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गुरुवार, 2 मार्च 2023

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी

 "अलोकतांत्रिक व्यवस्था से दुनिया की कल्पना असंभव "

















कैंब्रिज में "21 वीं सदी में सुनना सीखना " विषय

भारत के कांग्रेस के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट राहुल गांधी  भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस के अधिवेशन के बाद सात दिनों के लिए ब्रिटिश दौर पर इंग्लैंड गए हुए हैं। कैंब्रिज में "21 वीं सदी में सुनना सीखना " विषय पर छात्रों को संबोधित किया। राहुल ने कहा की विश्व में लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ाने के लिए नई सोच की आवश्यकता हैं। नई सोच से राहुल का इशारा युवाओं और संवाद के साथ सौहार्दपूर्ण माहौल से लोकतांत्रिक मूल्य जिनमे सुनना -सीखना और अमल में लाने से था। साथ ही कहा की विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति भारत और अमरीका  जैसे देशों में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आई हैं।इससे बड़े पैमाने पर समामंता और आक्रोश सामने आया हैं।  हमने देखा होगे की राहुल गांधी के सक्रिय राजनीतिक में आने के बाद से असफलताओं के अलावा कुछ भी हाथ नही लगा और उसके पीछे हैं उनके कथनी और करनी में बढ़ा अंतर। उनकी पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों का बढ़ा अभाव हैं। राहुल खुद की  लोकसभा में उपस्थिति बताती हैं की वो संवाद में कितना विश्वास करते हैं। फिर जिस विषय पर बोलने की बात होती हैं वो उनके भाषण से गायब मिलता हैं।भारत के संसद में औसतन उपस्थिति से भी  बहुत कम हैं।।

अपरिपक्तवा की साफ़ झलक 


कैंब्रिज में राहुल की उपस्थिति भी एक सवाल खड़ा करती हैं। इस वक्त नहीं वो अध्यक्ष पद पर हैं ना ही वो कोई विद्वान हैं।निश्चित वो कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल के विजिटिंग फेलो हैं। लेकिन स्टूडेंट्स के सामने आपके चरित्र के साथ देश को भी देखा जाता हैं।क्योंकि  जिस प्रकार से एक दशक में भारतीय लोगो के जीवन स्तर में  बढ़ावा मिला हैं। वो काफी सहरनीय हैं। जिससे समाज में एक समानता का माहौल बना हैं। कुछ देशविरोधी और सैकुलर पार्टियों के एजेंडा को छोड़ दे तो एक दशक से भारत में शांति और सौहार्द का माहोल बना हैं। भारत का अनुशासन कोविड़ में सारी दुनिया ने देखा हैं। राहुल ने अपने भाषण में सेकंड वर्ल्डवार का भी जिक्र किया जिसमे रूस के विघटन की चर्चा करतें हुए बताया की अमरीका और चीन के दो अलग अलग दृष्टिकोण पर कहा की  11 सितंबर के हमलों के बाद अमरीका ने अपने द्वार दुनिया के लिए कम खोले जबकि चीन ने कम्युनिस्ट पार्टियों के संगठनों के जरिए सद्भावना को बढ़ावा दिया। अब जबकि चीन अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण माहौल नहीं रखता। श्रीलंका में अस्थिरता हो या पाकिस्तान में अराजकता का माहोल हो इसके लिए कोण जिम्मेदार हैं। हॉनकोंग से लेकर जापान ऑस्ट्रेलिया तक काले सागर तक सभी पड़ोसियों तक चीन के संबंध जग जाहिर हैं। राहुल ने कहा की संवाद लोकतंत का आधार हैं। आज भारत G 20 शिखर समेलन का आयोजना कर रहा हैं ये संवाद का ही मंच हैं जिसपर सदस्य  देश अपने व्यापार से लेकर शिक्षा और स्वास्थ जैसे मसलों पर आपसी विचार सांझा करते हैं और आगे बदने का रास्ता प्रशस्त करते हैं।

भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र 

राहुल ने इस भाषण में भारत जोड़ो यात्रा को एक तीर्थ का नाम दिया। राहुल को ये नहीं भूलना चाहिए की भारत जैसे आध्यात्मिक देश में तीर्थ का मतलब होता हैं जीवन की तमाम जिम्मेदारियों का पूर्ण करना और आगे का जीवन अपने आराध्य को समर्पित करना। यह एक राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को संगठित करने का प्रयास था। जिसका असर आने वाले समय में  देखने को मिलेगा।।

२०२२ में राहुल का विवादित भाषण 

राहुल गांधी 2022 में भी इस मंच पे मोदी पर भारतीय संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। जिसपर काफी विवाद हुआ था। राहुल की स्पीच से ये साफ होता हैं की राहुल को  मोदीफोबिया   हो चुका हैं। और इस फोबिया के कारण वो भारत की वास्तविकता से दूर बाते करते हुएं दिखाई देते हैं। एक राजनीतिक जीवन में आपकी आइडियोलॉजी का आंकलन जनता की कसौटी पर साबित करनें से होता हैं। और उस  पैमाने पर अभी भी राहुल को अपने आपको सिद्ध करना होगा।


शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष।

रूस यूक्रेन की जंग में दुनिया की हार 



दुनिया  में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे अधिक जानें रूस - यूक्रेन युद्ध में हुई हैं। 24 फरबरी 2022 के अल सुबह जब रूस ने हमला बोला तो किसी ने नहीं सोचा था की ये लड़ाई 21वी सदी में दो पड़ोसी देशों में इतना लंबा पारंपरिक युद्ध चलेगा।

युद्ध का एक साल क्या खोया क्या पाया।

इस युद्ध ने यूक्रेन को ध्वस्त कर दिया हैं। यूक्रेन की बड़ी आबादी को अपने देश से भाग के पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा है। रूस ने इस एक साल में यूक्रेन की करीब 17% जमीन को कब्जा लिया हैं।इसमें इज्यूम,सेवरोडोनेटिक, लुहानक, डोनबस,डोनेट्सक,मरिउपोल, मेलिटोपोल मुख्य शहर हैं जंग रूस की सेना का नियंत्रण हैं। इस जंग में रूस ने 2 लाख सैनिक के मारे जाने व घायल होने की सूचना हैं। वन्ही पे यूक्रेन ने भी 1.50 लाख सैनिक और 30 हजार से अधिक आम लोगो की जाने गई हैं। एक साल के बाद जान्हा पे दोनो देश ही विजेता बने हुए हैं पर इससे मानवता की हार हुई हैं।और IMF के अनुसार इस युद्ध से 1 लाख करोड़ डॉलर के उत्पादन के बराबर नुकसान हुआ है।IMF के अनुसार सबसे अधिक धनी देशों में भी उपभोक्ता किमतो में 7.3% की बढ़ोतरी हुई हैं।जो पूर्वानुमानों से दुगनी के लगभग हैं।जबकि गरीब देशों में ये किमते 9.9% की वृद्धि दर्ज की गई हैं। यूक्रेन की GDP तबाह हो चुकी हैं। जबकि रूस का भारत जैसे देशों से आयात -निर्यात 9 अरब डॉलर से  बढ़कर 35 अरब डॉलर पर पहुंच गया हैं।

शरणार्थी महिलाओं के साथ देह व्यापार का खतरा।

इस युद्ध से जो मानवता का सबसे बड़ा संकट हैं।अपने घर से बेघर होना। इस दर्द को कोई नहीं समझ सकता जिसका आशियाना छूटता हैं वही इसे समझ सकता हैं। करीब 80 लाख लोग यूक्रेन छोड़ कर यूरोपीय देशों में चले गए हैं। इनमे अधिकतर ने पोलैंड में शरण ली हैं।इसके बाद रोमानिया,मोलधोवा,हंगरी, स्लोवाकिया मुख्य देश हैं जिन्होंने इन लोगो को शरण दी हैं। इन शरणार्थियों को संख्या किसी भी देश से पलायन करने वाले देशों में सबसे अधिक हैं। इससे पहले केवल वेनेजुएला से 32.9 लाख और अफगानिस्तान से 25.3 लाख और इराक युद्ध में 24 लाख लोगो ने अन्य मुल्कों में शरण ली थी।। ऐसे समय भुखमरी,रोजगार,कुपोषण के साथ साथ बच्चो की शिक्षा और बुजुर्गो के लिए स्वास्थ सेवाएं। और महिलाओं पे देह व्यापार का खतरा बढ़ता जाता हैं क्योंकि 60 वर्ष से कम उम्र के लोगो को यूक्रेन ने लड़ाई में शामिल होने के कारण जाने पर प्रतिबंध लगा रखा हैं।ऐसे में ये महिलाएं अपने बच्चो,बुजुर्गो के साथ अजनबियो पर भरोसा करने को मजबूर हैं।क्योंकि ऐसे वक्त पे हर देश में मानव तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं।क्योंकि लोग वोलेंट्री के रूप में अपना उलू सीधा कर पाने में सफल होते हैं।

अमेरिका और NATO देश 

बाइडेन की यात्रा से मसला और गर्म हो गया हैं। बाइडेन ने अचानक यूक्रेन पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया और यूक्रेन को 500 मिलियन डॉलर की मदद करके व उसी समय जेलेंशकी की चीन को युद्ध से दूर रहने की चेतावनी देके इसे और पेचीदा बना दिया हैं।क्योंकि जेलेंस्की ने कहा हैं कि चीन रूस का साथ देता हैं तो ये विश्वयुद्ध हो जायेगा।


 

NATO जो इस युद्ध का मूल कारण हैं 

क्योंकि यूक्रेन के नाटो के सदस्य बनने की जिद्द के कारण ही। रूस को अपनी संप्रभुता का खतरा लगा और युद्ध छिड़ गया।और अब नाटो के सभी 30 देश खुल कर यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। जो विश्व शक्ति रूस को मंजूर नहीं हैं।रूस के राष्ट्रपति ब्लादीर पुतिन ने युद्ध शुरू होने से पहले ही यह साफ कह दिया था की इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। रूस अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हैं। बाइडेन की यात्रा के तुरंत बाद रूस ने अमरीका के साथ परमाणु समझौता भी तोड़ दिया हैं और ये कदम युद्ध को विश्वयुद्ध की और लेजाने वाला साबित हो सकता हैं।

भारत और चीन की शांति की पहल

गुरुवार को संयुक्त महासभा में रूस के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जिसमे रूस तुरंत यूक्रेन से बाहर निकलने के लिए कहा गया । इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 वोट पड़े और विरोध में केवल 7 वोट पड़े,32देशों ने इस प्रस्ताव में मतदान नही किया। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति का वक्तव्य  की हम मजबूत हैं और हम युद्ध में रूस को हरा देंगे। ये बताने के लिए काफी हैं की ये युद्ध तीसरे विश्व युद्ध की और बढ़ता नजर आ रहा हैं। भारत ने यूएनओ में इस युद्ध को रोकने के लिए किए गए प्रयासों पर सवाल उठाए ।और नाकामयाबी बातें और चाइना ने शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आके 12 सूत्रीय शांति प्रस्ताव दिया जिसमे कहा गया की हर देश को संपूर्भुता का समान होने की बात कही गई है।शांति के प्रयास की शुरुवात हो, मानवीयता के लिए युद्ध बंधी और शरणार्थियों की सुरक्षा की बात कही गई।एकतरफा प्रतिबंधों को समाप्त करना होगा।अनाज और औद्यौगिक आपूर्ति के लिए एक्सपोर्ट और इंपोर्टेंट को वापस चालू करना होगा। और जो नुकसान इंफ्रास्ट्रक्चर को हुआ हैं उसका पुननिर्माण की योजनाओं को बात भी मुख्य रूस से करनी चाहिए।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने शांति के लिए चीन की पहल का स्वागत किया हैं और शांति के लिए वार्ता के लिए तैयार रहने की बात की हैं।भारत शुरू से ही तटस्थ रहते हुए युद्ध को छोड़ शांति के लिए बातचीत का रास्ता ही सबसे सही रास्ता सुझाया।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

बाइडेन यूक्रेन यात्रा से रूस में हलचल

 क्या ये तीसरे विश्वयुद्ध का संकेत हैं ?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को यूक्रेन पहुंच कर दुनिया को हैरान कर दिया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 24 फरवरी को एक वर्ष पूरा होने ही वाला हैं की बाइडेन की ये अचानक यूक्रेन की यात्रा इस युद्ध में आग में घी का काम करेगी। क्योंकि ये कदम रूस को भड़काने वाला साबित हो सकता हैं।यह कदम इस युद्ध को विश्वयुद्ध की और ले जा सकता हैं। USA राष्ट्रपति जो इस वक्त दुनिया में सबसे ताकतवर देश के मुखिया हैं। हमेशा एयरफोर्स वन की सूरक्षा में सफर करने वाला शख्स ट्रांस अटलांटिक फ्लाइट से पोलैंड पहुंचे जो की उस यूक्रेन का मित्र देश हैं और वहां से 10 घंटे का सफर ट्रेन के द्वारा कीव पहुंचे।कई मौकों पर बाइडेन कह चुके हैं की वो यूक्रेन का साथ नही छोड़ेंगे।

यूक्रेन को अमरीकी मदद

युद्ध के शुरुवात से ही अमरीका यूक्रेन को सहायता देता आया हैं और कल कीव पहुंच कर बाइडेन ने यूक्रेन को और मदद का ऐलान कर दिया। अमरीका अब और अधिक आधुनिक हथियार एंड एयर सर्विलांस रडार यूक्रेन को मुहैया करवाएगा।अमरीका यूक्रेन को 500 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देगा।। बाइडेन ने ये भी कहा की एक वर्ष पहले पुतिन को लगा की यूक्रेन एक कमजोर देश हैं। और पश्चिमी देश बंटे हुए हैं लेकिन रुसी राष्ट्रपति ब्लादिर पुतिन गलत थे। और वो यूक्रेन को सैन्य,आर्थिक और मानवीय मदद दी हैं और उनका समर्थन बना रहेगा। 

इस दौर से एक बात आयने की भांति साफ हो गई हैं की यूक्रेन ने जो साहस दिखाया था उसके पीछे अमरीकी ताकत थी। पूरी दुनिया जानती हैं की अमरीका की  इकोनॉमी का मुख्य आधार सैन्य साजो सामान का एक्सपोर्ट हैं। और वो कभी भी ऐसे मौके को हाथ से नही जाने देना चाहता हैं इससे पहले भी अमरीका ऐसा कई बार कर चुका हैं जिसमे इराक ईरान की लड़ाई भी शामिल हैं। जो देश संयुक्तराष्ट का मुख्य देश हो जिसका कार्य विश्व में शांति स्थापित करना हो । लेकिन अमरीका स्वयं युद्धो को भड़काने का काम करता हैं। जहां भारत जैसे देश दुनिया में शांति का रास्ता पस्त करने की कोशिश में दिख रहे हैं। और यूरोपियन संघ ने भी G 20 में रूस यूक्रेन युद्ध का हल निकलने की उम्मीद जता रहे हैं।

युद्ध को जड़ NATO (North Atlantic Treaty Organisation)

रूस - यूक्रेन के बीच जंग की मुख्य वजह रही हैं NATO जिसको 1949 में शुरू किया गया था। और अब इसमें 30 देश  सदस्य हैं।NATO का सदस्य होने का मतलब हैं की एक दूसरे की रक्षा करने और गठबंधन के बीच एकजुटता की भावना पैदा करने की बाध्यता करना हैं।यूक्रेन भी NATO में शामिल होना चाहता था। लेकिन ये रूस को उसकी संपूर्भुता के लिए ये खतरा लग रहा था की इससे पश्चिमी देशों की हस्तक्षेप बड़ जायेगी जो 1990 के दशक में रूस का विभाजन हो चुका था। रूस इस तरह की कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता था। रूस को ये लगता था की यदि यूक्रेन NATO का सदस्य बनता है तो उसका शत्रु रूस के द्वार पर बैठने जैसा होगा इसलिए रूस और यूक्रेन के बीच आनें वाले देश मुख्यत अमरीका और ब्रिटेन ने इन्हे आगे बढ़ाने का काम किया। और ये कहना की अब ये युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध की और बढ़ता दिख रहा है। और ये अमरीका और रूस का शक्ति प्रदर्शन का एक और जरिया हैं। किसी की भी नजर यूक्रेन को जनता की भावनाओं के साथ नही हैं जो शांति और सद्धभावना के साथ रहना चाहते हैं। ऐसा नहीं हैं की सभी नाटो देश इस मत पर एकजुट हैं।डोनबास में जब रूस ने भीषण हमले किए उस समय अमरीका और यूरोपीय सहयोगी देश और अधिक हथियार देने पर सहमत नही थे। फ्रांस और जर्मनी ने इसका विरोध किया था की इससे युद्ध लंबा खिंचेगा और आर्थिक घाटा भी बढता चला जायेगा।

यूक्रेन युद्ध से सबसे ज्यादा नुकसान किसका 

वैसे देखा जाए तो इस युद्ध में एकतरफ यूक्रेन के साथ अमेरिका सहित यूरोपीय देश लगे हुए हैं और एक तरफ रूस अकेला खड़ा हया हैं और युद्ध एक साल पर भी किसी नतीजे पर पहुंचता नजर नहि आ रहा हैं।रूस किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा हैं। यूक्रेन को रूस की गोला बारूद ने शमशानो में तब्दील कर दिया हैं। शहर खंडर बन चुके हैं।  बड़ी आबादी को गेंहू की आपूर्ति करने वाला देश सब कुछ छोड़ के युद्ध लड़ रहा हैं

 इसका सबसे बड़ा नुकसान पूरी मानवजाति को चुकाना पड़ रहा हैं। दुनिया में एक अराजकता का माहौल बना हुआ हैं और महंगाई बढ़ती जा रही है। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका के मध्य कोई भी बड़ा इन्वेस्टमेंट नही करना चाहता जिससे रोजगार के अवसर भी नही बन पा रहे हैं । 

इस युद्ध से तकरीबन 2 लाख से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं और करीब 1.50 करोड़ यूक्रेनी नागरिक जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लाखो लोग विस्थापित होने को मजबूर हुए हैं।इस युद्ध में रूस और यूक्रेन दोनो दे ही एक एक  लाख सैनिकों को खो चुके हैं।।  विश्व में आर्थिक मंडी का खतरा बढ़ता जा रहा हैं। इससे रूस को भी आर्थिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ा हैं और 12%से 15%तक अर्थव्यवस्था में मंदी देखी जा रही हैं। 

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दे दी चेतावनी, कहा- अगर चीन

जेलेंसी ने कहा हैं की यदि चीन रूस का साथ देगा तो ये तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता हैं। इसलिए चीन को यूक्रेन का साथ देना चाहिए या तस्तथ रहना चाहिए ।

पुतिन ने खत्म की परमाणु संधि

पुतिन ने बाइडेन की यात्रा के बाद तथा तत्काल अमरीका के साथ एकमात्र बची संधि   न्यू न्यूक्लियर ट्रीटी को निलंबित करने की घोषणा कर दी हैं।ब्लादिमीर पुतिन ने बाइडेन की यात्रा को बोतल के बाहर जिन्न के आने के जैसा बताया। और आरोप लगाया की इस युद्ध के पीछे पश्चिमी देश ही जिमेदार हैं जिन्होंने यूक्रेनी लोगो पश्चिमी आकाओं के बंधक बन गए हैं। और पश्चिमी देशों ने इनके अर्थव्यवस्था और सेना पे कब्जा कर लिया हैं।बाइडेन ने भी कहा की अब NATO पहले से अधिक संगठित हो चुका हैं। वर्तमान घटनाक्रम रूस यूक्रेन युद्ध को तीसरे विश्व युद्ध की और बढ़ाने का एक कारण साबित हो सकता हैं।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

मोदी के अलोकतांत्रिक वित्तीय निर्णय।

भारत ने खरीदे 470 विमान।


 इस समय मोदी सरकार का लोकप्रियता का ग्राफ भले ही ऊंचा हैं। मोदी द्वारा किए जा रहें कार्यों को निश्चित जनता द्वारा व दुनिया में सहराना मिल रही है। और देश में भाजपा का विस्तार हो रहा हैं। और मोदी के 9 साल का किया गया कार्य भी जनता के हित में रहे हैं तभी 2019 में मोदी सरकार सता में वापसी कर पाई। लेकिन जैसा की भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं और आज भी  

भारत 65% आबादी गांवों में निवास करती है।

  इसलिए वित्तीय रूप से देखा जाए और केंद्र सरकार का बजट को हम अध्यन करते हैं तो लगता हैं की बहुत कुछ देश में अलोकतांत्रिक वित्तीय निर्णय हो रहे हैं। इनसे कभी भी अमीर गरीब की खाई को भरा नहीं जा सकता। भारत जिसमे 37%आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीने को विवश हैं और गरीबी रेखा से मतलब की उस परिवार का महीने का कुल खर्च 3860 रूपये से नीचे रहता हैं। इससे ऊपर को सरकार गरीबी रेखा में नही मानती हैं। ये वो लोग हैं जिनको खाना मुफ्त चाहिए,शिक्षा व स्वास्थ मुफ्त चाहिए साथ में घर भी मुफ्त चाहिए क्योंकि इनके पास वो आधारभूत ढांचा आज भी नही हैं जिससे ये लोग इससे अधिक अर्थ उपार्जन कर पाए। ये वो लोग हैं जिनकी मेहनत से देश चलता हैं। किसान वर्ग जो अनाज ,सब्जी,दूध सब देश को उपलब्ध कराता हैं। किसी भी शहर का उद्योग में काम करने वाले लोग जो पेपर उद्योग,कृषि उद्योग,रियल स्टेट,सीमेंट उद्योग, चमड़ा उद्योग,कपड़ा उद्योग,माइंस उद्योग, ऑटोमोबाइल्स उद्योग जैसे क्षेत्र में अपनी सेवाएं देते हैं ।जिनमे सबसे अधिक प्रदूषण होता हैं और सबसे अधिक खामियाजा इन्ही को चुकाना होता हैं अपने स्वास्थ के रूप में। क्या बजट में सरकारें इनको देख के नीतियां बनाती हैं। हमे लगेगा की हां सरकारें ऐसा करती हैं। जैसे 80 करोड़ लोगो को फ्री अनाज जबकि गरीबी की रेखा से नीचे केवल 37% लोग ही हैं बाकी को सरकार वोट बैंक के तौर पे सुरक्षित रखना चाहती हैं। भारत जैसे देश में कल हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री का अमरीका व फ्रेंच के साथ दुनिया का सबसे बड़ा विमानन सौदा किया गया जिसमे एयरबस जो की फ्रांस की कम्पनी हैं से 250 विमान और बोइंग से 220 विमान जो की अमरीका की कम्पनी हैं। इसके लिए 70 अरब डॉलर यानी की 5.80 लाख करोड़ रूपये की डील साइन की गए। और ये डील वीडियो कॉन्फ्रेशिंग के जरिए PM मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो एंड टाटा समूह के डायरेक्टर रत्न टाटा की मौजूदगी में हुआ। और ब्रिटिश के पीएम ऋषि सनक ने भी बहुत खुशी जाहिर की क्योंकि फ्रांस में एयरबस को इंजन की आपूर्ति ब्रिटेन करता हैं इसलिए एक लाख करोड़ का निवेश उनको भी मिलेगा। और अमरीका भी खुश क्योंकि MOTI  कमाई हुई हैं और बाद में इनको सर्विस भी देनी होगी।

देश में 1% लोग हवाई यात्रा करते हो उस देश से इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट इस दिशा में सही हैं शायद भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इसे कोई भी न्यायोचित नहीं मानेगा। भारत में सड़को की चौड़ाई व सुंदरता पे बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता हैं /

केवल 7% भारतीय लोग कार रखते हैं 

 और तकरीबन 50% लोगो के टू व्हीलर उपलब्ध हैं।और ये सारा इन्वेस्टमेंट को धरातल पर उतारने वाले लोग ही अमीर हैं। इसलिए विपक्ष मोदी अडानी को लेकर बार बार आरोप लगा रहा हैं।  कोई भी ये नही कह रहा हैं की घोटाला हुआ हैं सवाल ये हैं की क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में किसी एक व्यक्ति के ऊपर इतना जोखिम लेना न्यायओचित हैं शायद नहीं। क्योंकि ऐसा नहीं हैं की भारत में और लोगों की कमी हैं इसलिए विपक्ष के आरोपों को नजरंदाज करना देश के गरीबी को और गरीबी में लेकर जा सकता हैं। बुलेट ट्रेन की नीव रखी तो भारत के पीएम मोदी जी ने कहा था की हमे विश्व प्रतिस्पर्धा  में आगे आने के लिए निर्णय करने होंगे। और एक बहुत बड़ी धनराशि से अहमदाबाद से मुंबई के लिए बुलेट ट्रेन के लिए आवंटित कर दी गई। अब हमे देखना होगा की भारत के कितने लोगो को इसका सौभाग्य इस जीवन में मिलेगा।।। 

गरीबों का ट्रांसपोर्ट हैं बस और ट्रेन 

और पूरे भारत में सरकारी बसों में  कमी होते जा रही हैं और ट्रेंस में जनरल डिब्बे आज भी 2 से 4 ही होते हैं जिनमें पशुओं की भांति लोग ट्रैवल करनें को मजबूर हैं।। इस देश में लोग खरबों रुपया अपने घर पर खर्च करते हैं जबकि रूपये से कई गांवों की काया पलट सकती हैं और गांवों में रोजगार पैदा हो सकते हैं और भारत फिर से सोने की चिड़िया बन सकता हैं। इसलिए सरकारों को भारत जैसे देश में 5% लोगो को ध्यान में रखते हुए नीति नहीं बनानी चाहिए। और गरीब अमीर की खाई को भरने की कोशिश करनी चाहिए। और विपक्ष को भी अपनी आवाज को सही तरह से उठाना चाहिए। अन्यथा इन अलोकत्रांत्रिक वित्तीय निर्णयों से केवल चंद लोगो को ही फायदा होगा और देश के एक बड़े तपके में असंतोष का भाव पैदा होगा जो। मानव जाति के लिए सही साबित नही होगा।इसलिए सरकारों को चाहिए की लोगो को शिक्षा, स्वास्थ के साथ अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाले निर्णय ले।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

बीबीसी को मिला विपक्ष का सहारा

बीबीसी की टैक्स चोरी पर छापेमारी




BBC पर इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी को लेकर आज दिल्ली और मुंबई में इनकम टैक्स विभाग की रेड हुई हैं। क्योंकि टैक्स में गड़बड़ी के जवाब में ITD ने BBC को नोटिस दिया हुए था और जिसका संतुष्ट पूर्ण कोई जवाब नही मिलने के कारण डिपार्टमेंट को छापा मारना पड़ा।।


जिसमे केवल अकाउंट्स डिटेल को खंगाला गया। रेड में और किसी भी तरह की और कोई तहकीकात नही की गई।

कांग्रेस के जयराम रमेश ने इसे देश में अघोषित आपातकाल करारा दिया और दिग्विजयसिंह ने इसे  मोदी डॉक्यूमेंट्री के कारण इसे बदले की कार्रवाई बताया । ।

सोशल मीडिया पे जिस तरह से कांग्रेस एक्टिवेट होती हैं ये जनता को समझ आने लगा हैं।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने BBC को विश्व का एक विश्वनीय मीडिया हाउस बताया। लेकिन गहलोत जी शायद ये भूल गए हैं की उनके ही 40 सांसदो ने एक समय BBC के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।


लगे हाथ  आम आदमी पार्टी ने इसे वैचारिक आपक्तकाल करार दिया।और कहा की इससे भारत के लोकतांत्रिक  की इमेज को विश्वपटल पर झटका लगेगा। यह सही हैं की इस समय।विपक्ष के पास मोदी को कोई जवाब नही हैं और वो कोई मौका नहीं खोना चाहते एन केन परकारेंन वो।मोदी की छवि को धूमिल कर इसका फायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए पूरा विपक्ष मोदी अदानी को छोड़ के तुरंत बीबीसीए वाला नेरटीव फिट करने में लग जाता है।

 

संजय रावत ने आरोप लगाया की भारत लोकतांत्रिक छवि खो रहा है। उदव ठाकरे ने आरोप लगाया की मोदी सरकार आवाज को रोंधने की कोशिश कर रही हैं। मौका मिलते ही अखिलेश भी TV पर आकर इसको देश में वैचारिक इमर्जेंसी करार दिया। एक बात साफ हैं भारत में कांग्रेस ही नही जितनी भी परिवारिक राजनीतिक पार्टी भी अपनी जमीन बचाने की कोशिश में लगी हैं। इस मुद्दे को लेकर भी बीजेपी ने विपक्ष को पुर जोर जवाब दिया। और अमित शाह ने कहा की विपक्ष आज से नही 2002 से मोदी के पीछे लगे हुए हैं लेकिन मोदी जनता के विश्वास पे उतने ही निखरते आ रहे हैं। लेकिन मोदी एंड टीम किसी भी हालत में बैकफुट पे नही दिख रही हैं और आज मोदी अदानी के एपिसोड के बाद आज भारत व फ्रांस के मुखिया भारत के उद्योग पति रत्न टाटा की मौजूदगी में 250 विमान खरीदने के सौदे को फाइनल किया और पूरी दुनिया में विमान प्राधिकरण इतिहास की सबसे बड़ी डील को अंजाम दिया। और ये साफ कर दिया की ये मोदी हैं विपक्ष कुछ भी करता रहे ये मोदी हैं इस रोक पाना वर्तमान विपक्ष के बूते के बाहर हैं। राहुल हो, ममता दीदी हो, नीतीश कुमार, केजरीवाल हो, ओवेशी हो या शरद पवार हो ,अखिलेश हो तेजस यादव हो सब अपने वजूद को बचाने के लिए मुस्लिम वोटर्स को हतियाने के लिए कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं तभी आज उदय ठाकरे मुस्लिम धर्मगुरु से मिलने पहुंचे जिसके कार्यक्रम में 2 दिन पहले मोदी शामिल हुए थे।। पर अभी भी मोदी विश्वपटल  व भारतीय लोगो की पहली पसंद बने हुए हैं उनकी लोकप्रियता का कारण मोदी का देश के लगातार किए जाने वाले प्रयास हैं जो देश को नई दिशा दे रहे हैं और  उसके कार्य को जनता देख पा  रही हैं। इसलिए 2024 के चुनावो से पहले अभी बहुत सी पिक्चर हैं जो जनता को देखनी हैं।</

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

चीन का दुश्मन देशों से व्यापार

          चीन का निर्यात दुश्मन देशों को

हम जानते हैं की अमरीका दुनिया में नंबर वन की आर्थिक महाशक्ति हैं और चीन नंबर टू की आर्थिक शक्ति हैं। चीन अमरीकी संबंध वियतनाम एंड कोरिया युद्ध के समय से हमें जटिलताओं से भरे रहे हैं।और आज भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में आधिपत्य की लड़ाई जारी है। अमेरिका हमेशा से चीन को मानवाधिकारों का उलंघन करने का दोषी मानता हैं और कोरोना का वायरस का जनक भी वो चीन को ठहराता है।  ताइवान की स्वायता को लेकर भी लंबे समय से दोनो देशों के बीच आपसी खींचातान देखी जाती है। इन सब के बावजूद अमरीका व चीन के आर्थिक संबंध 21 वी सदी के सबसे अधिक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के तौर पे देखे जा सकते हैं। साल 2014 के बाद अमरीका का व्यापारिक संबंधों का झुकाव चीन से भारत की तरफ बढ़ रहा हैं और दोनो देश ट्रेड के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी एक दूसरे के सहयोगी के रूप में उभरे है।  जन्हा चीन के दुश्मन देशों में अमरीका टॉप पे हैं व साथ में ताइवान,ऑस्ट्रेलिया,दक्षिणी कोरिया और जापान सहित मलेशिया,वियतनाम, हॉन्ग कॉन्ग सभी देशों के साथ रिश्ते हमेशा कड़वाहट भरे ही रहे हैं और आज भी इनके बीच विवाद का कोई न कोई विषय बना रहता है। एक रूस जो की मित्र देशों में चीन की टॉप लिस्ट में हैं। इन सब के बावजूद चीन का सबसे अधिक निर्यात भी इन्ही देशों के साथ होता है। यह सब चीन की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत जड़ों का नतीजा हैं की वो अपनी आर्थिक गति को बनाए रखा हैं। आज हम आपको बताते हैं की चीन दुनिया में अपने दुश्मन देशों से कितना निर्यात करता हैं ।

चीन - अमरीका व्यापार -

      चीन की जापान के बाद अमरीका से सबसे बड़ी लेनदारी हैं। इसके बावजूद साल 2022 में चीन ने अमरीका को 759.4 अरब डॉलर का निर्यात किया हैं जो चीन के द्वारा किया हुआ किसी भी देश के साथ सबसे अधिक एक्सपोर्ट हैं और अमरीका चीन के साथ दुश्मन नंबर एक साथ व्यापारिक रिश्ते भी नंबर वन पर कायम हैं।

दक्षिणी कोरिया चीन व्यापार -

       चीन का 2nd सबसे बड़ा एक्सपोर्ट दक्षिणी कोरिया को करता है। ये निर्यात बढ़कर 362.3 अरब डॉलर का हो चुका हैं। इसमें कोरिया चीन से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिकल वी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आयत करता हैं साथ ही मशीनरी,न्यूक्लियर रिएक्टर,बॉयलर,आयरन,स्टील, केमिकल इंजीनियरिंग,फर्नीचर सहित बहुत सी जरूरतों की पूर्ति चीन से करता हैं।

जापान चीन व्यापार -

        चीन 357.4 अरब डॉलर के साथ 3रा बढ़ा एक्सपोर्ट करने वाला देश जापान हैं जो चीन से टेलीफोन,मोबाइल,कंप्यूटर , इंटीग्रेटेड सर्किट्स वी मोटर विहकल्स के साथ वीडियो और कार्ड्स गेम्स खरीदता है।  जबकि दोनो देशों में डीयाओयू  द्वीप सहित आठ निर्जन द्वीप हैं जिनका कुल क्षेत्रफल  7 वर्ग किलोमीटर हैं। इन्ही से संबंधित क्षेत्र को चीन अपनी सीमा मानता हैं और चीन इसके आस पास के द्वीपों पर जगहों के बेड़े रखता हैं।

ताइवान चीन व्यापार -

         वर्तमान समय में ताइवान वी चीन में तनाव बना हुआ है। इन सब के बावजूद ताइवान 319.7 अरब डॉलर का आयत चीन से करता हैं। और चीन का 4th सबसे बड़ा आयात करने वाला देश है। जबकि दोनो देशों में 73 साल से आपसी खींचातान  बनी हुई हैं। मात्र 100 मिल की दूरी पर स्थित दोनो देश हमेशा एक दूसरे को आंख दिखाते रहते हैं जहां चीन ताइवान को अपना एक हिस्सा मानता हैं और ताइवान एक संप्रभु देश मानता है।

हॉन्गकॉन्ग व चीन व्यापार -

         साल 2022 में चीन ने हॉन्गकॉन्ग  को 305.4अरब डॉलर के उत्पाद एंड सेवाए निर्यात की हैं यह देश दुनिया में एक उच्च विकसित पूंजीवादी देश हैं।इसकी आबादी दुनिया के सबसे अधिक धनी लोगो में से एक है। इस देश के लोग भी अपने आप को चाइनीज कहलाना पसंद नही करते इसलिए आए दिन आजादी के नारे बुलंद हो रहे होते हैं और प्रदर्शनकारी लोगो ने चीन समर्थित प्रशासन के साथ टकराव होता रहता है। 

वियतनाम चीन व्यापार -

    साल 1979 के चीन वियतनाम युद्ध सारी दुनिया को याद है जब चीन की 6 लाख सैनिकों को सेना वियतनाम के 70 हजार वीर सैनिकों से एक महीने में हार का मुख देखना पड़ा था और दुनिया में अपनी किरकरी कराई थी। और वियतनाम ने दुनिया को बताया था की युद्ध बड़ी सेना से ही नही जीते जाते जिसका आज ताजा उदाहरण रूस और यूक्रेन का युद्ध भी हैं जो पिछले 1साल से अधिक समय से जारी हैं।चीन वियतनाम को 234 अरब डॉलर का निर्यात करता हैं जो की चीन के द्वारा निर्यातक देशों में 6वा स्थान पे आता हैं।

ऑस्ट्रेलिया चीन व्यापार -

       चीन ऑस्ट्रेलिया को साल 2022 में 220.9 अरब डॉलर का निर्यात किया हैं।जबकि दोनो देशों में कोविड -19 से ही आपसी मतभेद जारी हैं। जन्हा ऑस्ट्रेलिया भी चाइना को कोरॉना के लिए दोषी मानता है और चीन के खिलाओ जांच की मांग की थी  और हिंद प्रशांत महासागर में चीन की आक्रमकता से भी ऑस्ट्रेलिया चिंतित रहता है। दोनो के बीच इस समय कारोबारी युद्ध चल रहा है जंग में ऑस्ट्रेलिया ने चीन की हवाई कंपनी के 5 G नेटवर्क बनाने पर प्रतिबंधित किया हुआ हैं उधर चीन ने भी ऑस्ट्रेलिया से कोयला,चीनी,तांबे,लकड़ी और बीफ से लेकर वाइन के आयत पर रोक लगा रखी हैं 

इसी कर्म  में चीन मलेशिया को भी 203 अरब डॉलर का निर्यात करता हैं और रूस को तकरीबन 190 अरब डॉलर के उत्पाद व सेवाओं देता है

भारत चीन व्यापार - 

      भारत का आयत जो की 94.160 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। उधर निर्यात का आंकड़ा अभी भी मात्र 25 अरब डॉलर पर ही हैं। हाल की के समय में भारत ने मोबाइल के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और खिलौना सेक्टर को बूस्ट करनेबकी कोशिश की हैं और उसका असर आने वाले समय में भारतके एक्सपोर्ट पे दिखने लगेगा।। 

इसलिए चीन की एक तरफ विस्तारवादी नीति और साथ साथ आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की योजना कारगर साबित हो रही हैं और वो अपने दुश्मन देशों को ही सबसे अधिक निर्यात करता है जो की उन सभी देशों को निर्भरता बनाएं रखना भी एक जीत का अच्छा फैक्टर साबित होगा। Read more on China Quality issue

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023

हिलेरी क्लिंटन का कांशी दौरा

आध्यात्मिक नगरी कांशी व हिलेरी क्लिंटन 


 


भारत की आध्यात्मिक पर्यटक स्थल कांशी जिसका जीर्णऊथान होने के बाद विश्वपटल पर  एक बड़े पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा हैं और देशी के साथ विदेशी सैलानियों का मुख्य केंद्र बनता जा रहा हैं। 

अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री।

हिलेरी क्लिंटन जो अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और पूर्व सरकार में विदेश मंत्री रह चुकी हैं । वे ३ दिनों के लिए भारत यात्रा पर उतरप्रदेश के वाराणसी में गंगा मैया की आरती व भ्रमण का लुप्त उठा रही हैं और उन्होंने ट्विट करके बताया की वो इस स्थान पर पहली बार आई हैं और बहुत उत्तेजित हैं। हिलेरी यांहा पर महिलाओं के लिए काम करने वाले एक NGO के ५० वीं वर्षगांठ मनाने और अपनी दोस्त इला भट्ट की विरासत को देखने के लिए आई हुई हैं। ध्यान रहे हाल ही में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित एक सामाजिक कार्यकर्ता थी,जिनका ८९ साल की उम्र में नवंबर २०२२ में निधन हो गया हैं। इला ने हमेशा गांधीवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करती रही हैं।


इला भट्ट व सम्मान


इला भट्ट को पद्म भूषण के साथ साथ १९७७ में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार v 1986 मैं लाइवलीहुड अवार्ड से भी समानित किया जा चुका था। 2011 में उन्हें गांधी पीस समान से भी नवाजा गया था। उन्होंने महिलाओं के लिए कई सक्रात्मक कार्य किए जिसके कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।

 हिलेरी क्लिंटन शुक्रवार को वाराणसी पहुंच कर नाव में सवार होकर गंगा जी की आरती का लुप्त लिया और हाथ हिलाकर लोगो का अभिवादन किया तथा गंगा घाट की तस्वीर खिंचाई। यह सही हैं की शिवनगरी कांशी ने अध्यातिमिकता में रुचि रखने वालो के लिए एक अधबुध स्थान हैं और अब मोदी सरकार ने भोलेनाथ के भक्तो को गालियों से निजाज दिला दिया और बाबा के धाम को भव्यता प्रदान की हैं और कांशी में रहने से लेकर तमाम सुविधावो को विश्वस्तर का बनाया हैं जिससे वाराणसी में पर्यटक को    गति मिली हैं और एक नई पहचान मिली हैं।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

पाकिस्तान गर्भ से है

"करो थाली बजाने की तैयारी"



कुछ दिनों से हमारा पड़ोसी पाकिस्तान गर्भ से है!

ये समाचार तो आपको पता ही हैं!

गत कुछ दिनों से पाकिस्तान के दर्द की शिकायत बढ़ती जा रही है। जिसे देखते हुए डाक्टर मोदी से सम्पर्क किया गया है!

डाक्टर मोदी ने कल रात सोनोग्राफी की रिपोर्ट देखकर बताया, कि बच्चे जुड़वां होने वाले हैं!

पहले की रिपोर्ट में केवल बलूचिस्तान था! परन्तु कल की रिपोर्ट में सिंध भी आया है!

ये सुनकर एक तरफ तो भारत (पिता) में उत्साह की लहर है,  वहीं दूसरी ओर चीन (पाकिस्तान के पीहर वाले) नाराज हैं!

चीन का कहना है कि पाकिस्तान काफी कमजोर और बूढ़ा हो चुका है! प्रथम प्रसव (बंग्लादेश) के जन्म को 50 वर्ष बीत चुके हैं!

इस बीच, काफी कमजोर हो जाने के कारण नये बालक,

और वो भी जुड़वां होने से, पाकिस्तान की जान को खतरा है!

डाक्टर मोदी का कहना है, कि वो चीन की बातों से सहमत है, परन्तु समय अधिक बीत जाने के कारण गर्भपात संभव नहीं है!

पहले जब पाकिस्तान बार-बार काश्मीरी सेब खाने की जिद कर रहा था, तब किसी ने ध्यान नहीं दिया! उससे ये जुड़वां बालकों की समस्या और बढ़ गई है!

जुड़वां बालक होने से डिलीवरी नोर्मल होने की संभावना घट गयी है! डाक्टर मोदी का कहना है, की आवश्यकता होने पर सर्जरी (युद्ध) करना पड़ेगा ! 

अभी आपरेशन का समय निश्चित नहीं हुआ है! पर ये तो तय है, कि जल्द ही पड़ोस में किलकारी गूंजने वाली है!

बताया जा रहा है, कि नवजात शिशुओं के कमजोर स्वास्थ्य को देखते हुए, उन्हें कुछ दिन डाक्टर मोदी अपनी कड़ी निगरानी में रखेंगे!

रविवार, 29 जनवरी 2023

पाकिस्तान की संसद



 

पकिस्तान की संसद मे रमेश कुमार वन्कवानी जो हिन्दुओ के लिये reserve सीट हैं से सांसद है । इनका संलग्न विडियो तेजी से वायरल हो रहा है । जिसमे वो पाकिस्तान की संसद मे वँहा के हिन्दू बहन बेटियों की सुरक्षा के गिड़गिड़ाते व बिलखते नजर आरहे हैं ।पकिस्तान मे हिंदुओ का जबरन धर्म परिवर्तन कोई नया नही हैं । आतंक का प्रयाय बन चुका देश कंगाली के कगार पर दुनिया से कटोरा लेके भिख मांग रहा हैं । आजादी के बाद जँहा भारत मे मुस्लिम आबादी मे जो बढ़ोतरी हुई हैं वो हिन्दुओ से अधिक है ।वंही पाकिस्तान मे हिंदुओ की आबादी बहुत कम रह गई हैं । हर महिने पाक मे अनेक हिंदु लड़कियो को जबरन धर्म परिवर्तन,जबरन विवाह,हत्या,ब्लात्कार जैसी घटनाएँ हो रही है ।और इससे वँहा के अल्पसंख्यक समाज मे इतनी दहशत है की देश के एक सांसद को वँहा के उच्य सदन मे सुरक्षा की भीख मांगनी पड़ रही हैं ।। जँहा पूरी दुनिया मे महिला सशक्तिकरण की कोशिश की जा रही है और भारत जैसे देश मे महिलाओ की शिक्षा व सुरक्षा से लेकर जीवनशैली मे इजाफा हुआ है वंही पाक मे आज भी उन्हे उपभोग की वस्तु मात्र समझा जाता हैं । जो बच्चिया मझहब का मतलब भी नही समझ पाती उनके 18 साल की कम उम्र्ं मे दरिंदगी की स्थिति में पहुँचा दी जाती है । इन सब का एक बहुत बड़ा कारण हैं शिक्षा का अभाव। इस दुनिया मे हर धर्म व मझहब मे मानव धर्म को सर्वोपरि माना गया हैं । लेकिन मुस्लिम समाज के एक बहुत बड़े तपके को इस देश मे देशहित से बड़ा धर्महित लगता हैं जिसका नतिजा है की पाक आतंकवादी का अड़ा बन चुका है । भुखमरी व गरीबी की जकड़न ऐसी कशी हैं की दुनिया ने उनको सहयता देना भी बन्द कर दिया है । वँहा पे खाने की वस्तुओं के साथ साथ दवाईयों की भी कमी होनी लगी हैं । दिवालिया हो चुका पाक अब देश मे विद्रोह होने के कगार पे खड़ा हैं । पूरी दुनिया मे अपनी किरकिरी करा रहा ये देश साथ साथ मे मुस्लिम धर्म को भी बदनाम करने मे लगा हुआ है ।। मुस्लिम देश व हिंदु । ऐसा नही है की सभी मुसलमान देशो मे ऐसा है । भारत उपमहाद्वीप के पडोशी देशो को छोड़ दिया जाय तो अन्य देश अपनी जगह दुनिया के पटल पर अच्छी छवि के साथ अपना योगदान दे रहे है । और हिन्दुओ के साथ अन्य धर्मो को भी सम्मान देते है और समान पाते है ।। पाक जो की हमेशा राजनीतक अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा है वह भी उसकी मानसिकता का नतिजा है । जो मोदी उनको दुश्मन दिखता था आज उसमे उनको मशिहा की छवि दिखने लगी हैं ।। वँहा की आवाम को लगता हैं की इस मुश्किल की घड़ी मे केवल भारत हैं जो उसको बचा सकता हैं ।। भारत के देशभक्त मुश्लिम लोग भी इसके लिये आवाज नही उठा पा रहे है क्योंकि कुच देशद्रोही विचार धारा के लोगो ने उनकी आवाज को दबा रखा हैं । अन्यथा मानव सेवा के भाव वाला देश कैसे अपने पडोशी के ऐसे भूखा सोने छोड़ देता। अब भी समय है की पाक को अपनी कटरता की सोच को छोड़ के एक अच्छे पडोशी होने की मिशाल बनने की कोशिश करे।।

शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

J&K और तिरंगा- मे वही लाल चौक हूँ ।

यह वही लाल चोक है । जिस पर मेने अपमान की घूँट पीकर उफ तक नही किया।। यह वही लाल चोक हैं जिस पर मुझे पैरो के नीचे कुचला जाता था यह वही लाल चोक हैं । जिसपर अमन पसंद लोगो को डर मे जीना पड़ता था । यह वही लाल चोक है । जिस पर फारुख जैसे गदारो ने मेरे लहू को को पानी समझा। यह वही लाल चोक है । जिस पर महबूबा जैसी महिला को कभी ना किसी माँ का लाल दिखा ना किसी का सुहाग नजर आया। यह बही लाल चोक है जिस पर वतन के मतवालो ने मेरे नाम को अपने लाल खुन से सिंचा । यह वही लाल चोक है ं । जँहा की मिट्टी से पैदा अन्न पड़ोसी खाते थे। यही वही लाल चोक है । जिसे 370 की बेडियों मे जकड़े हुये थे। यह वही लाल चोक है ।। जो कह रहा हैं की इतिहास करवट लेता हैं । तो कभी नेहरु और कभी मोदी मिलता हैं । यह वही लाल चोक हैं । जो आज अपनी आजादी की छटा भिखेर रहा हैं । और कह रहा है की खुन की नदियाँ बहाने वाले। झंडे को धमकाने वाले ।। देखो मे वही लाल चोक हूँ पहले से दुगनी चमक से साथ तुम पे मुझे दया आ रही है की तुम्हे मे माफ कर दूँ ।। ना आटा हैं । ना बिजली हैं । ना दवा हैं । तू पाकिस्तान हैं और मे वही लाल चौक हूँ ।।

रविवार, 22 जनवरी 2023

भारत में भ्रामक राजनीतिक -गोधरा कांड को लाइमलाइट में रखने के पीछे का सच

      राजनीतक दलों का ध्यान भ्रम शास्त्र। मेरे इस ब्लॉग मे सवाल अधिक व जबाब कम है जो आपको अपने दिल और दिमाक के तराजू मे तोल के एक भारतवासी होने के नाते देखना व समझना हैं । क्या आपको को याद है कि मुंबई दंगों के दौरान महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन था शायद नही जो मुंबई दंगों से कम दोषी नहीं था? क्या किसी को मल्लियाना और मेरठ दंगों के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री का नाम याद है या बिहार के मुख्यमंत्री का नाम जब कांग्रेस के शासन में भागलपुर या जमशेदपुर दंगे हुए थे? उत्तर होगा शायद नही। क्या हम गुजरात के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम सुनते हैं जिनके नेतृत्व में स्वतंत्रता के बाद के भारत में सैकड़ों दंगे हुए? 

     क्या किसी को याद है कि 1984 में जब भारत की राजधानी में सिखों का नरसंहार हुआ था तब दिल्ली की सुरक्षा का प्रभारी कौन था? कैसे नरेंद्र मोदी को शैतान अवतार के रूप में चुना गया है जैसे कि उन्होंने 2002 के दंगों के दौरान सभी हत्याओं को व्यक्तिगत रूप से चुना था? मे जों यह लिख रहा हू उसमें तनिक भी संदेह कोई कारण दिखता नही हैं । 2002 के दंगों की वजह बने गोधरा कांड पर क्रिमिनल ब्रिगेड हमेशा खामोश रही है। ये सब डाटा आप किसी भी सर्च इंजन से या RTI से प्राप्त करके तथ्य देख सकते हैं । 

     ** जब कोई कहता है कि पिछले पूरे दशक से गुजरात की कृषि विकास दर 10-11% है तो राजनीति पार्टी कहती हैं 2002 दंगे! **जब कोई कहता है कि उसने एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट बनाया है, तो वो कहते है 2002 के दंगे! 

   **जब कोई कहता है कि गुजरात पूरे भारत में एकमात्र राज्य है जो अपने लगभग सभी 18,000 गांवों को 24*7 और 365 दिन बिजली प्रदान करता है, वो कहते है 2002 दंगे! 

     **जब कोई कहता है - वर्ल्ड बैंक का 2011 का बयान कहता है, गुजरात की सड़कें अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर हैं, तो वो कहते है 2002 के दंगे! 

     **जब कोई कहता है कि गुजरात देश का पहला राज्य है जिसके सभी 18,000 गांवों में हाई स्पीड वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवा है, वो कहते है 2002 दंगे! 

    **जब कोई कहता है कि फोर्ब्स पत्रिका ने अहमदाबाद को भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाला शहर और दुनिया में तीसरा स्थान दिया है, वो कहते है 2002 दंगे! 

    **जब कोई कहता है कि गुजरात पर्यटन पहले से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है. वो कहते है 2002 के दंगे! 

    **जब कोई कहता है कि केंद्रीय सरकार के श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में देश में सबसे कम बेरोजगारी दर है, वो कहते है 2002 के दंगे! 

    **जब नरेंद्र मोदी को लगभग सभी सर्वेक्षणों और चुनावों में दुनिया मे बार-बार सर्वश्रेष्ठ वर्तमान भारतीय नेता के रूप में चुना जा रहा है वोकहते है 2002 दंगे! 

    **जब कोई कहता है कि 2003-2013 गुजरात के इतिहास में केवल 10 साल हैं जो पूरी तरह से दंगा-मुक्त हैं, तो वो कहते है कि 2002 के दंगे! 

   **लेकिन जब हम उन्हें कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के दौरान हुए दंगों की याद दिलाते हैं: 1947- बंगाल....5,000 से 10,000 मरे...कांग्रेस राज। 1967- रांची....200 मरे.........कांग्रेस 1969- अहमदाबाद...512 मृत... कांग्रेस 1970-Bhiwandi....80 मृत ..कांग्रेस राज। 1979- जमशेदपुर..125 मृत. सीपीआईएम शासन (कम्युनिस्ट पार्टी) 1980- मुरादाबाद...2,000 मृत... कांग्रेस शासन। 1983-नेल्ली असम...5,000 मरे...कांग्रेस शासन। 1984- सिख विरोधी दिल्ली...2,733 मरे... कांग्रेस शासन 1984 Bhiwandi....146 मौते कांग्रेस शासन 1985- गुजरात.....300 मरे..कांग्रेस राज 1986- अहमदाबाद......59 मृत. कांग्रेस शासन 1987-मेरठ....81 मरे. कांग्रेस राज [हैदराबाद......300 से अधिक मृत....कांग्रेस शासन 1992- मुंबई....900 से 2000 मरे....कांग्रेस राज 1992- अलीगढ़....176 मरे कांग्रेस राज 1992 सूरत.......175 मरे कांग्रेस राज वे पूरी तरह बहरे हो जाते हैं........... क्योंकि उनके पास कोई उत्तर नहीं होता। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां सब पाखंडियों की हिंदू विरोधी ब्रिगेड हैं। भारत का युवा कहता है:...... हमें 2002 में कोई दिलचस्पी नहीं है, हमें केवल 2023 और हमारे भविष्य में दिलचस्पी है। यदि आपको लगता है कि तथ्यों को ध्यान में लाने की आवश्यकता है। तो मनन किजीये और राजनिती पार्टी बाजी से बाहर निकल कर देश के लिये सोचिये और करिये।।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2023

बीबीसी का मोदी पाखंड

                                                              World-The Modi Questions

 


 

     हम सब जानते हैं की BBC (British Broadcast Corporations). ब्रिटेन का बहुत पुराना समाचर प्रसार करने वाली संस्था हैं जिसको पूरी दुनिया में सुनना जाता हैं । इसका हिन्दी भाषी क्षेत्रों मे बीबीसी की हिन्दी सेवा के नाम से भी प्रसारित करता है । बीबीसी ने भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी पे एक डोकुमेंट्री तैयार की है       

       जिसका नाम है "The Modi Questions" इसकी दो पार्ट मे सिरीज बनाई है । इसका प्रथम पार्ट मंगलवार को जारी किया गया। जिससे विवाद पैदा हो गया है इसमे कथित तोर पे मोदी की भूमिका की बात की गई हैं । विस्तारपूर्वक- गुजरात मे मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुये दंगो के बारे मे कहा गया की इनकी मोदी को पहले से पता था ।। 

       इस पर भारत का सर्वोच्य अदालत भी मोदी को क्लीन चिट दे चुकी हैं । क्या है इस डाक्यूमेंट्री में- बीबीसी ने THE MODI QUESTIONS मे मोदी की शुरुवती राजनीतिक सफर पर बाते की है जिसमे उसके भाजपा मे बड़ते कद व रास्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ उसके रिश्तों का भी जिक्र किया गया है तथा मोदी की गुजरात मे रहते हुये दंगो के लिये मोदी की कथित भूमिका की बात कही गई है ।। 

       यह बात निश्चित ही एक बात को सिद्ध करने वाली हैं क्योंकि भारत की जो आर्थिक विकास दर का असर अब दुनिया मे दिखने लगा है । भारत का बढ़ता हुया कद अब देश के बाहर भी पेट मे दर्द पैदा कर रहा है । हमारे लिये ये शुभ समाचर हैं ।। ब्रिटेन संसद मे ऋषि सनक का करारा जबाब- विवाद के बीच ये विषय आज ब्रिटेन की संसद मे भी पाकिस्थान मुल के व लेबर पार्टी के सांसद इमरान हुसैन ने भी इस विषय पर ब्रिटिश संसद का क्या स्टैंड है के बारे मे जानने पर वक्तव्य दिया । 

      जिस पर वँहा के हिन्दू प्रधानमंत्री ने अपने गुस्से को काबू मे रखते हुये दो टुक करारा जबाब दिया की इमरान हुसैन के व बीबीसी की मोदी के चारित्र व चित्रण से कोई भी इत्फाक नही रखता और संसद का स्टैंड कभी भी इस मत के साथ ना था ना हैं ।। ऋषि सुनक के जबाब का का असर ब्रिटिश संसद मे प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का जबाब व भारत के विदेश मंत्रालय की कड़ी प्रतिकिर्या के 24 घन्टे मे ही बीबीसी ने इस डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब से हटा दिया है । 

       विदेश मंत्रालय ने साफ किया की ये केवल बीबीसी की घटती लोकप्रियता के कारण सस्ती प्रचार सामग्री है जिसे एक कहानी के रुप मे आगे बढाने की नापाक कोशिश हैं जिसमे निष्पक्षता का अभाव है इसपे ब्रिटिश सांसद लार्ड रामी रेंजर ने भी ट्विट कर बीबीसी को भारत के करोड़ो लोगो की भावनाओ को आहत करने वाला कहा व यूनाइटेड हिन्दू फ़्रंट ने भी करोड़ो भारतीय लोगो के साथ इसकी भर्त्स्ना की है ।। 

     जो नेता आज पुरे दुनिया के हित की बात व काम करता है । यह बात सही है की मोदी को भारत की जनता ही नही दुनिया को चाहने वाले भी अच्छी तरह से समझ चुके है ।कुछेक बचे है उनको जानने के लिये 2029 तक इन्तजार करना ही होगा। ।

Dated -0/01/2029 

    कल जब बीबीसी के लदंन ऑफ़िस के सामने भारत समर्धको ने मोदी documentary का विरोध प्रदर्शन किया तो एक बात अच्छी तरह से साफ हो चुकी हैं की बीबीसी जैसी एजेन्सी को ये सोचना चाहिये की ये नया भारत हैं जो घर मे घुस जाता हैं जब बात आन की होती है ।।  

      हर भारतीय को सोचना चाहिये की  हम देश दुनिया के लिये जी तोड़ मेहनत करने है पर कोई हम पे कीचड़ उछालेगा तो उसे हाथी व दर्जी की कहानी जरुर पढ़ लेनी चाहिये की हम जरूरत पड़ने पर फुल की जगह आक्रोश से भी जबाब दे सकते है ।।
जय भारत

बुधवार, 18 जनवरी 2023

पकिस्तान का पिंजरे मे कबुलनामा

 
 
 
पाकिस्तान के वर्तमान PM  साहबाज़  शरीफ की जबान से सच क्या निकला दोनो देशो मे रह रहे परजीवी टाइप के लोगो के पेट मे मरोड़ शुरू होगये।। आइये पहले जाने की शरीफ ने ऐसा क्या कह दिया।शरीफ ने कहा की भारत के साथ हुये 3-4 युध्दो से हमे ये समझ आगया की इनसे केवल हमे भुखमरी,बेरोजगारी,लाचारी,तोहिन,निराशा के अलावा कुछ हासिल नही हुआ । ये शब्द 100% सही है ये दोनो देशो की जनता ही नही अपितु पूरी दुनिया जानती हैं । अब हमे यह समझना होगा की ऐसा कहने की नोबत क्योँ आन पड़ी की पाकिस्थान के PM को वो कहना पड़ा जिसको उसकी आवाम जानती है पर अशिक्षित जनता उसको स्वीकार नही करना चाहती या उनके हुक्मरान के बिल्कुल नही पच सकती । हम सब जानते हैं की दोनो देश एक साथ आजाद हुये और आजादी की 78 साल बाद जँहा भारत मे 80 करोड़ो लोगो को महिने का राशन सरकार की और से @1 रूपया किलो मे मिलता है वंही पाक मे वो @150 मे भी मिलना मुश्किल हो गया है । जँहा भारत corona जैसी महामारी मे अपने लोगो को ही नही बचाया बल्कि दुनिया-भर के लोगो की सेवा की। भारत के PM  मोदी के नेतृत्व ने भारत की जनता को विशवास मे लेके देश को कार्य करके सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास व सबके पर्यास से भारत की उत्पादकता को विश्व पटल पर बहुत अच्छे से रखा और दुनिया की 5th  आर्थिक सक्ती बन गया हैं ।। पाक के PM  का कबूलनामा  व भारत से वार्ता की आग्रह का यही कारण नही हैं । इसके पीछे और गहरा रहस्य हैं वो ये की पाक कभी भी ऐसी स्थिति में नही पहुँचा था जब उसने भारत से युध्द भी लड़े । अब ऐसा क्या परिवर्तन हो गया।। यह बात निश्चिंत नवाज शरीफ ने छोटे भाई को समझाई होगी की मोदी बिना बातचित के बिरयानी खाके केवल बालाकोट व उरि जैसे एग्ज़ाम्पल से समझाने की कोशिस की लेकिन हमारे मियां इमरान नही समझ पाये ।। टमाटर का निर्यात रोक के हमारे व्यापारी वर्ग ने समझाने की कौशिश की लेकिन वो नादान नही समझे । अब दुनिया के साथ साथ चाइना ने भी हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया।  धारा 370 हटा कर भारत ने बता दिया की बिना एक बूँद खुन खराबे के शान्ति से वँहा की जनता को देश हित के कार्यों मे युध्स्थर पर जोड़ दिया गया। जँहा इराक जसे मुस्लिम देश अपना पैसा व्यवसाय मे लगा रहे है । और अब उग्रवादियों को भी पता चल चुका है की कश्मीर मे कोई भी घटना करने के 48-72 घन्टे मे उनका अल्लाह भी वापसी का वारंट निकाल देता है । अब जँहा वो कश्मीर की वादियो के लिये लालयात रहते थे। अब वो भारत की सीमा की तरफ मुह करके सोने मे भी कतराने लगे हैं ।। और अब पाक की इस्थती यह होगई हैं देश मे हालत ऐसे हैं की कभी भी जनता विद्रोह कर सकती हैं उस स्थति मे ना उनका बेमानी का कमाया पैसा बचेगा ना धन दोलत बच पायेगी दुनिया मे दर दर की ठोकर खाने के अलावा कोई रास्ता नही है ।। ये सब हालात से निकलने का पूरी दुनिया मे एक ही मार्ग हैं जो भारत से होकर गुजरता है ।। यह बात पकिस्तान की जनता जनार्दन व वँहा की सेना व राजनीतक पार्टी समझ चुकी हैं ।। की भारत बिना थपड़ दिये ऐसा कर सकता हैं और यदि हाथ उठा लिया तो थपड़ की गूँज इतिहास के पन्नो मे भी सुनाई देगी। इसलिये इस बुद्ध की धरती पर जीवो और जीनेदो के सिद्धांत को अपना लेने मे ही सभी की भलाई है ।। क्योंकि ये स्वार्थी लोगो की जितनी जमात पाकिस्थान मे है उससे कम भारत मे भी नही है ।पर भारत मे बुलडोजर का निर्माण भी युद्घ स्थर पर जारी हैं । जो किसी को बक्सेगा  नही।।इसलिये पाक जैसे मुल्क को शान्ति के मार्ग को अपना कर अपने कर्म ही पूजा हैं पे ध्यान देना होगा। जिसका नतिजा होगा की उन्हे दुनिया के सामने झोली नही फैलानी पड़ेगी। और अपने देश व लोगो का खोया हुया समान वापिस हासिल कर पायेंगे। यही हर भारतवासी की सोच है ।

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

तवांग की झड़प

                                                 India & Chinda-Its New India

 


 

वैसे तो सीमा पे कभी कभार आपसी झड़प होना कोई नई बात नही है लेकिन इस बार जौ जबाब भरतीय सेना ने दिया हैं और पहले जुबानी जंग और उसके बाद जौ हाथापाई मे भारत ने चीनी सेनिको पे लाठी भांजी उसको पूरी दुनिया ने देखा है की कैसे चीनी सेना दुम हिलाकर पीछे भागी ।। हालांकी आपकी बार विरोधी कंटीली लाठी और डन्डो के साथ तैयारी करके आये थे।।इस घटना से एक बात मोदी की साफ हो चुकी है की मेरा भारत बदल गया हैं ।। अब हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे । वाली नीति धरातल पर दिख रही हैं वैसे तो भारत के जवानो के सामने चीनी सैनिकों का ना हौंसला हैं और ना ही साहस हैं । कद काठी से भी कमजोर है ।और पिछले एक दशक से तकनिकी रुप से भी सूदृड हुये है ।। इस घटना ने चीनी सीमा से लगे अन्य देशो के होंसले भी बुलंद होंगे।और अब या तो चाइना अपनी विस्तारवादी निति को तैयाग दे या इस प्रकार से लाठिया खाने को त्यार रहे।।अब चीनी विदेश मंत्रालय का व्य्कतव्य आया हैं की बौर्डर पर हालात समान्य हैं ।।इस झड़प मे कुछ भारतीय जवानो को भी मामूली चोटे आई हैं जैसा भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने व्यक्तव्य मे बताया।। चाइना को अब ये समझना होगा की भारत अब 24+7 युध्द के लिये तैयार रहता है भारत की एयरफोर्स इसके लिये हर समय तैयार होती है । भारत गलवान घाटी की घटना के बाद ही चौकन्ना था । अब भारत ने शान्ति के लिये फ्लगे मार्च निकला उसमे ये साफ कर दिया की कोई भी उक्षाने वाली कारवाई का जबाब कठोरता से दिया जायेगा।। 

बुधवार, 30 नवंबर 2022

BJP बूथ मजबुत की कहानी

                                            BJP-बूथ मजबुत की कहानी

 

    अपना बूथ सबसे मजबुत।। राजनीति की बिछात हो या व्यवसाय का विस्तार हो ।। दोनो मे बहुत कुछ समानताएँ हैं ।। चाहे इसे प्लानिंग की तराजू मे तोल के देखा जाये या चाहे मैनेजमेंट स्किल पे तोला जाये।। इसे चलाने का ढरा हो या नतीजो का आना। फिर चाहे टीम/ कार्यकर्ताओ का उत्साह हो या निराशा ।। 

       इस बात को समझना बिल्कुल भी मुश्किल नही हैं की व्यवसाय मे जो कार्य कंपनीयॉ ने अपना उत्पाद/ सेवायें हर घर तक पहुंचाने के लिये।जिस मॉडल को काम मे लेती हैं हम उसे मैनेजमेंट की भाषा मे रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन कहती हैं और ये दुनिया मे सफलतम मॉडल हो जिसके द्वारा आप कोई भी उत्पाद या सेवा आम व्यक्ति तक बहुत ही जल्दी पहुंचा सकते हैं और इसके द्वारा ग्राहक उस उत्पाद या सेवा के बारे मे क्या मह्सूस करता है ।

     इसका भी बिना विलम्ब के मैनेजमेंट तक फीडबैक पहुंच जाता हैं । जिसके अनुसार मैनेजमेंट असन्तुष्ट ग्राहक के अनुसार अपने उत्पाद/सेवाओ मे परिवर्तन करके या कहे की अपग्रेड करके पुन ग्राहक तक पहुंचता हैं ।। और अपने व्यवसाय को निरंतर सफलता की नई बुलंदियो को छुता हैं । 

       भारत जैसा देश जँहा पर इतनी अधिक जनसंख्या तक ये ढांचा खड़ा करना अपने आप मे बहुत महत्वपुर्ण व चुनौतिपर्ण कार्य होता है ।। जँहा पर कई कंपनी आज के इस टेक्नोलॉजी के युग मे एक कदम आगे जाके घर घर तक अपनी सेवाओ को विस्तार करने मे लगी हुई है ।। भाजपा जो की आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी हैं ने इस मॉडल को पुरे भारत मे लागू कर दिया हैं ।। 

      जिसके कार्यकर्ता एक एक वोटर तक अपनी बात पहुंचाने से लेकर उनकी बात नरेंदर मोदी जो की आज भारत के प्रधानमंत्री हैं तक पहुंच जाती हैं ।। जबकी ये मॉडल कांग्रेस ने कभी भी तहसील स्तर से आगे ले जाने की कोशिश नही की।। और उसका किला ध्वस्थ हो गया और आज भी ये पार्टी केवल परिवार के दम पर भारत मे कामयाब होना चाहती हैं जो लगभग असंभव सा हैं ।। 

      ये छोटी सी बात इनको समझ नही आ रही की हमारा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क ध्वस्थ हो चुका है और इसे नये तरीके से बनाने की आवश्यकता है । इनको समझना होगा की आज का वोटर पढ़ा लिखा होने के साथ समझदार भी हैं वो सही गलत को समझने की काबिलियत रखता हैं ।उसको लॉक लुभावने वादो से अब नही रिझाया जा सकता ।इसके लिये भारत जोड़ो यात्रा जैसे प्रोपोगंड़ा से नही रीझाया जा सकता इसके लिये सही नीतियो का समर्थन व गलत नीतियो का विरोध् तथ्यात्मक तरीको से करने की आवश्यकता हैं । जिसको करने मे कांग्रेस असफल रही हैं ।     

भाजपा का पना प्रमुख जँहा पर अपनी हर  बात को वोटर तक पहूंचा रहा हैं वंही पे कांग्रेस केवल अपनी भड़ास निकालने तक सीमित हो गई है ।। राहुल गाँधी जी देश जोड़ो यात्रा करे।। चाहे मन्दिर मे पूजा करे।। चाहे जनेऊ पहने जो कुछ हैं वो सब उनकी असफलताओं को ढकने के लिये नाकाफी हैं । अब भी समय हैं की एक अच्छे लोकतांत्रिक देश मे अपनी नई विचार धारा के साथ नये रूप मे रे लौन्च करे और अच्छे विपक्ष की भुमिका क नेतृव करे!

 भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के बूथ मजबूत करने की कहानी में कई पहलु हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य तत्व हैं जो भा.ज.पा. के बूथों की मजबूती को समर्पित हैं:

 संगठन की मजबूती: भा.ज.पा. के बूथ मजबूत होने का पहला और महत्वपूर्ण तत्व संगठन की मजबूती है। भा.ज.पा. ने अपने संगठन को आदान-प्रदान करने के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है, उन्हें समर्पित किया है और उनकी सक्रियता को प्रोत्साहित किया है। संगठन के मजबूत होने से बूथों के प्रबंधन और संगठन द्वारा कार्यकर्ता-प्रधानों की सक्रियता में सुधार होता है।


    विज्ञान और तकनीक का उपयोग: भा.ज.पा. ने विज्ञान और तकनीक का उपयोग करके बूथों के संगठन, प्रबंधन और नेतृत्व को मजबूत बनाने में योगदान दिया है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाले विज्ञानिक उपकरणों का उपयोग, डिजिटल पहचान प्रणाली के स्थापना, और डेटा विश्लेषण शामिल हैं। इससे बूथों का सुचारू रूप से प्रबंधन हो सकता है और कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया जा सकता है।


    भाषा और संचार: भा.ज.पा. के बूथों को मजबूत करने में भाषा और संचार की महत्ता होती है। उच्च स्तरीय संचार प्रणाली और संबंधों को व्यवस्थित रूप से अद्यतित रखने के माध्यम से, भा.ज.पा. बूथों में संगठित संचार नेटवर्क बना सकती है। यह कार्यकर्ताओं के बीच संचार को बेहतर बनाता है और उन्हें नवीनतम विचारों और नीतियों की जानकारी प्रदान करता है।


    योजनाबद्धता और गतिविधियाँ: भा.ज.पा. के बूथों को मजबूत करने के लिए योजनाबद्धता और गतिविधियों का महत्व होता है। यह भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्यों, मार्गदर्शन और कार्यक्रमों को अच्छी तरह से बूथों के सदस्यों तक पहुंचाने में मदद करता है। निर्धारित गतिविधियों, कार्ययोजनाओं और प्रोग्रामों को संगठित रूप से अंकित करने द्वारा, भा.ज.पा. बूथों को उच्चतम स्तर के नेतृत्व में लाने में मदद मिलती है।


यह तत्व एक साथ मिलकर भा.ज.पा. को बूथों को मजबूत करने में सहायता करते हैं, जिससे उनकी संगठनात्मक ताकत बढ़ती है और उनके नेताओं को जनता के बीच अधिक प्रभावी बनाता है।


 

बदलाव ही हैं आपके अस्तित्व का आधार

आपकी होशियारी रखी रह जाएगी यदि आपने नहीं किये बदलाव         इंसान सब कुछ भूल सकता हैं लेकिन यह तस्वीर में दिए हुए बदलाव को नहीं भूल सकते। जि...