बवासीर/पाइल्स का रामबाण हैं आँकड़ा /आक/मदार
आयुर्वेदिक में आक के पौधे को मदार भी बोला जाता है बहुत से क्षेत्र में इसे आँकड़ा के नाम से भी पुकारा जाता हैं।
यह एक ऐसा पौधा है, जो बंजर भूमि पर अपने आप से उग आता है. इस पर सफेद और बैंगनी कलर के फूल आते हैं और यह अनेक औषधीय गुणों से भरा पौधा है.वैसे तो धरती पर सभी पेड़ पौधे गुणों का खजाना होते हैं.ऐसा ही एक है आक के पौधे हल्के फूल के साथ बीज हवा से बंजर भूमि पर अपने एक स्थान से अन्य स्थानों पर हवा के साथ चले जाते हैं और अपने आप उग आता है.
यह पौधा औषधि गुणों से भरा होता है. इसका दूध, पत्ती, जड़ प्रत्येक भाग औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके इस्तेमाल से शरीर की अनेको बीमारियों में फायदा होता है. इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दर्द में राहत मिलती है. सिर दर्द, कान दर्द और बवासीर में यह तेजी से राहत पहुंचाता है.
अगर इसका प्रयोग नियमित रूप से किया जाए तो यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करताहै.और यह एक ऐसा औषधीय गुणों से भरा पौधा है, जिसके फूल, पत्ती, जड़ अलग- अलग बीमारियों में काम आते हैं. यह सिर दर्द और कान दर्द को तेजी से ठीक करने मे है. इसके इस्तेमाल से व्यक्ति अपने आप को स्वस्थ रख सकता है. बस इसका इस्तेमाल करते वक्त डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानियां बरतनी होती हैं.
आयुर्वेद में आक जिसमे एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक, एंटी फंगल, एंटी डाइसेंट्रिक, एंटी सिफिलिटिक और एंटी रूमेटिक तत्व पाए जाते हैं. इसके पत्ते का इस्तेमाल तेल के साथ करने से सूजन को कम किया जा सकता है. इसके फूलों के इस्तेमाल से दर्जनों बीमारियों में तुरंत राहत मिलती है और इसकी जड़ का इस्तेमाल बवासीर जैसी गंभीर बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है.
इसके इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी होती है.
आक की शाखाओं में दूध निकलता है । वह दूध विष का काम देता है । आक गर्मी के दिनों में रेतिली बंजर भूमि पर होता है । आक के पौधे शुष्क प्रकृति के होते हैं । इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है । इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है । यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है । इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा लाभ होता है ।
चिकित्सा में उपयोग चिकत्सक की देख रेख में करें।
ASK -आक के पौधे के नकारात्मक प्रभाव क्या होते हैं?
ANS -आक का दूध यदि आंख में चला जाए तो आंख की रोशनी भी जा सकती है । अतः प्रयोग करते समय अपनी आंखों को बचा के रखे । । आक का पौधा बहुत ही विषैला होता है. इसको सूंघने मात्र से आप बेहोश हो सकते हैं. इसका सबसे ज़हरीला हिस्सा होता है जड़. हालांकि इसके पत्तों में भी जहर पाया जाताहै.नाज़ुक हिस्सो को बचा के रखे. इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन ना करें ।
Disclaimer- इस खबर में दी गई दवा/ औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. यह ब्लॉग का लेख किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
आयुर्वेद के पौधे
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