बुधवार, 19 अप्रैल 2023

अतीक अहमद- जैसी करनी वैसी भरणी।

अतीक के माफिया राज का अंत 

       अतीक अहमद- जैसी करनी वैसी भरणी कहावत का चरितार्थ का चित्रण प्रयागराज में जिस प्रकार से अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस के सामने जो हत्या हुई वो एक शर्मशार करने वाला कृत्य है।यह सही हैं की जिन लोगो का अतिक और उसके भाई से कोई दूर दूर तक कोई दुश्मनी नहीं।सभी अलग अलग जगह से तालुक रखने वाले। उनका स्वयं का क्रिमिनल इतिहास रहा हैं। फायर करने के बाद जय श्रीराम के नारे लगाते हुए हत्या को अंजाम देना। निश्चित ही किसी की बड़ी साजिश हैं। जिन लडको ने विदेश और महंगी पिस्टन से इस वारदात को अंजाम दिया। उनको प्लानिंग करके पिस्टन उपलब्ध कराना और उसकी ट्रेनिंग देना यह सब एक लंबी तैयारी का परिणाम था।

अतीक का अंत कन्ही राजनीतिक तो नही

      भारत के विपक्षी नेताओं और पार्टियों की सत्ता प्राप्ति की भूख और माफियाओं के संरक्षण का इतना भयंकर नंगा नृत्य शायद ही कभी भारतवासियों ने देखा हो जैसा अतीक को  अदालत द्वारा उम्र क़ैद की सज़ा सुनाने के बाद और अब उसकी हत्या के बाद जैसा सहगान चारों और से सुना जा रहा है।  ऐसा प्रतीत हो रहा जैसे मूढ़ विमूढ़ विपक्षी नेताओं की मति भ्रष्ट हो गई है।

      ऐसी ऐसी बातें टीवी पर आकर बोल रहें हैं जैसे इन्हें पता ही नहीं की अतीक उसका भाई अशरफ़ और पूरा परिवार कितना दुर्दांत अपराधी, , मवाली, गुंडा और माफिया था।
कितनी महिलाओं को विधवा बनाया, कितने बच्चों को अनाथ बनाया, कितने माँ बाप को निराश्रय कर दिया, कितनों का व्यापार ख़त्म कर दिया, कितनों की ज़मीन जायदाद हड़प ली। राजूपाल की हत्या कर उसकी तो नो दिन की ब्याही युवती को विधवा कर दिया था।  और राजुपाल का दोष सिर्फ़ इतना था की विधानसभा चुनाव में अतीक के भाई अशरफ़ को उसने हरा दिया था।  अतीक के आतंक से भयभीत राजू पाल ने अतीक से सिर्फ़ जीत के बाद आशीर्वाद पाने के लिए  फ़ोन किया था और अतीक ने कहा था चुनाव जीत गए अब ज़िंदगी जीत कर दिखाओ। यह सही हैं की ताकत अंधा बना देती हैं।
          इसलिए अतीक अहमद माफिया और राजनीति का घिनौना संगम बन गया था । इसे सपा ने कई बार विधायक बनाया और एक बार सांसद भी बनाया।  यह सब सिर्फ़ मुस्लिम वोट के ध्रुवीकरण के लिए किया , बंदूक़ के आतंक से वोट लेने के लिए किया और आज सबसे ज़्यादा दर्द भी अखिलेश और उसकी पार्टी को हो रहा है।
     

 अखिलेश कह रहें हैं की यूपी में क़ानून ख़त्म हो गया है, ममता, तेजस्वी, प्रियंका, ओवेसी, और सभी एक एक कर अपने अन्दाज़ में योगी और उत्तर प्रदेश शासन को कोस रहें हैं, विलाप कर रहें हैं, स्यापा कर रहें हैं जैसे अतीक की हत्या में उन्हें चुनाव जीतने का कोई राम बाण मिल गया हो।
कैसी विडंबना है , कैसी दुर्बुद्धि है, कितने नासमझ हो गये हैं सब विपक्षी नेता। जनता की नब्ज समझने में ऐसी भयंकर भूल कैसे कर सकते है। हतोत्साहित जनता दुर्दांत माफिया की हत्या पर ख़ुशियाँ मना रही है और कह रही है की माफियाओं का समापन सिर्फ़ योगी जी ने किया है सपा ,बसपा  कांग्रेस ने तो इन्हें पुष्पित पल्लवित किया था।
योगी जी को वही पुलिस मिली जो इनके पास भी थी लेकिन सिर्फ़ आज के विपक्ष के पास आज की राजनैतिक ईमानदारी नहीं थी, माफियाओं को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय नहीं था। माफियाओं के मार्फ़त सत्ता प्राप्त करना ही उस समय के विपक्ष का एकमात्र उद्देश्य था।
दशकों का माफिया साम्राज्य समाप्त करना इतना आसान नहीं था लेकिन योगी जी ने अपने दृढ़ निश्चय से उत्तरप्रदेश को भयमुक्त, माफिया मुक्त राज्य बनाने , माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का जो संकल्प लिया है वह प्रशंसनीय है।
हैरान हूँ की विपक्ष इतना परेशान क्यूँ है। क्या उन्हें डर था की अतीक किसी नेता, विदेशी शक्ति, पार्टी का नाम लेने वाला था, विदेशों से हथियार प्राप्त करने की बात तो वो मान ही चुका था।
उसकी हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए जाँच समिति नियुक्त हो चुकी है जिससे इस हत्या के पीछे के षड्यंत्र का खुलासा हो जाएगा, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। तब तक विपक्ष धैर्य क्यूँ नहीं रख पा रहा। शोरगुल मचाने से ऐसा महसूस करा रहे हैं जैसे माफियाओं के सचमुच संरक्षक यही थे और हैं।
क़ानून क़ानून के शासन से प्रदेश और राष्ट्र मज़बूत होता है, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है, लोगों की बेहतरी होती है। यह विपक्ष को समझना होगा और राष्ट्रीयहित के विषयों पर एक हो जाना चाहिए।
क्या यह सत्य नहीं है उत्तर प्रदेश में दंगे अब लगभग समाप्त हो गए है, यूपी जैसे संवेदनशील राज्य में अब त्योहारों पर सांप्रदायिक दंगे नहीं होते बल्कि सद्भाव नज़र आता है, गुंडों को पाताल से निकाल कर उनके स्थान पहुँचाया जा रहा है। गुंडे या तो प्रदेश छोड़ गये हैं, जेल में है या गुंडई छोड़ बैठे हैं।  
योगी जी को अनवरत करते रहना क्योंकि प्रदेश और देश उनके साथ है।
अतीक की पुलिस रिमांड से सफेदपोशों के बेनकाब होने का डर था।

अतीक अहमद की मौत के साथ सबसे बड़ा राज अनसुलझा ही रह गया कि अतीक अहमद के पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से किस तरह के रिश्ते थे। वे कहते हैं कि जिस तरह अतीक अहमद और उसके गैंग के पास विदेशी हथियारों का जखीरा था, उससे इसमें कोई शक नहीं नजर आता कि उसके पास अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की कोई कमी होगी।

अतीक अहमद की दौलत के वारिस होंगे उसकी बीवी और बेटे ।

         अतीक की बहुत बेनामी संपत्ति को यूपी सरकार पहले ही ध्वस्त कर चुकी हैं। लेकिन उसके पास अपार संपत्ति अलग अलग शहरो में हैं जिसकी जानकारी बीवी और बेटो को भी नही होगी। ऐसी संपति का क्या होगा।इस सवाल का जबाब समय के गर्भ में छिपा हुआ हैं।

 गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद की दिल्ली में कई महंगी संपत्तियां हैं

       इन संपत्तियों में शाहीन बाग, ओखला और जामिया नगर में स्थित अपार्टमेंट और ऑफिस स्पेस सहित आवासीय और वाणिज्यिक रियल एस्टेट दोनों शामिल हैं। ऐसा अनुमान है कि दिल्ली में अतीक का रियल एस्टेट पोर्टफोलियो कई करोड़ रुपये का हो सकता हैं।

जय श्रीराम के नारे लगाने का महत्व

         गोलियां बरसाने के बाद इन लोगों द्वारा लगाए गए धार्मिक नारे की भी तहकीकात हो रही है। हत्या करने के ठीक बाद तीन में से दो हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाए थे। उसी वक्त दोनों को पुलिस ने पकड़ लिया था। हालांकि भारतीय लोग ये सब समझते हैं इतनी जल्दी भावनाओं में बहेंगे नही। क्योंकि इन अपराधियों का इतिहास भी क्राइम का रहा हैं।और क्राइम का को धर्म नही होता हैं। इसलिए कानून अपने हिसाब से इनके गुनाहों की सजा इनको देगा।

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और साथी गुलाम का एनकाउंटर झांसी में।

 

 उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी असद अहमद और गुलाम का एनकाउंटर झांसी में

      उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद एक अन्य साथी गुलाम के साथ यूपी एसटीएफ(STF)के एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। दोनों को आज झांसी से 10 किलोमीटर की दूरी पर  मार गिराया गया। दोनों पर ही पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। यूपी STF   इससे पहले विकास दुबे का एनकाउंटर भी ज्यादा चर्चा में रहा था

उत्तरप्रदेश में  STF चीफ अमिताभ यश

      अमिताभ यश जिन्हें एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट भी कहा जाता है। वर्तमान में यूपी के  एडीजी अमिताभ यश ने अपने करियर में अब तक 150 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं और एक से बढ़कर एक दुर्गांत अपराधियों को ढेर कर दिया है। चंबल के बीहड़ों में दशकों तक दहशत फैलाने वाले डाकू ददुआ और ठोकिया को मार गिराने का क्रेडिट भी अमिताभ यश को ही जाता है।


Questions...एनकाउंटर क्या होता हैं?

     एनकाउंटर का हिंदी शाब्दिक अर्थ होता हैं मुठभेड़ जिसको हम आसान भाषा में कह सकते हैं। आपराधिक गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों और सुरक्षा के जवानों के बीच में खूनी संघर्ष।।


जब कोई व्यक्ति कोई अपराध करके भाग जाता हैं।तब पुलिस की जिम्मेदारी बनती हैं उससे पकड़ कर न्यायपालिका में उपस्थित करना और आगे उसके अपराधो की सजा न्यायपालिका के दिशा निर्देशों के अनुसार पालन करना।।इसलिए अपराधी सीधे न्यायपालिका के समक्ष भी पेश हो सकता हैं।
      परंतु कई बार अपराधियों में खौफ बिलकुल भी नहीं होता ऐसी स्थिति में वो पुलिस फोर्स से भी हथियारों से आमना सामना करने के दौरान पुलिस की गोली का शिकार होते हैं।इसी को एनकाउंटर कहा जाता हैं।पुलिस कानून के तहद इस दौरान भी उन्हें हथियार डाल कर आत्मसमर्पण करने को कहती हैं और कोशिश करती हैं लेकिन जब ये अपराधी सामने से हमला करते हैं तो कानून पुलिस कर्मियो को भी आत्मरक्षा के लिए जबाबी कारवाई करने की इजाजत देता हैं।

अतीक ने माना की असद की मौत का जिम्मेदार में हूं।

     परिवार जीवन की प्रथम पाठशाला होती हैं यह फिर साबित हो गया। मात्र 19 वर्ष की उम्र में अपने बेटे असद की मौत का जिम्मेदार एक पिता साबित हुआ। अतीक अहमद ने कबूला की बेटे को मौत का कारण में हूं। क्योंकि असद को हाथ में गन बाप ने दी थी। वही बाप उसके साथ में पेन दे सकता था,खेल की सामग्री दे सकता था वही गन उसको देश की सुरक्षा में भी चला सकता था। लेकिन अमूमन इंसान अपनी धन दौलत और पावर में इतना अंधा हो जाता हैं की उसकी हालत अतीक के जैसे हो जाती हैं। अतीक अपने बेटे के गुनाह और अपनी पॉवर के नशे में असद को शेर कहता था और चाचा का चहेता था असद।।


गुलाम के परिवार ने शव लेने से मना किया।

        उमेश हत्याकांड का शूटर मोहम्मद गुलाम पा भी इस एनकाउंटर में असद के साथ मौत के घाट उतार दिया गया। उसके कर्मों की सजा के साथ उसके भाई ने उसका शव लेने तक भी इंकार कर दिया और साफ कहा की जैसी करनी वैसी भरणी। गुलाम ने जो कर्म अतीक के कहने से किए उसकी सजा उसको मिली हैं।

असद का शव उसके मामा और  नाना ने स्वीकार करने के लिए कहा।


शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

सचिन पायलट का अपनी सरकार के खिलाफ अनशन

 

राजस्थान कांग्रेस में फिर सचिन गहलोत आमने सामने


    सचिन पायलट का अपनी सरकार के खिलाफ अनशन.यह सही हैं की राजस्थान कांग्रेस का कार्यकाल 4 साल पूरा कर चुका हैं। और कांग्रेस की गहलोत सरकार कांग्रेस और भाजपा के आपसी विवादो से अधिक सचिन और गहलोत खेमों की गहमागहमी की चर्चा रही है। यह आपसी मतभेद कांग्रेस के गले की फांद बन चुका है। और इसका सीधा सीधा असर राष्टीय कांग्रेस की नाकामी को दर्शाता है। जो पार्टी गत 4 वर्ष से अपनी अनुरूनी समस्याओं को निराकरण करने में असफल रही हैं उसपे जनता का विश्वास आना आसान नहीं होगा।



        अब सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी आवाज मुखर करते हुए 11 अप्रैल को जयपुर शाहिद स्मारक पर एक दिन का धरना देने का ऐलान कर दिया हैं। और यह अनशन गहलोत के खिलाफ होगा। सचिन ने गहलोत पे सीधे सीधे आरोप लगाते हुए।कहा की उनकी मिलीभगत वसुंधरा राजे के साथ हैं। क्योंकि पिछले चुनाव में वादे के अनुसार भ्रष्टाचार के खिलाप गहलोत सरकार ने कोई कार्यवाई नही की। जिसको जनता के साथ धोका हुआ हैं। और गहलोत ने बीजेपी के खिलाफ जो भी भ्रष्टाचार के मामले थे किसी पे कोई कार्रवाई नहीं की।और मिले जुले खेल में सारे मामले दबा दिए गए।
 

वसुंधरा सरकार के विपक्ष में रहते हुए गए थे भ्रष्टाचार के मुद्दे।

        सचिन ने कहा की विपक्ष में रहते हुए हमने कड़ा संघर्ष किया ।जिसके कारण कांग्रेस सत्ता में वापसी कर पाई। अब हमे वापस जनता के बीच में जाना हैं उनसे किए हुए वादों जा जवाब देना हैं.सचिन ने कहा की वो 28 मार्च और 2 नवंबर का गहलोत साहेब को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के मामले में कारवाई की मांग कर चुके हैं पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई हैं।

खनन माफिया और पेपर लीक घोटाला।

     सचिन पायलट का अपनी सरकार के खिलाफ अनशन से पहले सचिन खनन माफिया और पेपर लीक घोटाले पर किसी भी मंत्री और अधिकारियों पर कार्यवाई ना करने को लेकर गहलोत को जादूगरी कह कर तंज कस चुके हैं।क्योंकि बंद तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंचे इसमें  कोन सी जादूगरी हैं।

मुख्यमंत्री पद की लड़ाई

       यह सही हैं की सचिन पायलट ने पिछले विधानसभा में जी जान से मेहनत को और कांग्रेस को सत्ता में लाने का मुख्य किरदार निभाया। गहलोत साहब जो गांधी परिवार की नजदीकी का फायदा उठाया और पायलट की मेहनत पर पानी फेर दिया।और खुद मुख्यमंत्री बन गए। 

      राजनीति के मंजे हुए गहलोत जहां पर भाजपा के साथ सतरंज का खेल खेलते लेकिन उन्होंने अपनो को ही अपनी जादूगरी के जाल में ऐसा फसाया की सचिन पायलट अभी तक उससे पार नहीं कर पाए हैं। और एक साधारण MLA बनाकर छोड़ दिया।राजनीतिक में महत्वकांक्षा होनी चाहिए लेकिन गहलोत ने एक जुझारू साथी को अपने साथ जोड़ नही पाए और मुख्यमंत्री बनकर कमान अपने हाथ में लेली।

कांग्रेस राजस्थान प्रभारी रंघावा का वक्तव्य

      AICC की ओर से प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने कहा की में 5 महीने से राजस्थान का प्रभारी हूं सचिन ने कभी अपना विरोध दर्ज नहीं कराया,पायलट को अपनी बाद पार्टी के अंदर उठानी चाहिए थी यह उपवास को पार्टी विरोधी गतिविधि के तौर पर देखा जायेगा।।
 

      जब एक नेता मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहा हैं। जनता से किए हुए वादों को पूरा करने की बात कर रहा हैं। और वादों पर एक्शन नही होने पर अपनी ही सरकार के विरोध में अनशन कर रहा हैं तो इसमें गलत क्या हैं। रंघवा को 5 महीने में यह समझ नही आया या गहलोत ने अपने हिसाब से समझा दिया।।
     सचिन और पायलट का विवाद निश्चित कांग्रेस को राजस्थान से सफाया होने में मददगार साबित होगा। गुलाब नबी आजाद ने आप की आदलत में सही कहा था की कांग्रेस को नुकसान चाटुकार कर रहे हैं पार्टी का लोकतंत्र समाप्त हो चुका हैं और इन सब के लिए सोनिया और राहुल जिम्मेदार हैं।

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

Can Do Attitude/ऐटिटूड/एटीट्यूड

 ऐटिटूड/एटीट्यूड  (Attitude ) का  मतलब होता हैं ?

       ऐटिटूड/एटीट्यूड  (Attitude ) का  मतलब होता हैं.रवैया ,भाव,नजरिया,प्रकृति,मनोभाव और ऐंठ। हमने बहुत बार बोल चाल में ये शब्द बहुत सुनते हैं।  
देखो बन्दे का क्या ऐटिटूड हैं।
बन्दे का ऐटिटूड तो देखो।
इतना  ऐटिटूड दिखाना अच्छा नहीं हैं।
वह आज बहुत पॉजिटिव ऐटिटूड में लग रहा था।
उसका ऐटिटूड कुछ नकारात्मक लग रहा था।

Can Do Attitude का अर्थ होता हैं।  हमेशा कर गुजरने के भाव या रवैया।

       हमने रामायण में देखा होगा जब भी श्रीराम जी कन्हि मुसीबत में फसते तो यही सवाल होता था।  अब यह कैसे होगा।  इसे में पवन पुत्र हनुमान जी हमेशा Can Do Attitude में रहते थे।  अब उद्हारण के लिए लंका पर पूल बनाना हो या संजीवनी बूँटी के लिए पर्वत को भी उठा लाये थे। किसी भी कार्य का होना या ना होना व्यक्ति के एटीट्यूड पर निर्भर करता हैं और लोगों से आपके सम्बंध भी आपका एटीट्यूड ही निर्धारित करता हैं।
कुछ भी बड़ा करने के लिए व्यक्ति का एटीट्यूड बहुत महत्व रखता हैं।  एक तरह से हम कह सकते हैं की Can Do Attitude हमेशा सकारात्मक (Positive ) के तौर पे ही काम में लिया जाता हैं। हम कह सकते हैं की लोगों के व्यक्तितत्त्व का महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं आपका एटीट्यूड।

भारतीय जनता पार्टी का 43 साल का सफर /BJP 43 Year journey

में 43 वर्ष की होगी हुँ-भाजपा

Modi speech on BJP Birthday

      आज  भाजपा की उम्र 43  वर्ष हो गई हैं। भाजपा 6 अप्रैल 1980 से पहले भारतीय जनसंघ के रूप में जानी जाती थी। इस दल की  स्थापना 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में की गयी थी। इसके तीन संस्थापक सदस्य थे- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय। इस पार्टी का चुनाव चिह्न दीपक था,1952 के संसदीय चुनाव में जनसंघ ने दो सीटें जीती थी। तो वहीं भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीत तक का सफर तय कर चुकी हैं ।

         भाजपा भारत की  प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। यह संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले और प्राथमिक सदस्यता के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। भाजपा एक दक्षिणपंथी पार्टी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS ) के साथ इसके वैचारिक और संगठनात्मक संबंध हैं।


 भाजपा जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी का कारकर्ताओं को सम्बोधन /BJP Birth-Day 2023 PM Modi Speech

    

BJP Birthday


 भाजपा के 44वें स्थापना दिवस के मौके पर PM मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. मोदी ने कहा भाजपा की स्थापना से लेकर आज तक जिन महान विभूतियों ने पार्टी को सींचा है,संवारा है,सशक्त और समृद्ध किया है। छोटे से छोटे कार्यकर्ता से लेकर के वरिष्ठ पद पर रह कर देश और पार्टी की सेवा करने वाले सभी महानुभावों को मैं शीश झुका कर प्रणाम करता हूं।  अपने कार्यकर्ताओं को सामान और महत्व देना मोदी की सफलता का मूल मंत्र हैं।


    मोदी  ने आगे कहा कि आज हम सभी अपनी पार्टी का स्थापना दिवस मना रहे हैं. मां भारती की सेवा में समर्पित प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज हम देश के कोने-कोने में भगवान हनुमान की जयंती मना रहे हैं। हनुमान जी का जीवन आज भी हमने भारत की विकास यात्रा में प्रेरणा देते हैं. जब लक्ष्मण जी पर संकट आया तब हनुमान जी पूरा पर्वत ही उठाकर ले आए थे। 

        आज भारत समंदर जैसी विशाल चुनौतियों को पार करने और उनका मुकाबला करने में पहले से ज्यादा सक्षम है। हनुमान जी के पास असीम शक्ति है लेकिन इस शक्ति का इस्तेमाल वो तभी कर पाते हैं जब स्वयं पर से उनका संदेह समाप्त हो जाता है।  2014 से पहले भारत की भी यही स्थिति थी, लेकिन आज भारत बजरंगबली जी की तरह अपने भीतर सूक्त शक्तियों का आभास कर चुका है।

सफलता लाने के लिए Can Do Attitude जरुरी

        जब हनुमान जी को राक्षसों के सामने दो दो हाथ करने होते थे तो वो उतने ही कठोर भी हो गए थे।  इसी प्रकार से जब भ्रष्टाचार की बात आती है,जब परिवारवाद की बात आती है,कानून व्यवस्था की बात आती है तो भाजपा उतनी ही संकल्पबद्ध हो जाती है। मां भारती को इन बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए कठोर होना पड़े तो कठोर हों। संकल्पशक्ति से ही सफलता लाई जाती हैं। 


मोदी ने अपने भाषण में निम्न महत्वपूर्ण पॉइंट्स पे पार्टी की उपलब्धियाँ गिनवाई


1.नार्थ ईस्ट में शांति का सूरज निकला।
2. गुलामी की मानसिकता से देश बहार निकला रहा हैं।
3. 2014 में केवल सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ था नई यात्रा का शंखनाद हुआ था।  जिसपे रुकना नहीं हैं।
4. भ्रष्ट कामों के खुलासे से लोग बेचैन हैं ,और नफरत से भरे लोग झूंठ पर झूंठ बोल रहे हैं।
5.  आज देश तेजी से आगे बढ़ रहा हैं नित नए रिकॉर्ड बन रहे हैं - GST कलेक्शन,डिफेन्स एक्सपोर्ट,UPI पेमेंट का प्रयोग etc
6.  2024 में हमें कोई हरा नहीं सकता लेकिन हमें चुनाव के साथ  जनता का दिल जितना हैं।  

     इसके साथ ही मोदी ने कार्यकर्ताओ को सोशल मीडिया के साथ नए नए प्रयोग करते हुए अपने आपको अपडेट रहने के लिए भी कहा।
 

BJP -1952  से 2019 का लेखा जोखा

 

1952-प्रथम लोकसभा चुनाव -2  सीट भारतीय जनसंघ 

1957-द्वितय  लोकसभा चुनाव-4  सीट भारतीय जनसंघ
1962-तृतीया लोकसभा चुनाव-14 सीट भारतीय जनसंघ
1967-चतुर्थ   लोकसभा चुनाव- 35 सीट भारतीय जनसंघ
1971-पांचवां लोकसभा चुनाव-22 सीट भारतीय जनसंघ  
1977-छठी   लोकसभा चुनाव-295 सीट जनता पार्टी
मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने 2  वर्ष बाद पार्टी में विघटन और देसाई जी को इस्तीपा देना पड़ा    उसके बाद चौधरी चरणसिंह जी नए प्रधानमंत्री बने लेकिन वादे  के अनुसार  कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया और चरणसिंह जी की सरकार  गिर गई।
1980-सातंवी लोकसभा चुनाव-31 सीट भाजपा -अटल युग की शुरुवात
1984-आठंवी लोकसभा चुनाव-2 सीट भाजपा
1989-नौंवी   लोकसभा चुनाव-85 सीट भाजपा
1991-दसंवी लोकसभा चुनाव-120 सीट भाजपा
1996-ग्यारंवी लोकसभा चुनाव-161 सीट भाजपा
1998-बाहरवीं लोकसभा चुनाव-181 सीट भाजपा
1999-तेहरवीं लोकसभा चुनाव-182 सीट भाजपा
2004-चौदवीं लोकसभा चुनाव-138 सीट भाजपा
2009-पन्द्रंवि लोकसभा चुनाव-116 सीट भाजपा
2014-सोंलंवी लोकसभा चुनाव-282 सीट भाजपा ( नरेंद्र मोदी युग की शुरुवात )
2019-सत्रवीं  लोकसभा चुनाव- 303  सीट भाजपा  

      श्यामप्रसाद मुखर्जी की पार्टी गिरती उठती रही लेकिन हार नहीं मानी।  रामजन्म भूमि आंदोलन ने अटल बिहारी जी , लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी की तिकड़ी ने पार्टी की नींव को मजबूती प्रदान की और संघठन को मजबूती देते हुए अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार किया। और धीर धीरे एक उच्च वर्ग की पार्टी कही जाने वाला राजनितिक गुट अपनी मेहनत और लगन से देश की ही नहीं अपितु दुनिया का सबसे बड़ा राजनितिक संघठन बन गया। 

        और 2014  में नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा में आक्रमकता और सबका साथ सबका विकास और सब का प्रयास के ऊपर देश आर्थिक गति के पथ पर दौड़ चूका हैं। जिसका असर आमजन के जीवन पर भी दिखा रहा हैं।  मोदी के नेतृव में दुनिया ने भारत का लोहा माना हैं और देश की छवि और विश्व स्तर पर अच्छी पैठ दिखने लगी हैं।


सोमवार, 3 अप्रैल 2023

बाज़ का पुनर्जन्म /जीवन का कायाकल्प

 

बाज़ का पुनर्जन्म /जीवन का कायाकल्प

    बाज़ का जीवनचक्र मनुष्य के लिए हमेशा से प्रेरणादायक रहा हैं। बचपन से मादा बाज़ के द्वारा कठिन ट्रैंनिंग से उसके जीवन की शुरुवात होती हैं। और वो आसमान पर राज करता हैं।  अपने से 10  गुना वजनदार पशु पक्षियों का शिकार पलभर में  करना।  मिनटों में बादलों को चिर के ऊपर जाना।  कई  घंटो तक बिना पंख हिलाये आसमान की ऊंचाइयों पे उड़ते रहना  आमतौर पर यह सब मनुष्य के सपने होते हैं। 

        बाज़ जब अपने जीवन की व्रद्धावस्था में आता हैं तब उसके जीवन में मुश्किलें आना शुरू होती हैं।  यह मुश्किलें उसकी पंजो की पकड़ का कमजोर होना, उसकी शिकार के जो चोंच काम में लेता हैं। उसका अधिक मुड़ जाने के कारण शिकार करने में असाहय होना। और जिन मजबूत पतले और लम्बे पंखो से वो आसमान पर राज करता हैं उनका उसकी छाती से चिपकना और भारी हो जाना।  

       ये कठिन परिस्ठितिओ में उसको आगे का जीवन जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता हैं। ऐसे में उसके पास अधिक विकल्प बचते नहीं हैं।       

यह सही हैं की  भोजन जुटाने के लिए उसे पंख,चोंच और पंजों की मुख्य आवश्यकता होती हैं।  इनके कार्य नहीं करने के कारण बाज़ निश्च्चित  ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा. दूसरा यह भी हो सकता हैं की वो अन्य पशु पक्षियों के द्वारा शिकार किये हुए व उनके द्वारा छोड़ा हुआ भोजन से वो अपनी शेष जीवन को जिये और या वो अपनी इन तीनो अंगो को कायाकल्प कर पुनर्स्थापना करें।  ऐसे में बाज़ ने जैसा जीवन जिया होता हैं उसी को जीने का साहस भरता  हैं। और बाज़ अपने आस पास की ऊँची पहाड़ी की चोटी पर चला जाता हैं। तब उसके जीवन की सुधार (reforming) की प्रक्रिया शुरू होती हैं। 

       बाज़ पहाड़ी पर अपनी चोँच को पथरो पे मार मार के तोड़ देता हैं और इस दौरान वह  लहू लुहान हो जाता हैं। इसी प्रकार वह अपने पंजों को पथरो पर रगड़ रगड़  के घिस देता  हैं। जब उसके चोंच और पँजे  नए आजाते हैं तब वह अपने भारी और कमजोर हो चुके पंखो को नोंच नोंच के अलग कर देता हैं। इस दौरान वह घायल भी हो जाता हैं। अन्तत 6  महीने के बाद वही बाज़ एकबार फिर से नए पंखो,चोँच और पंजों के साथ आसमान में उसी गति से अपने जीवन का सफर शुरू करता हैं।  मनुष्य क के लिए बाज़ बहुत बड़ा प्रेरणादायक पक्षी हैं।  

मानव जीवन को भी समय समय पर परिवार,समाज,व्यवसाय,कार्य, दिनचर्या,व्यवहार और सोच को पुर्नस्थापित करने की आवश्यकता होती हैं। .....Read More

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

IPL 2023 के टॉप 100 यादगार पल।

 IPL 2023 के टॉप 100 यादगार पल

31st मार्च 2023 को नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम में उद्घाटन हुआ। प्रथम मैच में गुजरात टाइटंस ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया और चेन्नई को 178 रनों के स्कोर पर रोक दिया। जिसमे CSK की और से ऋतुराज गायकवाड ने 92 रन की यादगार पारी खेली। लेकिन शुभामन गिल के IPL में 50 वें हाफ सेंचुरी की बदौलत मैच गुजरात टाइटंस ने 5 विकेट से जीत दर्ज की। गिल ने 36 बॉल पर 63 रन की मैच विनिंग पारी खेली।IPL 2023 में सांस्कृतिक कार्यकर्म की कुछ झलकियां 

हम इस लेख में टाटा IPL 2023 के टॉप 100 यादगार पलो को संजोकर रखना चाहेंगे।


1.सुदर्शन देशपांडे IPL इतिहास के पहले इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर चेन्नई सुपर किंग्स की और से मैदान पर उतरे। लेकिन मैच में कोई इंपैक्ट नही छोड़ पाए उन्होंने मात्र 2 ओवर में 29 रन खर्च किए और कोई विकेट नही ले पाए।

2 . CSK v/s Gujarat match No 1-प्लेयर ऑफ़ थे मैच का ख़िताब राशिद खान को मिला। रशीद ने मैच के अहम् समय में मात्र 3  बॉल पर 10  रन और बॉलिंग में 26  रन देकर 2 विकेट ली और आल राउंडर प्रदर्शन  किया। 

बदलाव ही हैं आपके अस्तित्व का आधार

आपकी होशियारी रखी रह जाएगी यदि आपने नहीं किये बदलाव         इंसान सब कुछ भूल सकता हैं लेकिन यह तस्वीर में दिए हुए बदलाव को नहीं भूल सकते। जि...