मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

बाइडेन यूक्रेन यात्रा से रूस में हलचल

 क्या ये तीसरे विश्वयुद्ध का संकेत हैं ?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को यूक्रेन पहुंच कर दुनिया को हैरान कर दिया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 24 फरवरी को एक वर्ष पूरा होने ही वाला हैं की बाइडेन की ये अचानक यूक्रेन की यात्रा इस युद्ध में आग में घी का काम करेगी। क्योंकि ये कदम रूस को भड़काने वाला साबित हो सकता हैं।यह कदम इस युद्ध को विश्वयुद्ध की और ले जा सकता हैं। USA राष्ट्रपति जो इस वक्त दुनिया में सबसे ताकतवर देश के मुखिया हैं। हमेशा एयरफोर्स वन की सूरक्षा में सफर करने वाला शख्स ट्रांस अटलांटिक फ्लाइट से पोलैंड पहुंचे जो की उस यूक्रेन का मित्र देश हैं और वहां से 10 घंटे का सफर ट्रेन के द्वारा कीव पहुंचे।कई मौकों पर बाइडेन कह चुके हैं की वो यूक्रेन का साथ नही छोड़ेंगे।

यूक्रेन को अमरीकी मदद

युद्ध के शुरुवात से ही अमरीका यूक्रेन को सहायता देता आया हैं और कल कीव पहुंच कर बाइडेन ने यूक्रेन को और मदद का ऐलान कर दिया। अमरीका अब और अधिक आधुनिक हथियार एंड एयर सर्विलांस रडार यूक्रेन को मुहैया करवाएगा।अमरीका यूक्रेन को 500 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देगा।। बाइडेन ने ये भी कहा की एक वर्ष पहले पुतिन को लगा की यूक्रेन एक कमजोर देश हैं। और पश्चिमी देश बंटे हुए हैं लेकिन रुसी राष्ट्रपति ब्लादिर पुतिन गलत थे। और वो यूक्रेन को सैन्य,आर्थिक और मानवीय मदद दी हैं और उनका समर्थन बना रहेगा। 

इस दौर से एक बात आयने की भांति साफ हो गई हैं की यूक्रेन ने जो साहस दिखाया था उसके पीछे अमरीकी ताकत थी। पूरी दुनिया जानती हैं की अमरीका की  इकोनॉमी का मुख्य आधार सैन्य साजो सामान का एक्सपोर्ट हैं। और वो कभी भी ऐसे मौके को हाथ से नही जाने देना चाहता हैं इससे पहले भी अमरीका ऐसा कई बार कर चुका हैं जिसमे इराक ईरान की लड़ाई भी शामिल हैं। जो देश संयुक्तराष्ट का मुख्य देश हो जिसका कार्य विश्व में शांति स्थापित करना हो । लेकिन अमरीका स्वयं युद्धो को भड़काने का काम करता हैं। जहां भारत जैसे देश दुनिया में शांति का रास्ता पस्त करने की कोशिश में दिख रहे हैं। और यूरोपियन संघ ने भी G 20 में रूस यूक्रेन युद्ध का हल निकलने की उम्मीद जता रहे हैं।

युद्ध को जड़ NATO (North Atlantic Treaty Organisation)

रूस - यूक्रेन के बीच जंग की मुख्य वजह रही हैं NATO जिसको 1949 में शुरू किया गया था। और अब इसमें 30 देश  सदस्य हैं।NATO का सदस्य होने का मतलब हैं की एक दूसरे की रक्षा करने और गठबंधन के बीच एकजुटता की भावना पैदा करने की बाध्यता करना हैं।यूक्रेन भी NATO में शामिल होना चाहता था। लेकिन ये रूस को उसकी संपूर्भुता के लिए ये खतरा लग रहा था की इससे पश्चिमी देशों की हस्तक्षेप बड़ जायेगी जो 1990 के दशक में रूस का विभाजन हो चुका था। रूस इस तरह की कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता था। रूस को ये लगता था की यदि यूक्रेन NATO का सदस्य बनता है तो उसका शत्रु रूस के द्वार पर बैठने जैसा होगा इसलिए रूस और यूक्रेन के बीच आनें वाले देश मुख्यत अमरीका और ब्रिटेन ने इन्हे आगे बढ़ाने का काम किया। और ये कहना की अब ये युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध की और बढ़ता दिख रहा है। और ये अमरीका और रूस का शक्ति प्रदर्शन का एक और जरिया हैं। किसी की भी नजर यूक्रेन को जनता की भावनाओं के साथ नही हैं जो शांति और सद्धभावना के साथ रहना चाहते हैं। ऐसा नहीं हैं की सभी नाटो देश इस मत पर एकजुट हैं।डोनबास में जब रूस ने भीषण हमले किए उस समय अमरीका और यूरोपीय सहयोगी देश और अधिक हथियार देने पर सहमत नही थे। फ्रांस और जर्मनी ने इसका विरोध किया था की इससे युद्ध लंबा खिंचेगा और आर्थिक घाटा भी बढता चला जायेगा।

यूक्रेन युद्ध से सबसे ज्यादा नुकसान किसका 

वैसे देखा जाए तो इस युद्ध में एकतरफ यूक्रेन के साथ अमेरिका सहित यूरोपीय देश लगे हुए हैं और एक तरफ रूस अकेला खड़ा हया हैं और युद्ध एक साल पर भी किसी नतीजे पर पहुंचता नजर नहि आ रहा हैं।रूस किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा हैं। यूक्रेन को रूस की गोला बारूद ने शमशानो में तब्दील कर दिया हैं। शहर खंडर बन चुके हैं।  बड़ी आबादी को गेंहू की आपूर्ति करने वाला देश सब कुछ छोड़ के युद्ध लड़ रहा हैं

 इसका सबसे बड़ा नुकसान पूरी मानवजाति को चुकाना पड़ रहा हैं। दुनिया में एक अराजकता का माहौल बना हुआ हैं और महंगाई बढ़ती जा रही है। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका के मध्य कोई भी बड़ा इन्वेस्टमेंट नही करना चाहता जिससे रोजगार के अवसर भी नही बन पा रहे हैं । 

इस युद्ध से तकरीबन 2 लाख से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं और करीब 1.50 करोड़ यूक्रेनी नागरिक जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लाखो लोग विस्थापित होने को मजबूर हुए हैं।इस युद्ध में रूस और यूक्रेन दोनो दे ही एक एक  लाख सैनिकों को खो चुके हैं।।  विश्व में आर्थिक मंडी का खतरा बढ़ता जा रहा हैं। इससे रूस को भी आर्थिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ा हैं और 12%से 15%तक अर्थव्यवस्था में मंदी देखी जा रही हैं। 

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दे दी चेतावनी, कहा- अगर चीन

जेलेंसी ने कहा हैं की यदि चीन रूस का साथ देगा तो ये तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता हैं। इसलिए चीन को यूक्रेन का साथ देना चाहिए या तस्तथ रहना चाहिए ।

पुतिन ने खत्म की परमाणु संधि

पुतिन ने बाइडेन की यात्रा के बाद तथा तत्काल अमरीका के साथ एकमात्र बची संधि   न्यू न्यूक्लियर ट्रीटी को निलंबित करने की घोषणा कर दी हैं।ब्लादिमीर पुतिन ने बाइडेन की यात्रा को बोतल के बाहर जिन्न के आने के जैसा बताया। और आरोप लगाया की इस युद्ध के पीछे पश्चिमी देश ही जिमेदार हैं जिन्होंने यूक्रेनी लोगो पश्चिमी आकाओं के बंधक बन गए हैं। और पश्चिमी देशों ने इनके अर्थव्यवस्था और सेना पे कब्जा कर लिया हैं।बाइडेन ने भी कहा की अब NATO पहले से अधिक संगठित हो चुका हैं। वर्तमान घटनाक्रम रूस यूक्रेन युद्ध को तीसरे विश्व युद्ध की और बढ़ाने का एक कारण साबित हो सकता हैं।

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