शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

J&K और तिरंगा- मे वही लाल चौक हूँ ।

यह वही लाल चोक है । जिस पर मेने अपमान की घूँट पीकर उफ तक नही किया।। यह वही लाल चोक हैं जिस पर मुझे पैरो के नीचे कुचला जाता था यह वही लाल चोक हैं । जिसपर अमन पसंद लोगो को डर मे जीना पड़ता था । यह वही लाल चोक है । जिस पर फारुख जैसे गदारो ने मेरे लहू को को पानी समझा। यह वही लाल चोक है । जिस पर महबूबा जैसी महिला को कभी ना किसी माँ का लाल दिखा ना किसी का सुहाग नजर आया। यह बही लाल चोक है जिस पर वतन के मतवालो ने मेरे नाम को अपने लाल खुन से सिंचा । यह वही लाल चोक है ं । जँहा की मिट्टी से पैदा अन्न पड़ोसी खाते थे। यही वही लाल चोक है । जिसे 370 की बेडियों मे जकड़े हुये थे। यह वही लाल चोक है ।। जो कह रहा हैं की इतिहास करवट लेता हैं । तो कभी नेहरु और कभी मोदी मिलता हैं । यह वही लाल चोक हैं । जो आज अपनी आजादी की छटा भिखेर रहा हैं । और कह रहा है की खुन की नदियाँ बहाने वाले। झंडे को धमकाने वाले ।। देखो मे वही लाल चोक हूँ पहले से दुगनी चमक से साथ तुम पे मुझे दया आ रही है की तुम्हे मे माफ कर दूँ ।। ना आटा हैं । ना बिजली हैं । ना दवा हैं । तू पाकिस्तान हैं और मे वही लाल चौक हूँ ।।

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