान के बाद तुरन्त बिजली की सप्लाई को दुरस्त किया जा सके।
तेज हवाओं से फूस के घरों के पूरी तरह से नष्ट होने, कच्चे घरों को व्यापक नुकसान और पक्के घरों को भी थोड़ा-बहुत नुकसान होने की आशंका है.
फैसले ख़राब/पेड़ उखड जाते हैं।
130 से 150 किलोमीटर की स्पीड़ से हवाएँ पेड़ पौधो के साथ जमीनी फसल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं।
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