गुरुवार, 16 मार्च 2023

चीन के सस्ते सामान की पड़ताल-हिंदी में

 

 चीन के उत्पादों की घटिया गुणवता सचाई  

  पिछले कुछ वर्षों से चीन ने अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा सकती हैं। इसका निर्माण के क्षेत्र में अच्छी बढ़ोतरी। साथ में चीन की जनसंख्या अपने देश के लिए वरदान साबित हुई हैं।वर्ष 1987 में भारत और चीन की  अर्थव्यवस्था लगभग बराबर की थी।और दोनो देशों की नेक टू नेक GDP per capita इनकम 1990 तक भारत चीन से अमीर देश था। और आज चीन की अर्थव्यवस्था भारत से 6 गुणा बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी हैं। जहा चीन विश्व में दो नंबर की आर्थिक शक्ति बन चुका हैं और भारत पिछले एक दशक से वापस पटरी पे आते हुए दुनिया की 5th नंबर की आर्थिकी शक्ति बनने में कामयाब हुआ हैं।आज भी भारत की आर्थिक विकास दर में सेवा क्षेत्र की भागीदारी 61.5% हैं और चीन अभी भी 52.2% ही सेवा क्षेत्र का योगदान करने में कामयाब हुआ हैं। कृषि के क्षेत्र में भारत की GDP में 15.4% का हिसा हैं और चीन का मात्र 8.3% भागीदारी कृषि क्षेत्र से आती हैं। मुख्य अंतर हैं वो हैं निर्माण के क्षेत्र में जहां भारत की भागीदारी मात्र 23% हैं और चीन की भागीदारी 39.5% हैं। और इसी क्षेत्र के कारण चीन ने 33 वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में तेजी से काम किया। लेकिन अब उस तेजी पर ब्रेक लगते दिखाई दे रहे हैं उसका मुख्य कारण हैं उत्पादों की घटिया गुणवत्ता। चीन ने तेजी के चक्कर में विश्व बाजार में सस्ता और घटिया गुणवत्ता का समान उपलब्ध कराया।  लेकिन पूरे विश्व में निर्माण के क्षेत्र में संसाधनों के अभाव के कारण उत्पादन में भारी कमी थी जिसके कारण पूरे विश्व के देश चीन के माला को वरीयता देते थे। लेकिन अब समय बदल गया हैं और मुख्य कॉविड -19 के बाद ऐसी बहुत से उदहारण सामने आए जिससे चीन के उत्पादों की घटिया गुणवत्ता की पोल खोल दी। और भारत जैसे देश ने तो अपना पूरा ध्यान मेड इन इंडिया पे फोकस कर दिया हैं। और विश्व में अपनी विश्वसनीयता का बढ़ा रहा हैं।

 

म्यांमार को दिया खराब एयरक्राफ्ट

पाकिस्तान और चीन ने मिलकर JF -17 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बेचे गए थे। यह एयरक्राफ्ट पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर तैयार किए थे। जिसमे तकनीकी खराबी आने के कारण आपात लैंडिंग करनी पड़ी। और अब पाकिस्तान से तकनीकी टीम म्यांमार पहुंची हैं। इससे चीन के एयरक्राफ्ट एक्सपोर्ट के क्षेत्र को बड़ा झटका माना जा रहा हैं। म्यांमार सरकार ने आंतरिक विद्रोहियों से निपटने के लिए ये क्राफ्ट खरीदे थे क्योंकि म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सूं की को जेल भेजे और रोहिंग्या संकट के चलते पश्चिमी देशों ने म्यांमार को हथियारों की सप्लाई करने से इन्कार कर दिया था। और इसी कारण चीन और म्यांमार के आपसी सम्बन्धों में निकटता आई थी। लेकिन इस पहली डील में इस खराब क्राफ्ट के कारण झटका लगा हैं। चीन भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश ,श्रीलंका,नेपाल पाकिस्तान ओर म्यांमार को हथियारों की सप्लाई कर भारत पर दवाब बनाने की कोशिश करता रहता हैं।


भारत जल्द लागू करेगा भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

मोदी सरकार अस्तित्व में आने के साथ ही मेड इन इंडिया को आगे बढ़ाने को लेकर गंभीर हैं इसलिए अब चीन से आने वाले उत्पादों को भारतीय मानक ब्यूरो के मापदंडों पर खरा उतना होगा। इससे भारतीय व्यवसाय को फायदा होगा।और भारत में आने वाले घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों पर नकेल कसी जायेगी। भारत ने 371 उत्पादों को चिन्हित किया हैं क्योंकि भारत खिलोने और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स का बड़ा आयातक देश हैं।


आईफोन ने किया भारत का रुख


आईफोन निर्माता Apple कंपनी सहित दुनिया की बहुत सी कंपनी अपना कारोबार चीन से समेत कर जा रही हैं एप्पल ने अपना चीन वाला  प्लांट भारत में  विस्तापित करने की घोषणा कर दी हैं। अब विश्व में प्रत्येक 3rd आईफोन मेड इन इंडिया होगा।साथ ही कंपनी 2025 तक मैक, आईपैड,एप्पल वॉच समेत 25% उत्पादन चीन से बाहर निर्माण कार्य शुरू करने का प्लान बना रही है।चीन दुनिया की फैक्ट्री क्यों कहलाता हैं चीनी अर्थव्यवस्था में 40% हिस्सा निर्माण क्षेत्र का होता हैं। चीन वो देश हैं जिसमे दुनिया में काम  आनेवाले अधिकांश वस्तुओ का निर्माण करता हैं। यह बात आश्चर्य करने वाली हैं की चीन में ऐसा क्या हैं की उसे दुनियां को वो प्रतेक उत्पाद बना कर देने की क्षमता रखता हैं।

 

मुख्यत ये पांच कारण हैं


1.चीन में सस्ता और अधिक संख्या में श्रम की उपलब्धता

2.चीन में बाल श्रम पर भी कम प्रतिबंध माने जाते हैं।

3 चीन में व्यापार करने के लिए अनुकूल माहौल हैं। सरल कागजी कारवाई, कम टैक्स,अलग अलग इकोनॉमी जोन जो निर्माण क्षेत्र के लिए बनाए गए हैं।अच्छा ढांचागत भी निर्माण को बढ़ाने में सहायक हुआ हैं। साथ में सप्लाई चेन भी बहुत मजबूत हुई हैं।

4.सरकार के नियमो का सरलीकरण

जहां पूरी दुनिया में निर्माण क्षेत्र में बाल श्रम,अन्नेच्छिक श्रम, स्वास्थ और सुरक्षा के मापदंडों के साथ पर्यावरण के साथ सामाजिक जिम्मेदारियों की पालना के लिए अधिक जोर दिया जाता हैं। पर चीन में इन दिशा निर्देशों की पालना नहीं करने के लिए जाना जाता हैं।

5.सरकारी टैक्स

सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष रियायती दरों पर सुविधाओ के साथ साथ सब्सिडी भी देती हैं ताकि निर्माता विश्व बाजार में अपने प्रोडक्ट को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सके। साथ में चीन हमेशा से सभी सेगमेंट की मैनपावर को टारगेट करता हैं जिसके कारण निम्न टपके से लेकर प्रीमियम लोगो के लिए उत्पादों का निर्माण किया जाता है।मुद्रा पर नियंत्रण करके भी चीन हमेशा युआन के मुकाबले डॉलर को कमजोर करने के लिए समय समय पर कदम उठाता रहता हैं

    चीन आज भी अमीरिका जैसी आर्थिक शक्ति का लेनदार हैं वो अमरीका पे वर्तमान में भी करीब 1.2 ट्रिलियन डॉलर अमरीका से लेनदार हैं। तथा जहां अमरीका को इकोनॉमी size $25.35 ट्रिलियन की हैं। जबकि चीन की लगभग $19.91 ट्रिलियन की इकोनॉमी हैं।

      चीन के उत्पाद गुणवता और सस्ते होते हैं।यह केवल भ्रांति हैं की चीन सस्ते उत्पाद तैयार करता हैं। बल्कि चीन के 30% उत्पाद ही सस्ते हों सकते हैं बाकी बाजार के अनुसार ही कीमत होती हैं। और चीन हर वर्ग को ध्यान में रखकर निर्माण करता हैं। उद्धारण के तौर पे एक पेन  रुपया 5/- यूनिट का भी बनाता हैं तो रुपया 50/-यूनिट की भी बनाता हैं तो ये कहना  गलत होगा की चीन सभी वस्तुएं सस्ती और कम गुणवता की बनाता हैं। वर्ल्ड क्वालिटी इंडेक्स भी इस बात की पुष्टि करता हैं

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