शनिवार, 10 दिसंबर 2022

समान नागरिक संहिता

                                                               One nation one law

 



समान नागरीक सहिंता जौ अपने आप मे ही परिभाषित करता है ।। सभी के लिये अधिकार समान हो ।। भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के परा नंबर 4 मे ये विधित हैं की "राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।" लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी इसे हम लागू नहीं कर पाये और इस का नतिजा है की आज भी हमारा देश धर्म,जाती,लिंग,जन्म,स्थान के आधार पर बटा हुया हैं ।।जबकी भारत के धर्मनिरपेक्षता की नीव ये कानुन रखता है ।। और समाज मे एक समरसता का रास्ता पर्सस्थ होता है ।। जब प्राकर्तिक रुप से सब समान हैं ।। धूप छांव सबके लिये बराबर हैं । जौ पृकृति के लिये आवशयक  हैं ।। एक उदाहरण और देखिये जब हम परिवार मे रहते हैं तो बच्चे जवान पुरुष महिला बड़े बुजुर्ग सब समान तरीके से जीवन जीते है ।। और ऐसे परिवारो मे हमेश प्रेम व सौहार्द्र का माहौल रहता है ।। लेकिन समज मे जौ वोट की भाषा शुरू होती हैं वंही से बटवार सुरु हो जाता है ।। और इस ताने बाने को समाजिक-आर्धिक आधार को चुनौती देते हुए भेदभाव का माहौल बनाया जा रहा हैं ।। यह सत्य है की जब ये कानुन धरातल पे आयेगा तो बहुत सी समाजिक दिकत का समाधान हो जायेगा।। निश्चित ही इसपे बहस होनी चाहिए चर्चा होनी चाहिए ।। लेकिन जब राजस्थान के संसद किरोडी लाल मीणा इसको लेकर निजी विधेयक चर्चा के लिये रखा तो 63 सांसदो ने इस पे चर्चा के पक्ष मे वोट दिया जबकी 23 ने विपक्ष मे वोट किया।। मेरा सवाल इन 23 सांसदो से है और इनको समाज के सामने नंगा करना चाहिये नंगा से तात्पर्य हैं की इनको उजागर करना चाहिए कि ये लोग किस आधार पर इस पर चर्चा भी करना मुनासिफ नही समझते। इनकी दिवालिया सोच के कारण ही हम दुनिया से पिछड़े रहे हैं । जब की देश मे एक विधि विधान हैं एक झण्डा है तो सब के लिये कानुन के अधिकार भी एक हों मे कोई दोमत नही होना चाहिये।। कांग्रेस जौ की हर बात के विरोध ही करना का रव्या उसे गर्त मे ले जा चुका है ।। और थोड़ी बहुत कुछ संभावनाए बची हैं उनको भी धूमिल करने का काम नही करना चाहिये।।।। हमे ये नही भूलना चाहिये की इससे देश मे एकीकरण और लेंगीक न्याय व समानता को बढ़ावा मिलेगा व साथ मे महिलको की गरीमा को भी बढ़ावा देने मे कामयाब होंगे।। केरल हाई कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार को सभी धर्मो के विवाह अधिनियम एक समान करने पर गंभीरता से विचार करने को कहा है ।

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