रविवार, 19 फ़रवरी 2023

परिवारवाद पर लोकतंत्र की जीत - महाराष्ट्र

    उद्धव नही चला पाए तीर धनुष



वर्ष 1966 में मशहूर कार्टूनिस्ट बाला साहेब ठाकरे ने ये कभी नहीं सोचा होगा होगा की उनका वारिश ही एक दिन जनता के सामने कार्टून बन जायेगा। महाराष्ट्र में शिवसेना एक मजबूत राजनैतिक दल के रूप में स्थापित हो चुकी थी। और हिंदू समर्थक नीति के कटर समर्थक रही पार्टी में। संकट के बादल बाल ठाकरे के देहांत के साथ ही मंडराने लगे थे। जब बाल ठाकरे ने पार्टी के कमान राज ठाकरे की बजाय पुत्र मोह में अपरिपक्व उद्धव के हाथो में थमा दी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना एंड भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और उद्धव की मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा के चलते हुऐ गुट ने भाजपा का दामन छोड़ के कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र  में नित विकास आघाड़ी सरकार का गठन किया। लेकिन समय के साथ कांग्रेस व शरद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सता में आते ही अपने एजेंडे पर काम करना शुरू किया।।

कंगना राणावत और पाल घर में संतों  की हत्या।

      सरकार के नशे में चूर उद्धव को ये दो घटनाएं जो की उद्धव के पतन का मुख्य कारण बनी। कंगना राणावत के निजी घर को बिना नोटिस के ये कह कर गिरा देना की ये मुंबई प्राधिकरण की बिना अनुमति के बना हैं। की घटना में कंगना ने जो श्राफ दिया था की वो दिन दूर नही जब तेरा घमंड चूर चूर होगा। और वर्ष 2020 में पालघर में मुसलमानो को भीड़ ने दो साधुवो और एक ड्राइवर की पीट पीट कर निर्मम हत्या की गई। और पूरे देश में इसकी निंदा हुई। ये दोनो घटनाओं में उद्धव की हिन्दुत्व की विचार धारा पर उद्धव का मुख्यमंत्री का पद भारी पड़ा और धीरे धीरे उद्धव ने अपने  ही कारकर्ताओ की भावनाओं के खिलाफ काम करना चालू कर दिया और दूरियां बनती गई । और  उद्धव ने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को आगे कर कार्यकर्ताओं से मिलना भी कम कर दिया। अंतत्व पार्टी में शिंदे गुट ने विद्रोह कर दिया और भाजपा के समर्थन ने नई सरकार का गठन किया गया जो वर्तमान सरकार के रूप में कार्यरत हैं। यह सचाई हैं। इसलिए लोकतंत्र में परिवारवाद जनता की भावनाओं  ठेस ही नही पहुंचता जबकि लोकतंत्र की नीव को भी कमजोर करता हैं।।

अर्णव गोस्वामी 

जो की न्यूज चैनल के चीफ एडिटर थे और ये चैनल मुखर होकर पूछता है भारत के नाम से सावन करता हैं और अपनी हिन्दुत्व छवि के लिए तेजी से बढ़ रहा हैं ने उद्धव सरकार पे सवाल खड़े करना शुरू किया तो अर्णव गोस्वामी जो हिरासत में लेके जेल में बंद कर दिया गया। जिसे हिन्दुत्व की विचार धारा रखने वाले लोगो को तगड़ा झटका लगा। और इन सब से दुखी होके शिवसैनिको ने बगावत का रास्ता इक्तिहार किया।।
शिवसेना की संपति का अधिकार।पार्टी फंड के रूप में बैंकों में जमा लगभग 148 करोड़ रुपये की फिक्स डिपोजिट (FD) और संपत्ति को इस्तोमाल करने 186 करोड़ की अचल संपत्ति हैं जिसमे उद्धव के घर के नीचे का माला भी बाला साहेब ने शिवसेना के नाम से कर दिया था जिस पे शिवसेना अपना दावा कर सकती हैं व इसके साथ पूरे राज्य में 80 के लगभग पार्टी के ऑफिस हैं जिनपर  अधिकार एकनाथ शिंदे गुट को होगा। 

अमित शाह का बयान।

पिछले आठ महीनों से अपने दिल की आवाज को निकलने का इंतजार कर रहे भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने कल उद्धव का नाम लिए बिना हमला बोला। और कहा की कैसे उन्होंने मोदी की बड़ी फोटो लगाकर महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना सता में आई और उद्धव ने जनता को धोका दिया। ऐसे लोगो से लोकतंत्र को बचाना चाहिए। और उन्होंने इसके लिए एकनाथ सिंधे को बधाई दी और जनता से  आहवान किया की महाराष्ट्र में 100% सीट लोकसभा में उनके गठबंधन को जिताएं और इसके लिए सभी कार्यकर्ता मिलजुल कर काम करे।।

शरद परिवार ने भी उद्धव को नसीयत दी

 की यह चुनाव आयोग का फैसला है। एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसे स्वीकार करें और नया चुनाव चिह्न लें।'' शरद पवार ने कहा कि पुराने चुनाव चिह्न के चले जाने का कोई बड़ा असर नहीं होने वाला है क्योंकि लोग नए वाले को स्वीकार करेंगे।।

उद्धव गुट इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा हैं। और उसके नजदीकी संजय रावत का अभिमान भी चकना चूर हो चुका हैं और अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि ये केंद्र सरकार के द्वारा एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा हैं।

1 टिप्पणी:

  1. राजनीतिक पार्टियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए||

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