India-मुस्लिम महिलाओं की आवाज
कल मंगलवार से जामा मस्जिद दिल्ली के सामने एक तकती लटकाई गई हैं । जिसमे महिलाओ/लड़कियो को अकेले मस्जिद मे दाखिल होने पर रोक लगाने का फरमान जारी किया गया है । और इसपे किसी भी प्रकार की आवाज सुनाई नहीं दे रही है ।। एक तरफ पूरी दुनिया की आधी आबादी को समानता की बात की जा रही है और महिलाये हरेक फ़ील्ड मे अपना लोहा मनवा रही हैं । तथा वो सक्षम हैं हर परिस्थिति को पार पाने मे ऐसे मे ये विषय गौर करने के लिये बाध्य करता है की मुस्लिम समाज के पुरुषार्थ को महिलाओं से इतना डर क्योँ लगता हैं जो उन्हे कभी हिजाब के नाम पर पर्दे मे रखना चाहते है । अब वो मस्जिद मे अकेले दाखिल नही हो सकती ।।
एक सभ्य समाज मे जँहा सभी के जीवन को समानता का अधिकार दिया जाना चाहिये ।। हमे धार्मिक सोच से ऊपर उठ कर मानवता की सोच लानी होगी। और इस तरह।की सोच को बदलना होगा। और ये दबाब केवल कमजोर लोगो तक सीमित होता है । आमिर खान की लड़की के कपड़े पहने की फोटो सोशल मीडिया मे बहुत आती हैं जिसमे वो अपनी पसंद के कपड़े पहनती है और इसका कोई भी विरोद्ध नही होता। और होना भी नही चाहिये क्योंकि हमे अपनी सोच मे बदलाव की आवश्यकता है ।। हर व्यक्ति को अपनी पसंद के अनुसार खाने पहनने की आजादी हैं । हाँ जँहा पर ड्रेस कोड एक अलग पहचान के लिये आवश्य होता है उसकी भी हमे पालना करनी चाहिये ।
वकील की काले रँग की ड्रेस होती हैं डॉक्टरों के लिये सफेद ड्रेस होती हैं । ऐसे ही पुलिस हो या आर्मी हो सबकी अपनी ड्रेस कोड होता है ।।स्कूल की अपनी ड्रेस होती हैं जो उनको एक अलग पहचान देने के लिये बनाई गई हैं। जिसको हम एकता, पहचान व सुरक्षा के नजरिये से बनाया गया है । मुस्लिम समाज का एक तपका जो मानव व राज्य से बढ़ कर इन सब बातो को मह्त्व देता हैं उनको अपनी मानसिकता को बदलना चाहिए ।
क्योंकि ये सब मानव हित मे नही है ।। हम 21 वीं सदी में जी रहे है जँहा पे चीजे बड़ी तेजी से बदल रही हैं । ऐसे मे कामयाब मुल्क को ये विषय बिल्कुल भी सौभा नही दे सकती ।। इसलिए समाज के लोगो को आगे आके इन सब बातो का विरोध करना चाहिये। और देश की छवि को धूमिल नही करना चाहिये।।
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