मरुप्रदेश अब मांग नहीं हक़ हैं
मरू प्रदेश की मांग कोई नई नही हैं। राजस्थान निर्माण समय से अलग अलग रूप में नए राज्य के निर्माण की मांग जनता द्वारा की जाती रही हैं। कारण बहुत साफ हैं।जब किसी क्षेत्र का सर्वांगीण विकास देश दुनिया की गति से नहीं होता हो।और क्षेत्र की भाषा,रीति रिवाज, संस्कृति और भौगोलिक संरचना भिन्नता से परिपूर्ण हो।
जो दुनियां का 09 वाँ सबसे गर्म स्थान हो।जहां वर्ष भर तेज धूलभरी आंधियां,बंजड़ जमीन,कंटीली झाड़ियां,विपदाओं भरा जीवन,पानी की अनुउपलब्धता,पशुपालन पर आधारित अर्थव्यवस्था व रोजगार की तलाश में भटकते नागरिक, स्वास्थ सेवाओं के लिए 200-300 किलोमीटर का सफर, राजधानी की दूरी ,रुकने ठहरने की समस्या और खर्चा साथ में शारीरिक मानसिक थकान जैसी विषम परिस्थितियों में कोई भी राज्य विकास की धारा से संपूर्ण विलय बहुत मुश्किल हैं।इसलिए राजस्थान को दो भागों में विभाजित करके मरूप्रदेश का निर्माण करना जनता जनार्धन के साथ भारत के विकास में अहम फैसला हो सकता हैं। जो राज्य दुनिया के 109 देशों से भी क्षेत्रफल में बड़ा हो। वो देश के विकास में मुख्य भूमिका निभा सकता हैं।
मरुप्रदेश का संभावित प्रशासनिक स्वरुप
वर्तमान राजस्थान जो की 10 संभाग और 50 जिलों में वर्गीकृत हैं। यदि हैं निम्न 19 जिलों के साथ 4 संभाग को मरूप्रदेश से जोड़ते हैं तो एक नए राज्य को जन्म दे सकते हैं।
राज्य - मरूप्रदेश
राजधानी मुख्यालय - जोधपुर
सम्भांग की लिस्ट
1.जोधपुर
2.पाली
3.सीकर
4.बीकानेर
जिला मुख्यालय की लिस्ट
1.अनूपगढ़
2.गंगानगर
3.हनुमानगढ़
4.बीकानेर
5. नागौर
6.सीकर
7.डीडवाना
8.कुचामनसिटी
9.ब्यावर
10.पूर्वी जोधपुर
11.फलोदी
12.जैसलमेर
13.बालोतरा
14 बाड़मेर
15. सांचौर
16. जालौर
17.सिरोही
18.पाली
19.पश्चिमी जोधपुर
संभावित भौगोलिक भू-भाग
मरुप्रदेश का क्षेत्रफल- 2,13,883 वर्ग किमी.
मरुप्रदेश की जनसंख्या- 2,85,65,500
मरुप्रदेश की साक्षरता दर 63.80%
मरुप्रदेश में गरीब 68.85 लाख
मरुप्रदेश में शिक्षित बेरोजगार 10 लाख
मरुप्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 252 ₹
यह संभावित डाटा हमे नया मरूप्रदेश बनाने की और अग्रसर होने को विवश करता हैं। जो व्यक्ति इस भू भाग में विचरण कर चुका हैं वो कह सकता हैं की आज भी इस क्षेत्र का ग्रामीण परिवेश आजादी के 75 साल बाद भी देश की मुख्य धारा से 25-30 वर्ष पिछड़ा हुआ हैं।
मरुप्रदेश का इतिहास
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि राजस्थान निर्माण के दौरान बीकानेर और जोधपुर रियासत ने विलय कब पूरी ताकत से विरोध किया था तत्कालीन जोधपुर महाराजा हनवंत सिंह पहली लोकसभा में काली पगड़ी पहनकर पहुंचे थे 1953 में श्रीमान प्रताप सिंह पूर्व मंत्री बीकानेर स्टेट नेवी बीकानेर का राजस्थान विलय के विरोध में बंद का आह्वान किया था लेकिन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया गया था मरू प्रदेश दुनिया का नौवा गर्म स्थान है तेज धूल भरी आंधियां बंजर जमीन कटीली झाड़ियां के पदों से परिपूर्ण पानी की अनुपलब्धता पशुपालन पर आधारित रोजगार की कमी से ग्रसित क्षेत्र है पूर्व सांसद स्वामी केशवानंद ने अपनी पुस्तक "मरुभूमि सेवा" में भी रेगिस्तान के संपूर्ण विकास के लिए मरू प्रदेश की मांग की थी स्वर्गीय गुमान सिंह लोधा 1998, महाराजगंज सिंह ने, बाड़मेर से अमृता जी ने ,लेखक दिलसुख राय चौधरी सीकर, पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने भी अलग-अलग समय पर राजस्थान में मरूप्रदेश की मांग उठाई है। यहां तक कि 3 नए राज्य निर्माण के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के सामने राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने सन् 2000 से 2001 के बीच में पत्र लिखकर इस मांग को रखा था.
मरू प्रदेश भारत को विश्व शक्ति बनने मुख्य आधार साबित हो सकता है.
*मरुप्रदेश बनने से आम आदमी की पहुंच सरकार-प्रशासन तक आसान हो सकती हैं। आज जैसलमेर से जयपुर की दुरी 675 किलोमीटर की हैं /12 घंटे का सफर किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति की सोचने मात्र से रूह काँप जाती हैं।
*सरकार और प्रशासन अपनी नीतिओ को दूरदराज के गांव तक पहुव्हा सकता हैं। बेहतरीन तरीके से निगरानी रख सकता हैं।
*भ्रष्टाचार और माफिया गठजोड़ का खात्मा करना आसान हो जाता हैं
*सरकार,प्रशासन और जनता का प्रदेश में आवगमन कम होगा और व्यय में कटौती संभव हो पायेगी ।जयपुर जैसे शहरों पर जनसख्या का दबाब घटेगा।
* अधिकारी और सरकार के मंत्रीगण जनता से सीधा संपर्क बढ़ेगा तो संवाद सेतु बनेगा जिससे जनता से जुडी हुई समस्याओ का निराकरण समय पर तेजी होंगे।
* इस समय मरुप्रदेश में आय के लिए मिनरल्स ,उद्योग,पशुधन, खेती में नवाचार, सौर ऊर्जा का उत्पादन, बाड़मेर में पेट्रोलियम रिफाइनरी,जैसलमेर,जोधपुर,माउंट अबू,रणकपुर जैसे पर्यटक स्थानों , जोधपुर का हैंडिक्राफ्ट उद्योग, जैसलमेर और जालोर में चमड़ा उद्योग,नए मेडिकल कॉलेज,इंदिरा गाँधी नहर,मूंगफली,जीरा,इसबगोल,अनार ,सरसों जैसी फसलों का मुख्य केंद्र निश्चित मरुप्रदेश को नई बुलंदियों पर ले जाने का मादा रकते हैं।
* मात्र पानी के प्रबंधन से ही मरुप्रदेश अकेला अन्न के भण्डार भरने में सक्षम हो सकता हैं। जो भारत की भुखमरी मिटाने के लिए सहायक हो सकता हैं।
*भारत में जंगल,समुद्र,पहाड़ बहुत जगह पर हैं लेकिन रेगिस्तान मात्र मरुप्रदेश में ही हैं जो की पर्यटकों के लिए समेशा से आकर्षण का केंद्र रहा हैं। विशवस्तरीय व्यवस्तओं का विस्तार करके इसे दुनिया में अलग पहचान दी जा सकती हैं।
*सीकर झुंझुनू की शिक्षा और भारतीय सेना में योगदान,चूरू स्पोर्ट्स का हब,गंगानगर,अनूपगढ़,हनुमागढ़ कृषि आधारित उद्योग,नागोरी में मार्बल जालोर में ग्रेनाइट,जालोर बाडमेंर में अनार ,जीरा,ईसबगोल का उत्पादन,दुग्ध उतपदं, भेड़ ,बकरी और ऊँट का पशुधन, बारमेर की हिरण ,बीकानेर का भुजया पापड़,बीकानेर और जोधपुर का रिच खाना माउंट की प्राकृतिक छटा,ये सब मरु प्रदेश को नई पहचान देने में सक्षम हैं।
इन सभी मापदंडो को देकते हुए निश्चित केंद्र सरकार को राज्य का विभाजन करके विकास के नए मापदंड निर्धारित करने चाहिए। और जनता को मरुप्रदेश बनाकर रेगिस्तान की जनता के साथ न्याय करना चाहिए।
मरुप्रदेश अब मांग नहीं हक़ हैं.