सामाजिक समरसता का सही अर्थ हैं क्या ?
किसी भी देश प्रदेश में सभी वर्ग को मूलभूत जरूरतों का हक। जिसमें रोटी,कपड़ा,मकान, शिक्षा ,रोजगार के साथ न्याय का अधिकार मिलना ही सामाजिक समरसता कहलाती हैं। जिस समाज में इन सभी से वंचित लोगो के लिए कार्य करने की परम्परा या व्यवस्था होती हैं। वह समाज और देश अपना एक अलग मुकाम हासिल करते हैं। और आदर्श समाज और कहे तो रामराज्य के मूल सिद्धांत को चरितार्थ होता हैं।
इसी कड़ी ने सरकारी तंत्र सभी के लिए भोजन, शिक्षा और चिकित्सा के साथ आवास की व्यवस्था करने में अपने संसाधनों को लगाती हैं। लेकिन धरातल पर जिस समाज की मानसिकता में बदलाव आता हैं। वहीं पर सच्ची सामाजिक समरसता का सुन्दर रूप देखने को मिलता हैं। भारत में सनातन धर्म का मूल मंत्र ही सामाजिक समरसता पर आधारित हैं। इसके बिना रामराज्य की कल्पना करना भी निरर्थक हैं।
इसी भाव को चरितार्थ में पिरोते हुए सुमेरपुर की पवित्र पावन धरा पर श्री मुरारी बापू के प्रिय शिष्य श्री कमलेश जी शास्त्री आने वाले नवरात्रों में 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक गीता भवन सुमेरपुर में श्री राम कथा का वाचन करेंगे और । हमारे समाज में समरसता का भाव लिए चलो सनातन की और की मुहिम शुरू करेंगे जिसमें सुमेरपुर और शिवगंज के सभी सामाजिक,धार्मिक और व्यापारिक संगठनों के साथ किसान और ग्रामीण इलाकों से अधिक से अधिक लोग इस आयोजन में अपनी भागीदारी लेकर सनातन की एक नई अलख जगाने का कार्य करेंगे।। आस्था वैदिक संस्थान और श्री राम कथा महोत्सव समिति के संयुक्त तत्वाधान में इस भव्य आयोजन को रेखांकित किया जा रहा हैं।