गुरुवार, 2 मार्च 2023

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी

 "अलोकतांत्रिक व्यवस्था से दुनिया की कल्पना असंभव "

















कैंब्रिज में "21 वीं सदी में सुनना सीखना " विषय

भारत के कांग्रेस के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट राहुल गांधी  भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस के अधिवेशन के बाद सात दिनों के लिए ब्रिटिश दौर पर इंग्लैंड गए हुए हैं। कैंब्रिज में "21 वीं सदी में सुनना सीखना " विषय पर छात्रों को संबोधित किया। राहुल ने कहा की विश्व में लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ाने के लिए नई सोच की आवश्यकता हैं। नई सोच से राहुल का इशारा युवाओं और संवाद के साथ सौहार्दपूर्ण माहौल से लोकतांत्रिक मूल्य जिनमे सुनना -सीखना और अमल में लाने से था। साथ ही कहा की विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति भारत और अमरीका  जैसे देशों में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आई हैं।इससे बड़े पैमाने पर समामंता और आक्रोश सामने आया हैं।  हमने देखा होगे की राहुल गांधी के सक्रिय राजनीतिक में आने के बाद से असफलताओं के अलावा कुछ भी हाथ नही लगा और उसके पीछे हैं उनके कथनी और करनी में बढ़ा अंतर। उनकी पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों का बढ़ा अभाव हैं। राहुल खुद की  लोकसभा में उपस्थिति बताती हैं की वो संवाद में कितना विश्वास करते हैं। फिर जिस विषय पर बोलने की बात होती हैं वो उनके भाषण से गायब मिलता हैं।भारत के संसद में औसतन उपस्थिति से भी  बहुत कम हैं।।

अपरिपक्तवा की साफ़ झलक 


कैंब्रिज में राहुल की उपस्थिति भी एक सवाल खड़ा करती हैं। इस वक्त नहीं वो अध्यक्ष पद पर हैं ना ही वो कोई विद्वान हैं।निश्चित वो कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल के विजिटिंग फेलो हैं। लेकिन स्टूडेंट्स के सामने आपके चरित्र के साथ देश को भी देखा जाता हैं।क्योंकि  जिस प्रकार से एक दशक में भारतीय लोगो के जीवन स्तर में  बढ़ावा मिला हैं। वो काफी सहरनीय हैं। जिससे समाज में एक समानता का माहौल बना हैं। कुछ देशविरोधी और सैकुलर पार्टियों के एजेंडा को छोड़ दे तो एक दशक से भारत में शांति और सौहार्द का माहोल बना हैं। भारत का अनुशासन कोविड़ में सारी दुनिया ने देखा हैं। राहुल ने अपने भाषण में सेकंड वर्ल्डवार का भी जिक्र किया जिसमे रूस के विघटन की चर्चा करतें हुए बताया की अमरीका और चीन के दो अलग अलग दृष्टिकोण पर कहा की  11 सितंबर के हमलों के बाद अमरीका ने अपने द्वार दुनिया के लिए कम खोले जबकि चीन ने कम्युनिस्ट पार्टियों के संगठनों के जरिए सद्भावना को बढ़ावा दिया। अब जबकि चीन अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण माहौल नहीं रखता। श्रीलंका में अस्थिरता हो या पाकिस्तान में अराजकता का माहोल हो इसके लिए कोण जिम्मेदार हैं। हॉनकोंग से लेकर जापान ऑस्ट्रेलिया तक काले सागर तक सभी पड़ोसियों तक चीन के संबंध जग जाहिर हैं। राहुल ने कहा की संवाद लोकतंत का आधार हैं। आज भारत G 20 शिखर समेलन का आयोजना कर रहा हैं ये संवाद का ही मंच हैं जिसपर सदस्य  देश अपने व्यापार से लेकर शिक्षा और स्वास्थ जैसे मसलों पर आपसी विचार सांझा करते हैं और आगे बदने का रास्ता प्रशस्त करते हैं।

भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र 

राहुल ने इस भाषण में भारत जोड़ो यात्रा को एक तीर्थ का नाम दिया। राहुल को ये नहीं भूलना चाहिए की भारत जैसे आध्यात्मिक देश में तीर्थ का मतलब होता हैं जीवन की तमाम जिम्मेदारियों का पूर्ण करना और आगे का जीवन अपने आराध्य को समर्पित करना। यह एक राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को संगठित करने का प्रयास था। जिसका असर आने वाले समय में  देखने को मिलेगा।।

२०२२ में राहुल का विवादित भाषण 

राहुल गांधी 2022 में भी इस मंच पे मोदी पर भारतीय संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। जिसपर काफी विवाद हुआ था। राहुल की स्पीच से ये साफ होता हैं की राहुल को  मोदीफोबिया   हो चुका हैं। और इस फोबिया के कारण वो भारत की वास्तविकता से दूर बाते करते हुएं दिखाई देते हैं। एक राजनीतिक जीवन में आपकी आइडियोलॉजी का आंकलन जनता की कसौटी पर साबित करनें से होता हैं। और उस  पैमाने पर अभी भी राहुल को अपने आपको सिद्ध करना होगा।


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