शी जिनपिंग का तीसरे कार्यकाल का रास्ता प्रशस्त
चीन में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक में चीन के दूसरे सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति ली कियांग के नाम का एलान हो गया हैं। ली कियांग चीन में नौकरशाह रहे हैं।और शी जिनपिंग के वफादार लोगो में शुमार माने जातें हैं। ली कियांग एक विद्वान और व्यवहारिक दिमाग वाले व्यक्ति माने जाते हैं। और निजी क्षेत्र और नौकरशाही में अच्छी पकड़ रखते हैं।और वो चीन के सबसे अधिक आर्थिक रूप से बढ़नेवाले क्षेत्र के प्रभारी रहे हैं। जो चीन की धीमी पड़ती आर्थिक गतिविधियों के लिए सही साबित हो सकते हैं। ली कियांग इससे पूर्व शंघाई में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख रह चुके हैं। वो सेवानिवृत होने जा रहे प्रधानमंत्री ली केकियांग का स्थान लेंगे।रविवार को शी चिनपिंग तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी के मुखिया बने। पार्टी के 20 वे अधिवेशन यह निर्णय लिया गया। इसके साथ ही उन्होंने चीन का राष्ट्रपति बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया अब वो तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे।
शंघाई का एक और नेता शीर्ष नेतृत्व में शुमार।
शंघाई चीन के मुख्य शहरो में से एक हैं जिस जगह से ली कियांग का संबंध हैं।इससे पहले भी चाउ एनलाई और हुआ गुओफेंग को सीधे प्रधानमंत्री की सीधे जिम्मेदारी दी गई थी।और ये दोनों भी चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग के वफादार थे।शी जिनपिंग के भाषण में भारत को मैसेज।चीन में एक सप्ताह तक चली राष्ट्रीय कांग्रेस के 20 वे अधिवेशन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही देश के तीसरे कार्यकाल के लिए पुख्ता हो गए हैं। अब उनकी गिनती चीन के संस्थापक से भी ताकतवर नेता के रूप में होने लगी हैं। अपने भाषण में शी ने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन 2027 तक पीपल लिब्रेशन आर्मी (PLA) को वर्ल्ड क्लास सेना बनाने पर बल देके यह भी बता दिया की चीन परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा हैं।शी ने खुलासा किया की एक मजबूत रणनीति सिस्टम तैयार होगा जो किसी भी प्रकार के हमले का जवाब देने में सक्षम होगा।साफ तौर पर शी जिनपिंग का इशारा रॉकेट फोर्स और स्ट्रेटेजिक फोर्स का बढ़ाने को लेकर था।
स्थानीय युद्ध और शी जिनपिंग
शी जिंगपिंग का स्थानीय युद्ध की बात कहने का मतलब साफ समझा जा सकता हैं। वर्तमान में ताइवान के साथ सीमा विवाद की टेंशन और पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव बढ़ सकता हैं क्योंकि चीन तिब्बत में पहले से ही अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में लगा हुए हैं।यह सही हैं की शी जिनपिंग जून 2020 के अधिवेशन में गलवान हिंसा की क्लिप दिखाकर अपनी आक्रमकता का इशारा कर चुके थे।की चीन लंबे समय तक भारत के साथ खराब रिश्ते झेलने के लिए तैयार हैं। क्योंकि उनको पता हैं। भारत की सैनिक शक्ति अब विश्व स्तर में तब्दील हो चुकी हैं। और विश्व में भारत का समर्थन भी उसको चिंता में डालता हैं। इसलिए वो हिमाकत नही कर सकता लेकिन भारतीय सीमाओं पे अपना दबाव बनाए रखने की पूरी कोशिश करेगा जो उसकी रणनीति का हिस्सा हैं।
चीन और अमेरिका
चीन हमेशा आक्रमकता दिखाता हैं। और वो जनता हैं की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके खिलाफ कैसा माहोल हैं।इसलिए शी ने ताइवान और PLA तक का जिक्र किया शी ने साफ किया की इस सदी के माध्यम तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनेगा। और चीन मानवता,वैज्ञानिक समाजवाद,और चीनी बुद्धिमता पर आधारित एक नई पेशकश करेगा।
चीन की चिंता
शी चिनपिंग के भाषण से एक बात साफ़ हैं की अंतराष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि से उसको अब डर लगने लगा हैं इसलिए शी ने अपने भाषण में तकरीबन 100 टाइम्स सुरक्षा शब्द का प्रयोग किया इससे पहले वो 2017 में भी तकरीबन 50 बार सुरक्षा शब्द का प्रयोग कर चुके हैं। शी ने साफ किया की भ्रष्टाचार को समाप्त करना उनकी प्राधमिकता रहेगी। शी का भाषण में विज्ञान और तकनीकी ,आविष्कार,सुरक्षा के साथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में निवेश की बात करके साफ किया की देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन अपना इन्वेस्टमेंट जारी रखेगा।
बहुत ही अच्छी उपयोगी जानकारी!!
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