सोमवार, 20 मार्च 2023

मरुप्रदेश होगा 20 जिलों के साथ भारत का नया राज्य

 राजस्थान में सियासी मास्टर स्टोक 

   यह निर्णय राजस्थान के विकास की दर्ष्टि से अहम् साबित हो सकता हैं यह सही है की राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर (132140 वर्ग मील) है। जो कि देश का 10.41% है

कई देशों से बड़ा हैं राजस्थान

   राजस्थान श्रीलंका से पांच गुना, चेकोस्लोवाकिया से तीन गुना, इजराइल से सत्रह गुना तथा इंग्लैण्ड से दुगुने से भी बड़ा है

19 नए जिले और 3 नए संभाग

      राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में जनता को अब तक का सबसे बड़ा तोहफा दिया। "मांगते मांगते थक जाओगे, मैं देते देते नहीं थकूंका" वाले अपने कथन के बाद उन्होंने जनता की मांग पर राजस्थान का नक्शा ही बदल दिया। हम बात कर रहे हैं प्रदेश में 19 नए जिलों की घोषणा की। गहलोत ने राज्य में 19 नए जिले और तीन नए संभाग बनाने की घोषणा की। इसी के साथ राजस्थान में अब जिलों की संख्या 50 हो गई है। चुनाव से पहले कांग्रेस इस बड़ी घोषणा को गहलोत की जादूगरी बताकर पेश किया जा रहा है।  

मरुप्रदेश की रूपरेखा

  मरूप्रदेश उत्तर-पश्चिम भारत का प्रस्तावित राज्य है। जो राजस्थान के कुछ भू-भागों को मिलाकर बनाने का प्रयास है। प्रस्तावित राज्य में राजधानी जोधपुर के साथ 20  इसमें  जिलें बाडमेर, जैसलमेर, बीकानेर, चुरु, गंगानगर, हनुमानगढ़, पूर्वी जोधपुर,पश्चिमी जोधपुर,सांचोर, जालोर, पाली, सिरोही ब्यावर ,कुचामन सिटी ,डीडवाना, बालोतरा,फलौदी ,अनूपगढ़, सीकर और नागौर शामिल हो सकता हैं ।इसमें संभाग भी जोधपुर,पाली,बीकानेर और सीकर सहित कुल 4  संभाग बन सकते हैं मरूप्रदेश में इसका क्षेत्रफल 213883 वर्ग किमी हो सकता हैं। जनसंख्या 2 कराेड़ 85 लाख 65 हजार 500 है। साक्षरता दर 63.80 गरीबी 68.85 लाख, शिक्षित बेराेजगार 10 लाख और प्रति व्यक्ति आय 252 रु. है।


   1953 से चल रही है मरूप्रदेश की मांग : वर्ष 2008 से मरूप्रदेश की मांग प्रदेश में चर्चा का विषय बनी। जयबीर गाेदारा ने अपने साथियाें संग ये मांग उठाते हुए कहा कि ये पुरानी मांग है। 1953 में जब राजस्थान बन रहा था तब जाेधपुर और बीकानेर रियासत के राजाओं ने मरूप्रदेश की मांग रखी थी।

    उस समय कई ज्ञापन दिए गए। 1956 में बीकानेर राजघराने के आव्हान पर बीकानेर बंद भी रहा था। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी काे तत्कालीन सीएम भैंराेसिंह शेखावत ने पत्र लिखकर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाॅर्डर व विकास काे देखते हुए राजस्थान के दाे टूकडे किए जाएं। गाैरतलब है कि 2008 से अब तक कई बार ये मांग उठाई जा चुकी है। 

   इसलिए राजस्थान और मरूप्रदेश बनकर भारत के विकास में मुख्य भूमिका निभा सकता हैं। राजस्थान में उद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। कोटा और सीकर भारत में IIT और NEET के लिए प्रसिद्ध हैं तो जोधपुर हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के लिए अपनी पहचान रखता हैं। बाड़मेर में पेट्रोलियम उत्पादन से पश्चिमी राजस्थान की बदलती तस्वीर साफ तौर पे देखी जा सकती हैं। इसलिए मरूप्रदेश और राजस्थान का विभाजन प्रदेश और देश हित में लिया हुआ फैसला साबित हो सकता हैं। अब देखना यह हैं की जादूगर अशोक गहलोत इसे धरातल पर उतारने की ओर पहला कदम बढ़ाते हैं या मोदी सरकार इस विषय पर अपना मास्टर स्टोक खेल सकती हैं।

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